‘गर्भवती मुसलमान थी इसलिए डॉक्टरों ने भर्ती नहीं किया’ खुद महिला ने Main Stream Media से लेकर कांग्रेसी नेता तक की धज्जियां उड़ा दी

7वीं बार गर्भवती, शरीर में खून की बेहद कमी. इसलिए डॉक्टरों ने रेफर किया

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अभी हाल ही में राजस्थान के उदयपुर से एक खबर आई थी कि एक गर्भवती महिला की डिलीवरी इसलिए डॉक्टरों ने नहीं की क्योंकि वह मुस्लिम है. महिला को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया लिहाजा एम्बुलेंस से उसे दूसरे अस्पताल ले जाया जा रहा था और एम्बुलेंस ही महिला ने बच्चे को जन्म दिया और प्रसव के बाद नवजात शिशु की मौत हो गई. देशभर की मीडिया ने इस खबर को मुस्लिम पीड़ित एंगल से छापा लेकिन सच्चाई अब सामने आ रही है.

कांग्रेसी मंत्री ने कहा- मुस्लिम महिला थी इसलिए नहीं भर्ती किया गया

इस घटना पर राजस्थान के ही पर्यटन मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता विश्र्वेंद्र सिंह ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि एक गर्भवती महिला को इसलिए डॉक्टरों ने भर्ती नहीं किया क्योंकि वह मुस्लिम धर्म की थी. मंत्री जी यहीं नहीं रुके उन्होंने यह भी कहा कि डॉक्टरों ने धर्म की वजह से ही उसका टेस्ट नहीं किया गया.

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पीड़ित महिला ने मंत्री से लेकर मुख्य धारा की मीडिया तक सबकी पोल खोल दी

इस हादसे पर महिला के पति का कहना है कि उसकी पत्नी को अस्पताल में इसलिए भर्ती नहीं किया गया क्योंकि वो मुसलमान है. महिला के पति के आरोप के बाद प्रशासन ने आनन-फानन में डॉक्टरों पर जांच बैठा दिया गया है. हालांकि अब सच्चाई कुछ और आ रही है। दरअसल, प्रशासन की जांच में पीड़ित महिला और उसकी एक रिश्तेदार ने मुस्लिम होने की वजह से न भर्ती करने की बात को साफ इंकार कर दिया है.

इधर पीड़िता ने कहा कि डॉक्टरों ने उसे देखने के बाद एक इंजेक्शन लगाया और सोनोग्राफी रिपोर्ट देखी. रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टरों ने जयपुर रेफर करने की सलाह दी. पीड़ित महिला के परिजनों ने किसी नेता को फोन करके एक एंबुलेंस मंगाई जिसके बाद महिला एंबुलेंस में बैठी. कुछ देर के बाद महिला ने एक मृत बच्चे को जन्म दिया.

पीड़ित महिला ने इस वीडियो में साफ-साफ कहा है- ऐसे तो किसी ने नहीं कहा कि तुम मुसलमान हो.

7वीं बार गर्भवती, शरीर में खून बेहद कम

इसके बाद परिजनों ने महिला को इलाज के लिए एक जनाना अस्पताल में भर्ती किया. इधर, चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने बताया कि पीड़िता परवीना की यह 7वीं डिलीवरी थी। उसे साढ़े 6 माह का गर्भ था। लेबर पेन और ब्लीडिंग शुरू होने के कारण सुबह 6 बजे नगर सीएचसी से रैफर किया गया था। यह महिला सुबह 8.30 बजे भरतपुर के जनाना अस्पताल में पहुंची, जहां दो महिला डॉक्टरों ने उसकी जांच की थी। चूंकि यह मामला काफी क्रिटिकल था, जिसमें मां और बच्चे की जान संकट में थी। इसलिए उसे जयपुर के लिए रैफर किया गया।

रेफरल पर्ची में ही पोल खुल गई

हालांकि इस फेक न्यूज की पोल तभी खुल गई थी जब अस्पताल द्वारा जारी की गई स्लीप सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हुआ. एक पत्रकार ने हॉस्पिटल द्वारा जारी की गई रेफरल स्लिप को शेयर किया जिसमें साफ पता चलता है कि मुस्लिम महिला की ये 7वीं डिलीवरी थी. और इस बार महिला के शरीर में खून की बेहद कमी थी.

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रेफरल स्लीप के अनुसार महिला को एंटिपार्टम हैमरेज नाम का कोई रोग है जिसकी वजह से प्रसव के वक्त काफी रक्तस्राव होता. जिसके कारण डॉक्टर कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे. इसीलिए उन्होंने रेफर कर दिया.

हालांकि मुख्य धारा की मीडिया ने इस खबर को मुस्लिम-हिंदू का रंग देना शुरु कर दिया. एक बार भी किसी ने जांच करने की नहीं सोची कि आखिर माजरा क्या है. इस खबर के आने के बाद सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने हिंदुओं पर सवाल करना शुरु कर दिया कि हिंदू डॉक्टरों ने एक गर्भवती महिला का इलाज सिर्फ इसलिए नहीं किया क्योंकि वह मुस्लिम थी. ऐसे में पीड़ित महिला के पति और फेक न्यूज फैलाने वाले मीडिया संस्थानों पर सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.

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