WHO की इस अधिकारी ने Corona को लेकर पहले ही ये बात कह दी थी, अगर WHO मान लेता तो आज इतनी तबाही न होती

WHO की आंखो पर चीन की पट्टी बंधी थी, वो मौका हाथ से निकल गया

कोरोना, चीन, WHO, डॉ. मारिया

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कोरोना पर चीन और WHO की मिलीभगत के आरोप शुरू से ही लगाए जा रहे हैं, लेकिन आए दिन ऐसी खबरें सामने आ रही हैं जिनसे यह और भी ज़्यादा स्पष्ट होता जा रहा है कि WHO और चीन के बीच वाकई कोई सांठगांठ थी। दरअसल, अब WHO की एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह दावा किया है कि उसे यह शुरु से ही पता था कि यह वायरस मनुष्यों से मनुष्यों में फैलता है।

बता दें कि जनवरी के आधे महीने बीत जाने तक WHO बार-बार ज़ोर देकर यह बात कह रहा था कि इस वायरस के मनुष्यों से मनुष्यों में फैलने के कोई सबूत नहीं मिले हैं। अब WHO की अधिकारी के इस बयान से यह साफ हो गया है कि WHO ने जान-बूझकर इस बात को छुपाया।

बीते सोमवार को WHO की अधिकारी और मेडिकल एक्सपर्ट डॉ मारिया वान करखोवे ने एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान इस बात को स्वीकारा कि उन्हें यह दिसंबर महीने में ही पता चल गया था कि यह वायरस इंसानों से इंसानों में फैलता है। डॉ. मारिया ने प्रेस को बताया-

“31 दिसंबर को जब हमें इस वायरस के बारे में सबसे पहले पता चला, और जब पता लगा कि यह न्यूमोनिया का एक क्लस्टर है और यह respiratory pathogen है, तो मुझे तभी आभास हो गया था कि यह इन्सानो से इन्सानो में फैलना शुरू हो गया होगा, क्योंकि मैं एक MERS और कोरोनावायरस विशेषज्ञ हूं, और ये वायरस इंसानों से इंसानों में फैलते हैं

अब यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर WHO को शुरू से ही यह अहम जानकारी पता लग चुकी थी, तो उसने इस बात को सबसे क्यों छिपाया? आइए आपको बताते हैं कैसे WHO ने लगातार इस बात को नकारा कि यह वायरस इंसानों में एक दूसरे से फैलता है। WHO ने जनवरी महीने में 14 तारीख को चीन के अधिकारियों पर अंध विश्वास करते हुए यह दावा कर डाला था कि यह वायरस एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में नहीं फैलता है और इस संबंध में उसने एक ट्वीट भी किया था ।

इसी प्रकार 12 जनवरी को डबल्यूएचओ ने अपनी एक प्रेस ब्रीफ़ में कहा था-

“चीनी जांच एजेंसियों के मुताबिक अभी इस वायरस के इंसानों से इंसानों में फैलने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। वुहान में काम कर रहे किसी भी स्वास्थ्य कर्मी में इस बीमारी के लक्षण नहीं पाये गए हैं जो इस दावे को सत्यापित करता है

बाद में WHO का यह दावा भी झूठा निकला और यह खबरें सामने आई कि जिन भी डॉक्टरों ने इस बीमारी के बारे में मुंह खोलने की कोशिश की, या तो उनका मुंह बंद करवा दिया गया या फिर उन्हें अगवा करवा दिया गया। वुहान में आई फेन नाम की एक डॉक्टर ने जब अपने हॉस्पिटल में अन्य स्टाफ वर्कर्स को इस नये वायरस के बारे में बताया तो अस्पताल की ओर से उसे इस बारे में कुछ भी बोलने और “अफवाह फैलाने” से बाज़ आने को कहा।

इसके अलावा जब फेन ने एक मैगज़ीन को इस वायरस से संबन्धित इंटरव्यू दिया, तो चीनी अधिकारियों ने चीन की सोशल मीडिया से उस इंटरव्यू को हटाने की भरपूर कोशिश की। यह दिखाता है कि चीन कैसे WHO को झूठ पर झूठ परोसते गया और WHO एक तोते की तरह वही सब पूरी दुनिया के सामने रटता गया।

जो WHO की अधिकारी आज इस बीमारी के संक्रमण से जुड़े इन तथ्यों को पहले से ही जानने का दावा कर रही हैं, उन्हीं डॉ मारिया ने 14 जनवरी को एक प्रेस ब्रीफ़ में यह दावा किया था कि यह वायरस इन्सानो से इन्सानो में नहीं फैलता है। इसका अर्थ है कि या तो डॉ मारिया तब मीडिया को झूठ बोल रही थीं, या फिर आज वो झूठा दावा कर रही हैं। आखिर में जब यह वायरस दुनिया के हर एक कोने में फैल गया, तो जनवरी के अंत में WHO ने माना कि यह वायरस इंसानों से इन्सानों में फैलता है। सोचिए अगर WHO समय रहते इन तथ्यों की जांच कर लेता तो दुनिया में आज इतनी बड़ी तबाही देखने को नहीं मिलती।

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