‘कोरोना काल खत्म होने के बाद मुस्लिम दुकानदार बेरोजगार होंगे’, कारण- जमातियों की गलती

हम नहीं खबरें बता रही हैं कि इसकी शुुरुआत हो चुकी है

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कहते हैं न कि किसी एक के किए की सजा पूरे समाज को भुगतना पड़ता है। कुछ ऐसा ही भारतीय मुस्लिमों के बीच देखने को मिल रहा है। यह तो सभी को पता है कि पूरे देश में कोरोना का कहर जारी है। भारत में कोरोना फैलाने वालों में अगर कोई सबसे आगे रहा है तो वे तबलीगी जमात के लोग ही हैं।

इसी मानसिकता के कुछ और लोग भी हैं जो कोरोना जैसी महामारी को हल्के में ले रहे हैं और सरकार के निर्देशों के ठीक उलट कर रहे हैं। इसी एक वर्ग की वजह से देशभर से मुस्लिमों के बहिष्कार की खबरें आने लगी हैं। जामतियों की गलती का असर कोरोना के जाने के बाद भी जारी रह सकता है।

उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में लोग मुसलमानों से सब्जी खरीदने से इन्कार कर देते हैं, तो दिल्ली के शास्त्री नगर के बी- ब्लॉक इलाके में एक बैठक कर तय किया गया कि कॉलोनी में किसी भी मुसलमान ठेले वालों को घुसने नहीं देंगे। मेरठ में वैलेंटिस कैंसर अस्पताल में विज्ञापन चिपका दिया जाता है कि मुसलमान केवल तब आयें जब उनकी कोरोना की जांच हो चुकी हो।

इसी तरह पंजाब के होशियारपुर में दूध बेचने वाले गुर्जर मुसलमानों पर हमले हुए। यह कुछ ही उदाहरण हैं। लेकिन जिस तरह से तबलीगीयों ने लॉकडाउन को धत्ता बताते हुए पूरे देश में कोरोनावायरस फैलाया है ये सब उसी के नतीजे हैं।

शुरुआत में जब तबलीगी का मामला 30 जनवरी को सामने आया उसके बाद से तबलीगी जमात, नाम को आज देश का एक-एक नागरिक जानने लगा है। कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई को कमजोर करने में सबसे बड़ी भूमिका इसी संगठन की ही तो रही है।

चाहे सभी नियमों और कानूनों को ताक पर रखकर भीड़ जुटाना हो, या फिर स्वास्थ्य कर्मियों के साथ बुरा व्यवहार करना हो, थूककर कोरोना का आतंक फैलाना हो या फिर इन लोगों को एक्सपोज कर रही मीडिया को सरेआम धमकी देनी हो, तबलीगी जमात ने हर पैमाने पर अपने आप को एक घटिया, स्तरहीन और कट्टरपंथी सोच से प्रेरित संगठन के तौर पर प्रदर्शित किया है।

आंकड़े इस बात के प्रमाण हैं कि अगर तब्लीगी जमात से जुड़े संक्रमण के मामले नहीं आए होते तो देश में कुल मामले बढ़ने की रफ्तार आधी होती।

इस महीने की शुरुआत में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बयान दिया था-

इस समय कोरोना के मरीजों की कुल संख्या दोगुनी होने में 4.1 दिन का समय लग रहा है। यदि तब्लीगी जमात के मरीजों को इसमें से हटा दिया जाए तो यह रफ्तार अब भी आधी है। तब्लीगी जमात से इतर मरीजों की संख्या दोगुनी होने में अभी 7.4 दिन का वक्त लग रहा है इससे आप समझ सकते हैं कि कैसे तबलीगी ने देश के रिकॉर्ड को बिगाड़ कर रख दिया।

स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव ने यह भी कहा था कि भारत के कोविड-19 के 30 फ़ीसदी मामलों के तार तब्लीग़ी जमात से जुड़े हैं।

और बात सिर्फ आंकड़े खराब करने तक ही सीमित नहीं है। तबलीगी जमात के लोगों पर अक्सर स्वास्थ्य कर्मियों से बुरा व्यवहार करने की खबरें भी आती रहती हैं।

इस महीने की शुरुआत में ही जब निजामुद्दीन मरकज से निकाले गए करीब 2,300 से ज्यादा लोगों को क्वारंटाइन सेंटर और अस्पताल में भर्ती किया गया था तो उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (CPRO) दीपक कुमार ने बड़े ही चौकाने वाले खुलासे किए थे। तब उन्होंने बताया था-

ये लोग सुबह से अनियंत्रित थे और खाने पीने की अनुचित मांग कर रहे थे। उन्होंने क्वारैन्टाइन सेंट्रर के कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार किया। इसके अलावा उन्होंने काम करने वाले सभी लोगों और डॉक्टरों पर थूकना शुरू कर दिया और ये लोग हॉस्टल बिल्डिंग में भी घूम रहे थे

इसके अलावा ये खबरें भी आई थीं कि गाज़ियाबाद के अस्पताल में तबलीगी जमात के लोग नर्सों के साथ अभद्र व्यवहार कर रहे थे और अपनी पैंट उतारकर अश्लील इशारे भी कर रहे थे, जिसके बाद अब योगी सरकार ने उन सभी पर NSA के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया था।

वहीं इसी वर्ग में कई और जमाती भी हैं जो कोरोना फैलाने का काम कर रहे हैं। कभी डॉक्टरों पर पत्थरों से हमला करते हैं, तो कभी पुलिस वालों को ही खदेड़ लेते हैं। कुछ ऐसा ही हमें मुरादाबाद के एक इलाके में देखने को मिला था जब मेडिकल चेक-अप करने के लिए गए स्वास्थ्य कर्मियों पर पत्थरों की वर्षा कर दी गयी।

मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने संभवत: कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति को लेने गई मेडिकल एंबुलेंस पर पर जमकर पथराव किया। इस दौरान मानवता के दुश्मनों ने डॉक्टरों को बुरी तरह से पीटा और उन्हें बंधक बना लिया। इस हमले में हिंसक भीड़ ने दो एंबुलेंस को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था।

वहीं 2 स्वास्थ्य कर्मी भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस घटना से कुछ दिन पहले इंदौर और मधुबनी से भी इसी तरह की खबरें सामने आ चुकी हैं। इस तरह का व्यवहार कौन करता है? हम कह सकते हैं कि ऐसा सिर्फ जिहादी मानसिकता वाले लोग ही कर सकते हैं.

देश की जनता यह सब देख रही है और उनके मन में भी कोरोना फैलाने वालों के प्रति नफरत बढ़ती जा रही है। अगर जामती ऐसी हरकतें आगे भी जारी रखते हैं तो इनके कारनामों का खामियाजा पूरे मुस्लिम समुदाय के लोगों को झेलना पड़ेगा।

देश की जनता जमातियों से इस प्रकार डर जाएगी कि कोई भी किसी मुस्लिम के दुकान से कुछ समान खरीदने या फिर किसी मुस्लिम ठेले वाले से सब्जी खरीदने से पहले दस बार सोचेगा। कोई भी व्यक्ति मुस्लिम समाज के लोगों को जामती समझकर अपने घरों में नहीं आने देगा और इन जमातियों की वजह से लोग मुस्लिमों के सैलून पर बाल कटवाने से भी डरेंगे.

देशभर में इसी तरह कई छोटे-मोटे काम-धंधे हैं जिनसे गरीब मुस्लिम परिवार अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं लेकिन कुछ जमातियों की वजह से उन्हें अपने धंधे से हाथ धोना पड़ सकता है।

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