रमज़ान में एशिया के मुसलमानों में मस्जिद खोलने का जोश, अरब के देशों में फॉलो किया जा रहा लॉकडाउन

अब कोरोना ही इनका जोश ठंडा कर सकता है

रमज़ान

प्रतीकात्मक तस्वीर

चीन में उत्पन्न वुहान वायरस ने मानो विश्व की दिनचर्या ही बदल कर रख दी है। इस महामारी ने एक ऐसी लकीर खींची है, जो अब शायद ही मिट पाएगी। वुहान वायरस ने इस्लामिक लोगों के बीच एक अदृश्य लकीर खींच दी है, अपनी जान को कीमती समझने वाले मुसलमान और अपने मजहब को सर्वोपरि समझने वाले मुसलमानों के बीच।

एक ओर जहां पश्चिमी एशिया में इस्लाम बहुल देश रमज़ान के समय घर पर रहकर अपने समुदाय के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं, तो वहीं हाल ही में मुसलमान बने पूर्वी एशिया के कई इस्लाम बहुल देश अपनी मानसिक दिवालियापन का परिचय देते नजर आ रहे हैं।

सऊदी अरब और यूएई अन्य देशों की भांति वुहान वायरस का संक्रमण कम से कम रखना चाहता है। इसीलिए उन्होंने स्थिति सुधरने तक रमज़ान के दौरान होने वाली नमाज़ को घरों तक सीमित रखने का आदेश दिया है।

इतना ही नहीं, सऊदी अरब में कई अफसरों ने यह भी सुझाव दिया है कि जब तक स्थिति पूर्णतया नॉर्मल नहीं होती, तब तक हज यात्रा पर पूर्णतया रोक लगाई जाए। यूएई भी इसी दिशा में एक अहम कदम उठाता हुआ दिखाई दिया है। कहा गया है कि यूएई के शेख ज़ायेद मस्जिद से रमज़ान की दुवा का टीवी पर लाईव प्रसारण किया जायेगा।

परन्तु पूर्वी छोर पर ऐसा कुछ भी होता हुए दूर दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है। क्या इंडोनेशिया, क्या पाकिस्तान, यहां के मुसलमानों ने मानो सब कुछ अल्लाह के भरोसे छोड़ दिया है। हमें बताने की आवश्यकता नहीं कि तब्लीगी जमात के सदस्यों के कारण इंडोनेशिया, मलेशिया जैसे देशों में वुहान वायरस ने कैसा तांडव मचाया है। 

पाकिस्तान में तो स्थिति ऐसी है कि प्रशासन ने मौलवियों के सामने मानो घुटने ही टेक दिए हैं। रमज़ान के समय डॉक्टरों के लाख सुझाव के बाद भी इमरान खान की सरकार ने रमज़ान में होने वाली नमाज़ के लिए मौजूदा रोक में ढील देने की अनुमति दे दी है।

इतना ही नहीं, रोके जाने पर नमाज़ी पुलिस पर ही टूट पड़ते हैं। पाकिस्तान के कराची के लियाकतबाद इलाके में शुक्रवार की नमाज के दौरान पुलिस और अन्य लोगों के बीच झड़प हो गई। घटना के बाद पुलिस ने मस्जिद के मौलवी सहित सात लोगों को लॉकडाउन का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। यह घटना सरकार की ओर से तीन घंटे के लिए लगाए गए पूर्ण लॉकडाउन के दौरान हुई। यह घटना सिर्फ पाकिस्तान में ही नहीं हो रही है बल्कि बांग्लादेश और भारत में भी हो रही है।

भारत में भी स्थिति ज़्यादा बेहतर नहीं है। अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के कारण कुछ क्षेत्रों में नमाजियों को अनावश्यक छूट दी जा रही है। जहां मुंबई में घोषणा की गई कि रमज़ान के समय बाज़ार को खुलने की अनुमति होगी, तो वहीं दिल्ली की स्थिति मनजिंदर सिंह सिरसा ने एक ट्वीट से यूं बयान की,

पाकिस्तान और बांग्लादेश में लगातार जमा हो रही भीड़ और फिर नमाज पर रोक लगाने के बाद हुई हाथापाई से यह समझना मुश्किल नहीं है कि लोग अपने स्वास्थ्य से ऊपर अपने धर्म को हो ही रख रहे हैं। इसी तरह धर्म को बढ़ावा देने का नतीजा मलेशिया और ईरान  देख चुका है और भारत में तबलीगीओं के कारण कोरोना का बढ़ता कहर देखा जा रहा है। भारत में कोरोना से होने वाले कुल केस में से 1000 से अधिक तो निज़ामुद्दीन के मरकज में शामिल होने से फैला है। बावजूद इसके ये सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं और उल्टे रोकने वाली पुलिस पर ही हमला कर रहें है।  ऐसा लगता है कि ये कभी सुधरने वाले नहीं है। ऐसे लोग न सिर्फ समाज को संक्रमित कर रहे हैं बल्कि अपने घर वालों को भी।

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