Red, Orange और Green जोन: ‘जान और जहान’ दोनों को बचाने के लिए क्या है पीएम मोदी नई लॉकडाउन रणनीति?

कोई भूखा भी नहीं रहेगा और कोरोना को भी हराएंगे

लॉकडाउन

जैसा कि हम सभी इस बात से परिचित है, भारत में वुहान वायरस को लेकर लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन अभी कुछ दिन और बढ़ने वाला है। इसके पीछे हाल ही में प्रधानमंत्री ने देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुखों के साथ बैठक की, जिसमें अधिकांश लोग इस बात से सहमत थे कि लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए। इसी बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक ऐसा सुझाव दिया कि स्वयं पीएम मोदी भी उनकी प्रशंसा करने से रोक नहीं पाए।

लॉकडाउन के बढ़ाए जाने के इस निर्णय के आर्थिक पक्ष को अनदेखा नहीं किया गया, और इसीलिए यह भी सुझाव मांगा गया कि कैसे भारत की अर्थव्यवस्था को संकट की इस घड़ी में धीरे धीरे ही सही, पर स्थिति बिगड़ने से पहले ही पटरी पर लाया जा सके। इसी प्रश्न पर मनोहर लाल खट्टर ने सुझाव दिया कि 15 अप्रैल से धीरे धीरे लॉकडाउन के दायरे को बढ़ाया जाए और भारत को अलग अलग ज़ोन में परिवर्तित किया जाए –

बता दें कि वुहान वायरस से संक्रमण के मामले भारत में अभी नहीं रुके हैं। 9152 इस महामारी से अब तक संक्रमित हो चुके हैं, और 300 से ज़्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर 800 से भी ज़्यादा लोग इस बीमारी से ठीक हुए हैं।

तो इसका zoning से क्या सम्बन्ध है? दरअसल, मनोहर लाल खट्टर के सुझाव के अनुसार उन क्षेत्रों और शहरों में आवश्यक कृषि और उद्योग के गतिविधि बहाल होनी चाहिए, जहां पर वुहान वायरस का प्रकोप अभी नहीं पड़ रहा है। जहां पर इस महामारी का प्रकोप सर्वाधिक है, जैसे दिल्ली, मुंबई इत्यादि, उन्हें रेड ज़ोन में ही सीमित रखें, यानी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को छोड़कर किसी अन्य आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा।

जहां पर मामला एक या दो है, अथवा जहां मामले नियंत्रण में हो, जैसे भीलवाड़ा, आगरा इत्यादि, उन्हें ऑरेंज ज़ोन में रखा जाएगा। यहां आर्थिक गतिविधियों पर थोड़ी कम रोकथाम होगी।

जिन जिलों अथवा नगरों में वुहान वायरस का एक भी केस नहीं पाया गया है, उन्हें ग्रीन ज़ोन में चिन्हित किया जाएगा। ग्रीन ज़ोन में आवश्यक प्रबंध सहित ना केवल उद्योगों को खुलने की स्वतंत्रता मिलेगी, अपितु कृषि उत्पादन को भी प्रारंभ किया जा सकेगा।

यदि इसे पूर्ण रूप से स्वीकृति मिलती है, तो इस एक तीर से दो निशाने साधे जाएंगे। एक तो अर्थव्यवस्था को कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा, और दूसरा कि चरणबद्ध तरीके से भारत में लॉकडाउन खुलेगा, जिससे भारत में वुहान वायरस की महामारी को दोबारा पांव पसारने का अवसर बिल्कुल नहीं मिलेगा।

सच कहें तो मनोहर लाल खट्टर के इस सुझाव में परिपक्वता और दूरदर्शिता साफ दिखती है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट की माने तो कुछ अफसरों का मानना है ग्रीन ज़ोन में शराब की दुकानों को भी सीमित समय के लिए खुलने का अवसर मिलेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य सरकारों की इससे काफी राजस्व मिलता है।

सरकार इस बात पर सहमत है कि लॉकडाउन में कोई ढील नहीं बरती जाएगी, परन्तु वे यह भी जानती है कि अनिश्चितकाल तक अर्थव्यवस्था को ठप नहीं किया जा सकता।  इसीलिए सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए वुहान वायरस मुक्त क्षेत्रों में 15 आवश्यक उद्योगों को उत्पादन के लिए हरी झंडी दे दी है, और आशा की जा रही है कि जल्द ही भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी।

 

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