‘मरकज से आने के बाद मिठाइयां बांटना, गले मिलना, थूकना’ पूरी साजिश के तहत जमातियों ने भारत में कोरोना फैलाया

कोरोना जिहादियों की क्रोनोलॉजी पढ़कर माथा ठनक जाएगा

तबलीगी जमात

PC: Al Jazeera

तबलीगी जमात के बारे में रोज कोई न कोई नए तथ्य सामने आ रहे हैं जिससे इस जमात द्वारा जानबूझकर फैलाये गए कोरोना की पुष्टि हो रही है। अब भारत में कोरोना पॉज़िटिव मामले बढ़ कर 6,500 को पार कर चुका है जिसमें से 1700 मामले जमात से जुड़े हैं। यह जमात भारत के किसी एक कोने में नहीं बल्कि गाँव गाँव तक कोरोना फैला चुका है। कल ही एक रिपोर्ट आई जिसमें यह तथ्य सामने आया कि मरकज से लौट रहे कुछ तबलीगीयों ने आगरा से मिठाई खरीदी थी और उसे रास्ते भर बांटते आए थे।

यानि अब जा कर इस बात का खुलासा हुआ है कि मरकज में शामिल होने के बाद ये सभी बस या ट्रेन से अपने घर लौटते समय अपने साथ के यात्रियों को मिठाई बांटते आए यानि कोरोना किस-किस शहर पहुंच चुका है ये पता लगाना रेत के पहाड़ में सुई ढूँढने जैसा हो चुका है।

ऐसे केस बदायूं, पीलीभीत बरेली और सहजहांपुर में मिले हैं और इन्हें बाकी स्थान पर ढूँढना योगी सरकार के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है। अब अधिकारियों को इन सभी को ढूँढने के लिए युद्ध स्तर पर कार्यक्रम चलाना पड़ेगा कि आखिर किस-किस को मिठाई बांटी गई और किन लोगों ने तबलीगीयों द्वारा दी गयी मिठाई को खाया।

ये तो बस एक मामला था जहां से ये साफ हो रहा है कि इनका मकसद क्या था।  बिहार में तो जमाती नर्स के साथ बदतमीजी करने लगे और उन्हें यह धमकी दिया कि वे नर्सों की फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देंगे। यह घटना गाजियाबाद में हुई घटना से भी मिलती है जहां जमाती qurantain में बिना पैंट के घूम रहे थे और नर्सों को गलत-गलत इशारे कर रहे थे। यह कैसा व्यवहार है ? किसी बीमारी के मरीज का तो ऐसा व्यवहार नहीं होता है। यह एक सुनियोजित व्यवहार लगता है। ऐसी घटनाओं से ऐसा प्रतीत होता है कि तबलीगी जामत ने जानबूझकर और सुनियोजित तरीके से कोरोना को पूरे भारत में फैलाया। अगर ऐसा नहीं होता तो आखिर वे उत्तर प्रदेश के अलग अलग रस्तों पर मिठाई क्यों बांटते हुए गये?

कल भी दिल्ली में COVID-19 संक्रमण के कुल 93 मामले सामने आए थे, इनमें सभी के सभी तबलीगी जमात से जुड़े लोग था। इस मामले को केंद्रीय शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने इसे फिदायनी हमला करार दिया है। उन्होंने कहा कि तबलीगी जमात ने घातक जानलेवा वायरस फैलाकर भारत पर फिदायीनहमले की योजना बनाई थी। रिजवी ने एक बयान में कहा कि जमातियों ने वायरस फैलाकर एक लाख से अधिक लोगों को मारने की योजना बनाई थी। रिजवी के बयान और पिछले कुछ समय की घटनाओं की बारीकियों को समझे तो वास्तव में फिदायीनहमले की योजना ही लगती है।  सिर्फ मिठाई बांटने की घटना ही इनके प्लान को नहीं दिखाता बल्कि ऐसी कई घटनाएँ हैं। शुरू से ही मौलाना साद जिसने ये जलसा आयोजित किया था, उसके भड़काऊ बयान भी जांच के घेरे में है और पुलिस उसे ढूंढ रही है। दरअसल, जैसे ही तबलीगी से जुड़े कोरोना के मामले सामने आने लगे उसी समय एक वीडियो भी वायरल हुई थी जिसमें इस मौलाना को भड़काऊ भाषण देते हुए सुना जा सकता है। उसने वीडियो में कहा, “वे हमे रोकने और बांटने की कोशिश करेंगे और कहेंगे कि हम एक स्थान पर एकत्रित न हो। वे हमे संक्रमित होने का डर दिखा कर हमें डराने की कोशिश करेंगे। यह नियंत्रण हम मुसलमानों को एक जुट हो कर हाथ मिलने से रोकने के लिए लगाया गया है।“

अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह मौलाना कोरोना के समय में भी कैसे भड़काऊ बयान दे रहा है, और सबसे बड़ी बात यह है कि बाकी तबलीगी इसे मान भी रहे हैं। उन्होंने अपने स्वास्थ्य से पहले धर्म को ऊपर रखा है।

मध्य प्रदेश के इंदौर समेत देश के कई हिस्सों में हुए डाक्टर और पुलिसवालों पर पत्थर से हमले इसी मानसिकता को दर्शाते हैं। सिर्फ हमला ही नहीं बल्कि पकड़े जाने के बाद हॉस्पिटल जाने से बचने के लिए कई तबलीगी तो गायब ही हो चुके हैं और वे अपनी ट्रैवल हिस्ट्री छिपा कर पता नहीं कितने ही लोगों को संक्रमित कर रहे हैं। पुणे से भी इसी तरह की खबर आई थी जब एक तबलिगी के कारण 93 स्टाफ और डॉक्टर को कोरोना होने का डर हो गया था।

ऐसी भी रिपोर्ट आ रही है कि इन 60 जमातीयों ने अपने फोन भी बंद कर लिये हैं जिससे वे अधिकारियों द्वारा ट्रेस न किए जा सके और वायरस को फैलाते रहे।

ये तबलीगी मानवता की हद पार करते हुए सभी स्थान पर थूक कर कोरोना फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। ये सिर्फ qurantain में ही थूक कर गंदगी नहीं फैला रहे बल्कि डॉक्टरों और अधिकारियों पर भी थूक रहे हैं। जैसे ही निज़ामुद्दीन पर कार्रवाई हुई थी उसी दिन इनके अधिकारियों पर थूकने की खबर आई थी।

ऐसी हालत हो चुकी है कि अब तबलीगी के कारण कोरोना जम्मू कश्मीर से लेकर दक्षिण में केरल तमिलनाडू और तेलंगाना तक पहुंच चुका है, पूरब में महाराष्ट्र से लेकर पश्चिम में असम और अरुणाचल प्रदेश तक को इन्होंने नहीं छोड़ा है। अरुणाचल प्रदेश में तो एक गैर अरुणाचली व्यक्ति कोरोना पॉज़िटिव पाया गया जो तबलीगी जमात के निज़ामुद्दीन में हुए मरकज़ में गया था।

यह सोचने वाली बात है कि आखिर एक गैर-अरुणाचली व्यक्ति मरकज़ में शामिल होने के बाद आखिर अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्य में क्या करने जाएगा? उसका मकसद कोरोना फैलाना नहीं है तो आखिर क्या है?

यह एकमात्र संयोग नहीं हो सकता है कि एक ही कट्टरपंथी संगठन ने दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में चार बड़े-बड़े जलसे आयोजित किया जिसमें से मलेशिया में श्री पेटालिंग मस्जिद सम्मेलन में 16,000 लोगों का शामिल होना, इन्डोनेशिया में 8 हजार से अधिक लोगों का शामिल होना,  निजामुद्दीन मरकज सम्मेलन में 9 हजार से अधिक जमातीओं का शामिल होना,  कोरोनवायरस के प्रकोप के बीच पाकिस्तान के लाहौर में 80 देशों के हजारों तबलीगी का शामिल होना।

इस संगठन ने दक्षिण एशिया में आतंक और जिहाद की तरह कोरोना को फैलाया है। इन कार्यक्रमों से कोरोना के बड़े बड़े क्लस्टर बन गए जिससे कोरोना आसानी से फैल गया।

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि इन सभी ने जानबूझकर एक साजिश के तहत ही कोरोना को फैलाया।

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