West Asia में भारतीय मुस्लिम बने हिंदुओं के दुश्मन, तबलीगियों के खिलाफ बोलने वाले हिंदुओं को फंसा रहे

धर्म पहले-धर्म बाद में, देश गया तेल लेने

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प्रतिकात्मक तस्वीर

अक्सर एक सवाल मन में कौंधता है, यदि बेवकूफ को बेवकूफ और गधे को गधा बोलें, तो क्या बुरा हो जाएगा? शायद कुछ नहीं, बशर्ते आप पश्चिमी एशिया के किसी देश में ना हो। पिछले कुछ दिनों से गैर मुस्लिमों, विशेषकर हिन्दुओं की शामत आई हुई है, क्योंकि तब्लीगी जमात के उत्पात पर जिसने भी उंगली उठाई है, उसे वामपंथी पत्रकार सड़क पर आने को विवश कर दे रहे हैं।

हाल ही में यूएई से खबर आई थी कि एक व्यक्ति को नौकरी से सिर्फ इसलिए निकाल दिया गया, क्योंकि उसने तब्लीगी जमात पर एक तीखी टिप्पणी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर की थी। इतना ही नहीं, इस व्यक्ति पर अब जेल जाने का खतरा भी मंडरा रहा है।

https://twitter.com/Iyervval/status/1248511131284467712?ref_src=twsrc%5Etfw

परन्तु बात यहीं पर नहीं रुकती। पश्चिमी एशिया के कई देशों में अपने आप को वामपंथ के अनुयाई बताने वाले मुस्लिम पत्रकार एक सुनियोजित तरीके से हिन्दुओं को ईश निंदा के झूठे आरोपों में फंसाने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं। यही लोग CAA के नाम पर भारत विरोधी अफवाहें फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ते, और अब यही लोग तब्लीगी के सदस्यों को बचाने के लिए दिन रात एक किए पड़े है।

वुहान वायरस  के कारण भारत में कुल मामले 8500 के पार पहुंच चुके हैं। इस अप्रत्याशित उछाल के पीछे सबसे प्रमुख कारणों में से एक रहा है तब्लीगी जमात, जिसके सदस्यों ने पूरी व्यवस्था को तहस-नहस करके रख दिया। परंतु कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो इन जाहिलों की कायराना हरकतों को अपना समर्थन देने से तनिक भी नहीं हिचकिचा रहे हैं।

अभी हाल ही में हफ्ते भर पहले एक चिंताजनक खबर गाज़ियाबाद के एक अस्पताल से सामने आई। वहां के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने पुलिस को शिकायत करते हुए लिखा था कि गाज़ियाबाद में तब्लीगी जमात के सदस्यों को quarantine किया गया है, वे न सिर्फ अस्पतालों में उत्पात मचा रहे हैं, अपितु महिला स्टाफ, विशेषकर नर्सों के साथ बदतमीजी भी कर रहे हैं, और उनके साथ छेड़खानी भी कर रहे हैं। इससे आग बबूला होकर योगी आदित्यनाथ ने न केवल इन असामाजिक तत्वों के विरुद्ध रासुका के अंतर्गत कार्रवाई की यूपी पुलिस को खुली छूट दी, अपितु इसे एक अमानवीय कार्य भी करार दिया।

परन्तु जो खाड़ी देशों में प्रवासी भारतीयों, विशेषकर हिन्दुओं के साथ हो रहा है, उससे स्पष्ट पता चलता है कि यह वामपंथी अपनी कुत्सित मानसिकता को बढ़ावा देने के लिए किस हद तक गिर सकते हैं। इनके लिए इनका घृणित एजेंडा तर्क, मानवता, यहां तक कि व्यवहारिकता से भी बढ़कर है।

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