कोरोनावायरस ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया है और काला बाज़ार भी इससे अछूता नहीं है। पूरे विश्व में आई आर्थिक मंदी का असर अवैध ड्रग व्यापार पर भी दिखाई दे रहा है। दुनियाभर में लॉकडाउन होने की वजह से सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुई है और हमेशा प्रॉफ़िट में रहने वाला यह अवैध ड्रग व्यापार अब भारी घाटा उठाने पर मजबूर हो रहा है।
लॉकडाउन होने की वजह से ये ड्रग कार्टल अब पौधों से मिलने वाले ड्रग्स जैसे हीरोइन और गांजे को छोड़कर सिंथेटिक ड्रग्स के व्यापार की ओर मुंह मोड़ने लगे हैं। सिंथेटिक ड्रग हीरोइन से 50 गुना ज़्यादा ताकतवर होता है और इसमें मुनाफा भी ज़्यादा होता है। लेकिन समस्या यहाँ भी है। दरअसल, यह ड्रग कार्टल methamphetamine और fentanyl जैसे सिंथेटिक ड्रग के उत्पादन के लिए आवश्यक कैमिकल्स के लिए चीन पर ही निर्भर रहते हैं, और वुहान शहर इन कैमिकल्स के उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र है। हालांकि, कोरोनावायरस की वजह से बंद पड़े वुहान का असर इन कैमिकल्स की सप्लाई पर पड़ा है, और इन ड्रग के व्यापारियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
लॉकडाउन ने इन्हें बड़ा आर्थिक झटका पहुंचाया है। उदाहरण के लिए लॉकडाउन के बाद अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर अब बंद पड़ चुका है, जहां इन ड्रग्स की सबसे ज़्यादा सेल होती थी। इन ड्रग्स की तस्करी अब मुश्किल हो गया है। ड्रग कार्टल को सप्लाई और डिमांड दोनों ओर से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सप्लाई है नहीं और डिमांड बहुत तेजी से बढ़ी है। कोकेन के दामों में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। अमेरिका के los Angeles में methamphetamine ड्रग का दाम 1800 डॉलर प्रति पाउंड पहुँच चुका है।
Mexican Intelligence Agency के सुरक्षा विशेषज्ञ आलेजेंडरों हॉप के मुताबिक “इन्हें सप्लाई करने में सबसे बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। अगर एक बार आप ड्रग को बाज़ार में ले भी आओ, तो इसे बेचोगे किसको?”
US ड्रग एनफोर्समेंट एडमिन के मुताबिक देश में मनी लॉड्रिंग और डार्क वेब पर ड्रग सेल में भारी कमी देखने को मिली है। सप्लाई में दिक्कतें आना ही सबसे बड़ा कारण है कि इन सिंथेटिक ड्रग्स के दाम आसमान पर पहुँच चुके हैं। ये ड्रग कार्टल अपने कैमिकल्स की सप्लाई के लिए चीन पर निर्भर रहता है और फिर इन कैमिकल्स को चीन से अमेरिका में लाया जाता है। कोरोना महामारी के कारण यह ट्रांसपोर्ट अब ठप पड़ चुका है। इन ड्रग कार्टल को शायद अब चीन पर उनकी ज़रूरत से अधिक निर्भरता का अहसाह हो गया है और यही कारण है कि अब ये सभी इन कैमिकल्स का उत्पादन घरेलू तौर पर करने की सोच रहे हैं।
Global Organization for Intelligence के अध्यक्ष जोहन ओबड़ोला के मुताबिक “चीन में लगभग 5 हज़ार ऐसी अवैध लैब्स काम करती हैं जहां इन सिंथेटिक ड्रग्स को प्रोसेस किया जाता है। इन ड्रग्स का सबसे बड़ा बाज़ार यूरोप और उत्तर अमेरिका होता है”। जोहन आगे कहते हैं कि “खाने के एक्सपोर्ट, सब्जी और खिलौनों के एक्सपोर्ट की आड़ में इन ड्रग्स की तस्करी की जाती है और फिर इन्हें अमेरिका में बेचा जाता है, लेकिन कोविड-19 की वजह से यह सप्लाई चेन बाधित हो चुकी है।
जैसे-जैसे अब अमेरिका की अर्थव्यवस्था सिकुड़ती जाएगी, वैसे-वैसे कुछ समय के लिए हमें इन ड्रग्स की डिमांड में कमी देखने को मिलेगी। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि पिछले दो महीनों में इन ड्रग कार्टल को उनके संभावित रिवेन्यू का 80 प्रतिशत हिस्सा नुकसान के रूप में उठाना पड़ सकता है। जैसे-जैसे जापान के नेतृत्व में दुनिया की सभी कंपनियाँ चीन से बाहर आने पर विचार कर रही हैं, वैसे ही यह अवैध ड्रग व्यापार भी जल्द ही चीन को डंप कर सकता है।























 
 




