‘योगी ने अयोध्या में मेला लगाने की अनुमति दी थी’ द वायर के चीफ ने फैलाया फेक न्यूज, अब निपटने वाले हैं

अब फेक न्यूज फैलाकर योगी से कैसे बचोगे?

सिद्धार्थ वरदराजन

PC: Free Press Journal

कुछ लोगों की आदतें ऐसी हैं कि चाहे कुछ भी हो जाये, वे नहीं सुधरेंगे। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं सिद्धार्थ वरदराजन, जिनका न्यूज़ पोर्टल द वायर खबरें देने के लिए कम और झूठ फैलाने के लिए ज़्यादा जाना जाता है। जनाब एक बार फिर सुर्खियों, और इस बार भी गलत कारणों से।

पिछले दो तीन दिनों से भारत में वुहान वायरस के मामलों में एक अप्रत्याशित उछाल आया है, जिसके पीछे प्रमुख कारण है 21 मार्च को नई दिल्ली में कई दिशा निर्देशों के बावजूद निज़ामुद्दीन क्षेत्र के मरकज़ भवन में हुआ एक विशाल समारोह, जिसे कुख्यात संगठन तब्लीगी जमात ने आयोजित कराया था। फलस्वरूप जहां भारत में कुल मामले 1300 के आसपास थे, अचानक से बढ़कर कल रात तक 1900 के करीब पहुँच गए।

तब्लीगी जमात ने जिस तरह से दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में उत्पात मचाया है, उसके चक्कर में पूरे देश में आक्रोश उमड़ पड़ा है। स्वयं केंद्र सरकार ने भी माना है कि भारत के मामलों में तब्लीगी जमात का कार्यक्रम ही अप्रत्याशित उछाल के लिए स्पष्ट रूप से जिम्मेदार है। परंतु कुछ लोग तो सेक्युलरिज़्म की चाशनी में ऐसे डूबे हुए हैं कि वे इस सच को भी स्वीकारना नहीं चाहते, और सिद्धार्थ वरदराजन उन्हीं में से एक हैं।

जनाब ने एक आर्टिक्ल शेयर करते हुए ट्वीट किया, “जिस तब्लीगी जमात के समारोह का आयोजन हुआ था, उसी दिन योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ रामनवमी पर अयोध्या में होने वाले मेले को मंजूरी दी, अपितु ये भी कहा था कि भगवान राम सबको कोरोना वायरस से बचा लेंगे”।

इसे कहते हैं, रस्सी जल गयी पर बल नहीं गया। द वायर की विश्वसनीयता जनता के बीच रसातल में पहुँच चुकी है, परंतु मजाल है कि द वायर ऐसे संकट की स्थिति में भी प्रोपगैंडा फैलाने से बाज़ आ जाये। द वायर के मुख्य संपादक कहे जाने वाले सिद्धार्थ वरदराजन ने योगी आदित्यनाथ के बारे में वो बयान दिया, जो उनके मुख से कभी भी नहीं निकला।

परंतु रिसर्च करने पर ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया। स्वराज्य मैगज़ीन के पत्रकार आरुष टंडन के निजी रिसर्च से सामने आया कि योगी आदित्यनाथ ने कभी भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया, जैसा सिद्धार्थ वरदराजन ने दावा किया था।

इससे सोशल मीडिया पर आक्रोश उमड़ पड़ा और योगी सरकार के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने ट्वीट किया, “झूठ फैलाने का प्रयास ना करें, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही है। इसे फ़ौरन डिलीट करे अन्यथा इस पर कार्रवाई की जाएगी तथा डिफ़ेमेशन का केस भी लगाया जाएगा। वेबसाईट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी डोनेशन माँगना पड़ेगा फिर

बाद में सिद्धार्थ ने उसी ट्वीट के नीचे एक छोटा सा स्पष्टीकरण दिया, परंतु न तो उन्होंने ट्वीट डिलीट किया और न ही माफी मांगी। फलस्वरूप यूपी सरकार को एक्शन लेने के लिए बाध्य होना पड़ा और यूपी सरकार ने एफ़आईआर दर्ज कराई। मृत्युंजय कुमार कहते हैं, “हमारी चेतावनी के बावजूद इन्होंने अपने झूठ को ना डिलीट किया ना माफ़ी माँगी। कार्रवाई की बात कही थी, FIR दर्ज हो चुकी है आगे की कार्रवाई की जा रही है। अगर आप भी योगी सरकार के बारे में झूठ फैलाने की सोच रहे हैं तो कृपया ऐसे ख़्याल दिमाग़ से निकाल दें।

परंतु वरदराजन महोदय की बेशर्मी तो देखिये। जनाब इस एफ़आईआर को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का हनन बताने लगते हैं। कृपया ये बताने का कष्ट करेंगे कि जिस संविधान की दुहाई देकर आप अपनी दुकान चलाते हैं, उसके किस अधिनियम या अनुच्छेद में ये अंकित है कि अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता में अफवाह फैलाने और झूठ बोलने की भी स्वतंत्रता है? न तो सिद्धार्थ वरदराजन कोई क्रांतिकारी है, और न ही उन्होंने रौलेट एक्ट जैसे किसी दमनकारी अधिनियम के विरुद्ध आवाज़ उठाई है, जिसके लिए उनका फूलों से स्वागत किया जाये। सिद्धार्थ वरदराजन एक झूठ फैलाने वाले पोर्टल का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

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