तीर्थयात्रा से लौटे लोगों को अमरिंदर सरकार ने Corona Negative बताकर घर भेज दिया, अब पंजाब में कोरोना बम फट रहा है

अमरिंदर की एक गलती और कोरोना से बचा हुआ पंजाब संक्रमित हो रहा है

पंजाब

कभी सुना है कि कोई राज्य गाजे बाजे सहित किसी महामारी को निमंत्रण देता है? नहीं ना, परन्तु कुछ ऐसा ही हुआ है, और इस बार दोषी अरविंद केजरीवाल नहीं है। पंजाब में जो नए वुहान वायरस के मामले उभर के सामने आ रहे हैं, उससे साफ पता चलता है कि लचर व्यवस्था के कारण अच्छे से अच्छे राज्य के भी पलीते लग रहे हैं। 

अभी हाल ही में महाराष्ट्र के नांदेड़ में तीर्थ स्थलों से लौटे लोगों में से कई वुहान वायरस से संक्रमित होने की खबरें सामने आई है। प्रारंभ में इनमें से कुछ लोगों के टेस्ट करके घर भेज दिया गया। लेकिन जब जत्थे में से 5 लोग वुहान वायरस से संक्रमित पाए गए, और उनमें लक्षण बहुत ही कम या asymptomatic दिखे, तो आनन फानन में सभी श्रद्धालुओं को ढूंढ ढूंढकर क्वारंटीन के लिए भेजना पड़ा। अब पंजाब सरकार की इस मामले में जवाबदेही तो बनती है कि इतनी बड़ी लापरवाही क्यों बरती गई? जबकि पंजाब की अमरिंदर सरकार को भी पता था कैसे तब्लीगी जमात के कारण पूरे देश मे कोरोना फैला है ऐसे में गैर जिम्मेदाराना रुख क्यों अपनाया गया? पंजाब सरकार द्वारा बरती गई लापरवाही के कारण आज पंजाब में कई रेड जोन बन चुके हैं।

हालांकि, यह पहला ऐसा मामला नहीं है, जब पंजाब सरकार की घोर लापरवाही सामने आयी हो। राज्य के रोपड़ के चतामली गांव में एक पूर्व सरपंच, उसके पति और उसके बच्चे को वुहान वायरस से संक्रमित पाया गया है।  इनमें से चूंकि किसी की भी ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी, इसीलिए प्रशासन में हड़कंप मच गया। परन्तु जांच पड़ताल में पता चला कि ये तीनों एक मेडिकल कैंप में हिस्सा लेने गए थे, जिसे अवैध रूप से एक ईसाई मिशनरी संचालित कर रही थी और यहां 20 विदेशी भी शामिल हुए थे।

इस कैंप को ना सरकार और ना ही स्थानीय प्रशासन से कोई मान्यता मिली थी। फलस्वरूप जिन भी गांवों में इस मिशनरी ने दौरा किया, उन सभी को सील कर दिया गया है, और उन लोगों की तलाश की जा रही है, जिन्होंने यह कैंप चलाया था। अब कल्पना कीजिए यदि इन्हे यूं ही काम करने दिया जाता, तो भारत, विशेषकर पंजाब का क्या हाल होता।

इसके पीछे अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर पंजाब प्रशासन को काफी खरी खोटी सुनाई गई है। एबीपी न्यूज़ की चर्चित पत्रकार रुबिका लियाकत ट्वीट करती हैं, “कल ही पंजाब सरकार से सीधा सवाल था और आज कैप्टन सरकार का एक और कोरोना कांड आ गया-जालंधर में दो कोरोना मरीजों को नेगेटिव बताकर मंगलवार शाम को डिस्चार्ज किया। मीडिया से मिलवाया। दोस्तों ने फूलों से स्वागत किया। रात 11 बजे अस्पताल ने फ़ोन करके कहा रिपोर्ट तो पॉज़िटिव आ गई। हद लापरवाही है”

बात यहीं पर नहीं रुकती। लगभग महीना भर पहले  तब्लीगी जमात के सदस्यों के कारण भारत में वुहान वायरस के मामलों में अप्रत्याशित उछाल आया है। इसका असर भारत में दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में सबसे अधिक देखने को मिला है। तमिलनाडु के कुल मामलों में तो अस्सी प्रतिशत से ज़्यादा केवल तब्लीगी जमात की देन है।

इसके अलावा तब्लीगी जमात के सदस्यों ने किस प्रकार से निकृष्टता की हदें पार कर दी है, ये इसी बात से पता चलता है, जब दिल्ली के निज़ामुद्दीन क्षेत्र के मरकज़ भवन से पकड़े गए लोगों को quarantine सेंटर भेजा गया, तो इन लोगों द्वारा सड़कों पर, सुरक्षाकर्मियों पर और यहां तक कि quarantine सेंटर में स्थित स्वस्थ्य कर्मचारियों पर थूके जाने की खबरें सामने आने लगी।

ऐसे में जिस प्रकार से नियमों की धज्जियां उड़ाई गई है, उसके लिए पंजाब सरकार की भी इस घोर लापरवाही पर जवाबदेही बनती है। यदि वे स्थिति को तुरंत नियंत्रण में नहीं लाते, तो पंजाब में वुहान वायरस के सुपर स्प्रेडर बनने में देर नहीं लगेगी। पहले ही इस राज्य में मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं और अब कई इलाके तो रेड जोन घोषित हो चुके हैं यदि पंजाब सरकार में थोड़ी भी सख्ती बरती होती तो आज पंजाब का ये हाल नहीं होता।

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