जिस तरह से पूरी दुनिया में कोरोना ने कोहराम मचाया हुआ है और लोगों की जानें जा रही हैं उससे अब चीन को आपसी विवाद भुलाकर दुनियाभर के देशों से माफी मांग लेनी चाहिए थी और पूरे विश्व को कोरोना से लड़ने में उसे मदद करनी चाहिए थी. लेकिन चीन ने ऐसा नहीं किया. एक के बाद एक लगातार गलतियां करता जा रहा है. और अपनी गलती मानने के बजाय ड्रैगन सीनाजोरी पर उतारु हो गया है. वह सिर्फ कोरोना के मामले में ही नहीं दक्षिणी चीन सागर के मुद्दे पर भी दुनिया की आंखों में धूल झोंक रहा है.
जैसे ही चीन को यह पता चला कि अमेरिकी युद्धपोत the USS Roosevelt और USS Ronald Reagan पर कोरोना के मामले बढ़े हैं और वह बन्दरगाह पर रुका है तो इस पर चीन साउथ चाइना सी में अपनी पैठ बनाना शुरू कर दिया लेकिन उसे इस बात की बिल्कुल भनक नहीं थी कि अमेरिका उसकी चाल को देख रहा है। चीन के इस प्रकार से शक्ति प्रदर्शन के बाद अमेरिका ने भी शक्ति प्रदर्शन करने हुए चीन से 1800 मिल दूर बम वर्षक विमानों के साथ अभ्यास कर डाला।
सबसे पहले चीन ने ताइवान को धमकाना शुरू किया जिससे यह द्वीप देश डर जाए और किनारा कर ले। चीन का पहला ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर, लियाओनिंग और इसके साथ आने वाले पांच युद्धपोत मियाको स्ट्रेट से होकर गुजरे जो जापान के मियाको और ओकिनावा के बीच स्थित है। यह स्ट्रेट ताइवान के पूर्वोत्तर में भी स्थित है।
इसके बाद, इस एयरक्राफ्ट कैरियर के साथ के दो 052D गाइडेड-मिसाइल डेस्ट्रोयर – Xining और गुईयांग, दो 054A गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट – ज़ाओज़ुआंग और रिझाओ और सप्लाइ जहाज, हुलुनहु, ताइवान के पूर्व जल में अभ्यास करते हुए गुजरे।
इतना ही नहीं ताइवान ने चीन के इस एक्शन पर पूरा नजर रखा और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी कदम उठाने के लिए तैयार बैठा था।
ऐसा लग रहा है कि अमेरिकी युद्ध पोतों के प्रशांत क्षेत्र में लंगर डालने से चीन को यह लग रहा है कि वह साउथ चाइना सी में कुछ भी कर सकता है। Exclusive Economic Zone (EEZ) के विषय में अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए बीजिंग ने Hai Yang Di Zhi 8 को छह चाइना कोस्ट गार्ड (CGC) के जहाजों के साथ वियतनाम के एक्सक्लूसिव ज़ोन में जाने के लिए आदेश दिया।
कुछ महीने पहले ही इस तरह की एक घटना के कारण दोनों पड़ोसियों के बीच संबंध तनावपूर्ण हुए थे। जब एक वियतनामी नाव पार्सल द्वीप के पास एक सीजीसी जहाज के साथ टकराव में डूब गई थी।
दक्षिण चीन सागर वह क्षेत्र है जहां ड्रैगन का दबदबा और उसकी विस्तारवाद नीति सभी के सामने आ जाती है। इसी सोच के कारण चीन रणनीतिक जलमार्गों के निर्जन द्वीपों पर बहुत अधिक सैन्य ठिकाने बना चुका है जिससे उसे विस्तार करने में लाभ मिल सके।
इस बार चीन को यह गलतफहमी हो गयी है कि अमेरिकी सेना खुद कोरोनोवायरस से जूझ रही है, इसलिए वो खुलेआम इस क्षेत्र में अपनी दादागिरी दिखा सकता है.
लेकिन इस बार मामला कुछ अलग हो चुका है, ताइवान और वियतनाम के अलावा फिलीपींस ने भी चीन के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया है। तो वहीं अमेरिका भी इस क्षेत्र में पहले से अपनी नजर बनाए हुए है।
अमेरिका ने भी चीन को अपनी उपस्थिति बताने के लिए गुआम द्वीप के आओने एयर फोर्स बेस पर एक elephant walk का आयोजन किया। यह Andersen Air Force बेस चीन से करोब 1800 मिल दूर है। Elephant Walk बम वर्षक विमानो का एक जुलूस होता है, जिसमें कम से कम एक दर्जन अमेरिकी नौसेना और वायु सेना के विमान शामिल होते हैं। इस वॉक में एक नेवी एमएच -60, एस नाइटहॉक, वायु सेना का RQ -4 ग्लोबल हॉक, पांच वायु सेना के बी -52 स्ट्रैटोफोर्स्ट्रेस बमवर्षक और छह KC-135 स्ट्रैटोटेन्कर शामिल थे।
इस आयोजन के समय और स्थान पर अगर ध्यान दिया जाए तो कि अमेरिका बीजिंग को कुछ कड़े संकेत देना चाह रहा है। अमेरिका की सैन्य टुकड़ियों को निश्चित रूप से चीनी वायरस के कारण नुकसान हुआ है, लेकिन यह एक अत्यधिक शक्तिशाली सेना है। चीन को यह नहीं समझना चाहिए कि दक्षिण चीन सागर में जो चाहे वो कर सकता है।