भारत के भगोड़े नंबर एक कारोबारी विजय माल्या को ब्रिटेन की एक कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। लंदन के हाईकोर्ट में माल्या ने अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील की थी, जिसे कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया है। इससे उम्मीद जगी है कि जल्द उसे भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है।
किंगफिशर एयरलाइंस के 64 वर्षीय पूर्व मालिक माल्या 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भारत में वांछित है। माल्या ने फरवरी में इंग्लैंड और वेल्स की हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने माना है कि माल्या के खिलाफ भारत में कई बड़े आरोप लगे हैं।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब माल्या के प्रत्यर्पण पर अंतिम निर्णय का मामला अब ब्रिटेन की गृह सचिव प्रीति पटेल के पास जाएगा। ऐसे में अब विजय माल्या का भारत आना लगभग तय हो गया है।
लंदन में रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में लॉर्ड जस्टिस स्टीफन इरविन और जस्टिस एलिजाबेथ लिंग की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि, ‘हम यह मानते हैं कि एडीजे यानी सीनियर डिस्ट्रिक्ट जज द्वारा पाए गए आरोप कुछ मामलों में भारत की तरफ (सीबीआई और ईडी) से लगाए गए आरोपों से ज्यादा व्यापक हैं, लेकिन सात ऐसे महत्वपूर्ण मामलों में संयोगवश आरोप भारत में लगाए गए हैं।‘ यह सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये की गई है।
माना जा रहा है कि विजय माल्या के पास हाई कोर्ट द्वारा ऑर्डर पास करने के बाद 14 दिन का वक्त होगा जब वह सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सकते हैं। अगर वह इसमें असफल साबित होते हैं तो उन्हें भारत प्रत्यर्पित किए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी याचिका खारिज कर देने के बाद आखिरी फैसला वहां का गृह मंत्रालय लेगा जिसकी जिम्मेदारी फिलहाल भारतवंशी प्रीति पटेल संभाल रही हैं।
बता दें कि भारत और ब्रिटेन के बीच 1992 में प्रर्त्यपण संधि हुई थी और यह नवंबर, 1993 में प्रभावी हुई थी। इसके तहत अब तक दो ब़़डे प्रत्यर्पण हुए हैं। 2016 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में संलिप्तता के संबंध में समीरभाई विनुभाई पटेल और इसी साल फरवरी में क्रिकेट सट्टेबाज संजीव चावला को भारत लाया गया था।
सीबीआई केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने माल्या के खिलाफ ब्रिटिश हाई कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘यह उन आर्थिक भगोड़ों के खिलाफ जारी लड़ाई में महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो देश की न्यायिक प्रक्रिया से दूर रहने में कामयाब रहे हैं।‘
सीबीआई प्रवक्ता आरके गौर ने कहा कि यह फैसला सीबीआइ द्वारा मेहनत और सावधानीपूर्वक की गई जांच की भी पुष्टि करता है।
बता दें कि माल्या के खिलाफ 9000 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला हैं। 17 बैंकों के कंजोर्शियम ने माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस को कर्ज दिया था। 31 जनवरी 2014 तक माल्या पर बैंकों के 6,963 करोड़ रुपए बकाया थे। 2016 तक ये राशि करीब 9,000 करोड़ हो गई। किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमुख पर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। 2 मार्च 2016 को देश से फरार हो चुका माल्या अभी लंदन में रह रहा है। अप्रैल 2017 में प्रत्यर्पण वॉरंट पर गिरफ्तारी के बाद से माल्या जमानत पर है। अब बंद पड़ी किंगफिशर एयरलाइन के प्रमुख ने वेस्टमिनिस्टर मजिस्ट्र्रेट कोर्ट के दिसंबर 2018 में प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।
तब से इस भगोड़े के पीछे भागने के बाद अब जा कर सफलता मिली है। उम्मीद है कि जल्द ही विजय माल्या को भारत लाया जाएगा और फिर कार्रवाई की जाएगी। माल्या के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई अन्य भगोड़ों के लिए उदाहरण की तरह होना चाहिए जिससे वे ऐसी हरकत भविष्य में न करें।