कोरोना वायरस के कारण देश और दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन होने के बाद लाखों घर से काम कर रहे हैं। Work from Home या घर से काम के दौरान सामान्य तौर पर होने वाले मीटिंग स्काइप या फिर Zoom जैसे वीडियो कॉलिंग एप के जरिए हो रही है। ऐसे में वर्क फ्रॉम होम के दौरान Zoom वीडियो कॉलिंग एप का इस्तेमाल बड़े स्तर पर हो रहा है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इसने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के मामले में माइक्रोसॉफ्ट के स्काइप को भी पीछे छोड़ दिया है। इसी बीच सिक्योरिटी और प्राइवेसी को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। Zoom वीडियो कॉलिंग एप को इस वक्त दुनिया के 141 देश इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन नासा और स्पेस एक्स जैसी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को जूम इस्तेमाल करने से साफ मना कर दिया है। वहीं कनाडा की एक लैब का मानना है कि यह एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन key के लिए चीनी सर्वर कर इस्तेमाल करता है जो किसी भी स्थिति सुरक्षित नहीं है। वहीं ताइवान ने आधिकारिक तौर पर ज़ूम एप इस्तेमाल करने पर पूरी तरह से रोक लगा दिया है।
पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की एक फोटो वायरल हुई थी जिसमें वे सीडीएस (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) जनरल बिपिन रावत, तीनों सेना प्रमुखों और अन्य अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मीटिंग कर रहे थे। हालांकि, अब रक्षा मंत्री की इस मीटिंग पर सवाल खड़े हो गए हैं। दरअसल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस वीडियो कांफ्रेंसिंग में जूम ऐप (Zoom App) का इस्तेमाल किया था। सरकार की ही एजेंसी कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम यानि CERT इस एप को सिक्योरिटी और प्राइवेसी के लिए बड़ा खतरा बता चुकी है।
Zoom claims it offers end-to-end encryption. But a probe finds that Zoom meetings are potentially compromised when keys for encrypting and decrypting are transmitted to servers in China: https://t.co/HiJyr0Q9fG. The last thing the Indian defense minister should be doing is this! pic.twitter.com/zQ9VErzxxy
— Brahma Chellaney (@Chellaney) April 6, 2020
https://twitter.com/ananthkrishnan/status/1247047694905827328
इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस यानी सीईआरटी ने पिछले हफ्ते ही जूम एप (Zoom App) को लेकर साफ शब्दों में चेतावनी दी थी। CERT ने कहा था कि Zoom ऐप साइबर थ्रेट का बड़ा जरिया बना सकता है और इससे साइबर क्राइम बढ़ सकता है। एजेंसी ने कहा था कि इस एप के जरिए साइबर अपराधी सरकारी और निजी कार्यालयों से डाटा चोरी करके उसका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। सीईआरटी ने कहा है कि जूम एप के साथ डाटा लीक का खतरा है। सुझाव के तौर पर एजेंसी ने कहा है कि जूम एप के इस्तेमाल से पहले एप को अप-टू-डेट रखें और मजबूत पासवर्ड रखें। इसके अलावा एप में वेटिंग फीचर को ऑन रखें ताकि मीटिंग में हिस्सा लेने वाले लोगों पर कंट्रोल बना रहे। इसके अलावा जूम ऐप पर डाटा लीक होने का भी खतरा है।
वहीं ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक एपल के कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं। ऐसे में भविष्य के प्लान और प्रोडक्ट को लेकर भी मीटिंग हो रही है। एपल के कर्मचारी मीटिंग के लिए फेसटाइम, स्लैक और Webex जैसे एप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में एपल को डाटा लीक होने का खतरा है। एहतियातन एपल ने ऑनलाइन फाइल शेयरिंग भी कम कर दी है। स्पेस एक्स कंपनी में सभी कर्मचारियों को Zoom एप इस्तेमाल ना करने को कहा गया है। स्पेस एक्स के अलावा नासा ने भी Zoom एप को इस्तेमाल करने से मना कर दिया है।
साथ ही शुक्रवार को कनाडा स्थित स्वतंत्र अनुसंधान संगठन सिटीजन लैब ने पाया कि Zoom पर वीडियोकॉनफेरेंस के लिए एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन key वितरित करने के लिए चीनी सर्वर का उपयोग किया जा रहा था। लेकिन साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर्स ने चेतावनी दी है कि इस सॉफ्टवेयर में सिक्योरिटी लूपहोल्स हैं जिससे सिक्योर फाइल्स को एक्सेस करने के लिए मीटिंग्स को हैक किया जा सकता है। कुछ यूजर्स का ट्रैफिक चीन में डेटा सेंटर्स से होकर गुजरा है।
Zoom के साथ चीन का लिंक एकमात्र चिंता का विषय नहीं है। कमजोर एन्क्रिप्शन टेक्नोलोजी के वजह से “Zoom बॉम्बिंग ” होती है, जहां बिन बुलाए ट्रोल अन्य प्रतिभागियों को परेशान करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस तक पहुंच जाते हैं और कई तरह के फोटो और वीडियो भेज देते हैं। साथ ही मीटिंग की रिकॉर्डिंग सार्वजनिक तौर पर इंटरनेट सर्वर पर भी दिखाई गई है।
ताइवान ने तो इस एप के इस्तेमाल पर ही बैन लगा दिया है। ताइवान ऐसी कार्रवाई करने वाला पहला नहीं है। एलोन मस्क के स्पेसएक्स और न्यूयॉर्क शहर के शिक्षा विभाग ने पहले ही इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।
Zoom के सीईओ एरिक एस युआन ने अपने एक ब्लॉग में बताया है कि दिसंबर 2019 में जूम के डेली एक्टिव यूजर्स की संख्या 10 मिलियन एक करोड़ थी जो मार्च 2020 में 200 मिलियन यानी 20 करोड़ हो गई है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर के 20 देशों के 90,000 से अधिक स्कूल भी जूम एप का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिस तरह से रिपोर्ट सामने आ रही है उससे तो ऐसे एप को न इस्तेमाल करना ही बेहतर उपाए है। भारत को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए और चीन से साइबर हमलों और हैकिंंग को देखते हुए इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा चाहिए।