कोरोना वायरस के नाम पर मदद बांट रहे चीन को दुनिया के सभी देश धुत्कार रहे हैं। दुनिया चीन के कारनामों को भुगत रही है तो वहीं चीन मौज में है। इतना ही नहीं, चीन इस आपदा के समय में भी मुनाफा कमाने से बाज नहीं आ रहा है। यही कारण है कि अब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अंदर से चीन सरकार के खिलाफ आवाज़ उठना शुरू हो चुकी हैं और चीन के कूटनीतिज्ञ और विदेशी सम्बन्धों के एक्सपर्ट्स ने चीनी सरकार को बड़ी चेतावनी जारी की है। इन एक्सपर्ट्स ने चीनी सरकार को चेताया है कि अगर चीन ने अपने तौर-तरीके नहीं बदले तो चीन को वायरस से ज़्यादा ये अहंकार नुकसान पहुंचा सकता है।
अगर ध्यान दिया जाये तो पिछले कुछ दिनों में ही चीन को कई कूटनीतिक थप्पड़ पड़ चुके हैं। जब फ्रांस में मौजूद चीन के राजदूत ने फ्रांस के स्वास्थ्य कर्मियों पर नैतिक तौर पर भ्रष्ट होने के आरोप लगाए तो फ्रांस सरकार ने उसे तलब करने में देर नहीं लगाई। इसके साथ ही चीन में अफ्रीकी देशों के नागरिकों से बुरे बर्ताव के बाद अफ्रीकी देश भी चीन के खिलाफ काफी बयानबाज़ी कर रहे हैं।
इसके अलावा चीन से खराब क्वालिटी की मेडिकल सप्लाई मिलने के बाद कई यूरोप के देशों में भी चीन विरोधी आवाज़ें उठाना शुरू कर चुके हैं। यही कारण है कि अब चीन के एक्सपर्ट्स ने चीनी सरकार को चेतावनी जारी की है कि बेशक वायरस चीन का कुछ नहीं बिगाड़ पाया हो, लेकिन चीन का ये रवैया चीन के लिए घातक साबित हो सकता है।
China Foreign Affairs University के World Politics Centre के अध्यक्ष शी जान के मुताबिक- “जिस तरह दूसरे देशों में चीन के राजदूतों में राष्ट्रवाद की भावना बढ़ी है और वे विवादों में घिसटते जा रहे हैं, यह चीन के लिए घातक साबित हो सकता है। इससे दुनिया का चीन पर से विश्वास खत्म होता जा रहा है। यह फ़ैक्टरियाँ बंद होने और मार्केट में डिमांड कम होने से भी ज़्यादा खतरनाक है”।
शी जान ने इसके साथ ही चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पर भी निशाना साधा। दरअसल, चीन के प्रवक्ता ने हाल ही में कहा था कि अगर किसी देश को चीन में बने मास्क घटिया दिखाई देते हैं तो वे ना पहने”। इसके साथ ही उस प्रवक्ता ने चीन की मेडिकल सप्लाई को घटिया बताने वाले देशों की भी आलोचना की थी। शी जान ने इस पर कहा कि “विदेशी लोगों को यह सुनकर लगा होगा कि अब हम मास्क को भी एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। इस तरह का संदेश जाना चीन के लिए बेहद घातक है”।
इसी तरह बीजिंग में एक सेमिनार में बोलते हुए चीन के पूर्व राजनयिक चेंग ताओ ने कहा- “जब हम दुनिया में किसी देश के साथ बात करते हैं, तो हमने अपनी सीमाओं को कभी नहीं भूलना चाहिए। हमें इसी दुनिया के तौर-तरीकों के हिसाब से अपनी बात करनी चाहिए”।
ये सभी एक्सपर्ट्स चीन पर इसी बात को लेकर निशाना साध रहे हैं कि जिस तरह चीन इस आपदा के समय में खयाली पुलाव पकाकर अपने आप को दुनिया के सभी नियम-कानूनों से ऊपर की चीज़ समझने लगा है, वह चीन के लिए घातक सिद्ध हो सकती है, क्योंकि चीन को इसे सही से संभालना नहीं आ रहा है।
ये एक्सपर्ट्स चीन को यही समझाने में लगे हैं कि यहाँ तक कि हमें उन देशों में भी अपनी आलोचना को सह लेना चाहिए जिनके साथ हमारे रिश्ते अच्छे हैं। हर बात पर बेढंगी प्रतिक्रिया देना चीन पर ही भारी पड़ेगा। यह अच्छा है कि अब चीन को उसके अंदर से ही लोगों ने आईना दिखाना शुरू कर दिया है। अब देखना यह होगा कि चीन की सत्तावादी सरकार अपने इन एक्सपर्ट्स की बात को कोई तवज्जो देती है या नहीं।