कोरोना के समय सभी देश आपस में सहयोग की बात तो कर रहे हैं, लेकिन यूरोप में हमें ठीक इसके उलट देखने को मिल रहा है। कोरोना ने यूरोपियन यूनियन की एकता के दावों की पोल खोल दी है। इस संघ को अब बेकार और रद्दी समझा जा रहा है, और सबसे ज़्यादा इटली द्वारा, क्योंकि कोरोना ने सबसे ज़्यादा तबाही इसी देश में मचाई है।
दरअसल, Corona bonds के मामले पर यूरोपियन यूनियन और उसके सदस्य देश इटली के बीच विवाद देखने को मिल रहा है। इटली और स्पेन को कोरोना की वजह से सबसे बड़ी तबाही का मुंह देखने को मिला है और ऐसे समय में यूरोपीय संघ द्वारा इन देशों को अकेला छोड़ दिया गया है।
यूरोपियन यूनियन ने अब तक अपने उद्योगों को बचाने के लिए तो बड़ी रकम खर्च करने का आश्वासन दिया है। इसके साथ ही ईयू ने मंदी से बचने के लिए भी कई कदम उठाने की बात कही है, लेकिन इटली और फ्रांस जैसे देश चाहते हैं कि उन्हें ईयू से ज़्यादा समर्थन चाहिए और वे बार-बार अधिक कर्ज़ प्राप्त करने के लिए Corona-bonds जारी करने की बात कर रहे हैं। हालांकि, जर्मनी और कई EU के देशों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है, जिससे इटली में EU का विरोध बढ़ता ही जा रहा है।
Eurozone के 19 नेताओं में से Corona Bonds की मांग कर रहे 9 नेताओं ने अपने पत्र में लिखा था “Corona bonds की मांग करने का मजबूत आधार है, हम सभी एक बाहरी झटके को सह रहे हैं जिसके लिए कोई भी देश जिम्मेदार नहीं है, लेकिन इसका नकारात्मक असर हम सब पर पड़ा है”। लेकिन उत्तरी यूरोप के कई देश इन नेताओं की मांग ना मानने पर अड़े हैं।
जर्मनी से लेकर फ़िनलैंड तक, सभी देश EU स्तर पर कर्ज़ बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं। नीदरलैंड्स और ऑस्ट्रीया जैसे देश इसी बात से सहमत हैं कि अगर वे कोरोना बॉन्ड जारी करने के लिए राज़ी होते हैं तो EU के गरीब सदस्यों का खर्च उनके देश के taxpayers उठाएंगे। जर्मन चान्सेलर मर्कल ने हाल ही में कहा था “जर्मनी की तरफ से हम साफ कर चुके हैं, और भी कई देश यह कह चुके हैं, सबके लिए Corona bonds जारी करना कोई विकल्प ही नहीं है”।
इससे इटली और यूरोप के देशों में दरार बढ़ गयी है। जर्मनी पहले ही अपने देश में मंदी से बचने के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर का राहत पैकेज जारी कर चुका है। इससे इटली में EU विरोधी मानसिकता को जोरदार बढ़ावा मिला है। पिछले हफ्ते ही इटली के PM ने कोरोना वायरस पर EU की प्रतिक्रिया से संबन्धित एक स्टेटमेंट को ब्लॉक करने की भी धमकी दी थी। उन्होंने कहा था “अगर हमारी corona bonds की मांग नहीं मानी जाती है, तो मैं इस बयान पर अपनी सहमति देने के लिए हस्ताक्षर ही नहीं करूंगा”।
EU अभी तक Brexit से ही उबर नहीं पाया है और ऐसे में एक और सदस्य देश इटली में EU विरोधी मानसिकता का पनपना इस संघ के लिए अच्छा संदेश नहीं है। मार्च महीने में ऐसी कई videos देखने को मिली थी जिसमें इटली के लोग EU के झंडे को जलाते दिखाई दे रहे थे।
Italians starting to burn EU flags after the EU's continuous abuse and ill intentions towards Italy revealed during the coronavirus crisis, under the slogan "we'll save ourselves."
Opinions on the EU were divided, but anti-EU sentiment has dramatically increased now. pic.twitter.com/sBXQYEfNCB
— 𝐅𝐚𝐛𝐢𝐚𝐧 🪽 (@TweetOfFabian) March 28, 2020
ऐसा लगता है कि अब इटली के लोग EU से अलग होना चाहते हैं। ऐसे में जल्द ही हमें Brexit के बाद Itaxit देखने को मिल सकता है। EU के द्वारा corona bonds जारी ना करना इस संघ के खात्मे की ओर पहला कदम हो सकता है, और कोरोना काल के बाद हमें EU में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।