जब Corona जाएगा, तो हुवावे को साथ ले जाएगा, Huawei मामले पर चीन ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है

क्या सोचा था...क्या हो गया.....

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कोरोनावायरस से मुक़ाबले के लिए मदद पहुंचाकर चीन अपनी विवादित कंपनी हुवावे को पूरी दुनिया पर थोपना चाहता है। चीन किस तरह कोरोनावायरस को Huawei के लिए एक स्वर्णिम अवसर की तरह इस्तेमाल करना चाहता है, इसका उदाहरण हमें तभी देखने को मिल गया था जब चीन ने फ्रांस को यह कहा था कि “वह तभी फ्रांस को मेडिकल सप्लाई देगा अगर फ्रांस हुवावे को 5जी का परिचालन करने की अनुमति देगा”।

चीन का यह रुख हुवावे के पक्ष में नहीं बल्कि विपक्ष में जाता दिखाई दे रहा है क्योंकि कई देशों में अब Huawei का राजनीतिक विरोध ज़ोर पकड़ चुका है, जो कि हुवावे के लिए किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।

चीन पिछले कुछ समय से लगातार स्पेन, इटली, फ्रांस और यूरोप के अन्य कई देशों को मेडिकल सहायता प्रदान करता आया है। अभी पूरी दुनिया में कारखाने बंद पड़े हैं और कोरोना से उभरने की वजह से चीन में वेंटिलेटर, मास्क और मेडिकल किट्स का उत्पादन किया जा रहा है। कोरोना से ग्रसित देशों को अभी सबसे ज़्यादा इन्हीं चीजों की ज़रूरत है।

चीन इन देशों को ये सब चीज़ें बेचता है और फिर अपने आप को इनके दोस्त की तरह प्रस्तुत करने की कोशिश करता है। इसी की आड़ में चीन Huawei नाम के इस प्रोपेगैंडे को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। उदाहरण के तौर पर पिछले दिनों इटली के प्रधानमंत्री से बातचीत में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि इटली को OBOR के साथ-साथ चीन के साथ Health Silk Route पर भी काम करना चाहिए। इससे इटली में डर बढ़ गया है कि कहीं इटली का वायरलेस हेल्थ नेटवर्क चीनी कंपनियों के हाथ में ना चला जाये। इटली में भी अब Huawei के खिलाफ राजनीतिक दबाव बढ़ना शुरू हो गया है।

Huawei को UK में पहले ही झटका लग चुका है क्योंकि चीन से बुरी तरह चिढ़े प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अपने यहां 5जी सेवाएँ शुरू करने से संबन्धित हुवावे को दी गयी सभी अनुमति को वापस लेने का ऐलान कर चुके हैं। इसके साथ ही कुछ ब्रिटिश सांसद UK के इन्फ्रास्ट्रक्चर में चीन की किसी भी कंपनी के शामिल होने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की भी बात कर रहे हैं।

अमेरिका की बात करें तो ट्रम्प प्रशासन शुरू से ही Huawei के खिलाफ कड़े कदम लेता आया है। अब चूंकि अमेरिका को भी मेडिकल सप्लाई की ज़रूरत है, तो ऐसे समय में चीन अमेरिका को हुवावे के नाम पर ब्लैकमेल करना शुरू कर चुका है। चीन के मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने हाल ही में एक चीनी अधिकारी के हवाले से लिखा था.

“अगर अमेरिका Huawei की किसी भी तरह की तकनीक लेने से मना करता है, तो अमेरिका को चीन से मेडिकल सप्लाई लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।”

भारत में भी हुवावे पर प्रतिबंध लगाने की बात समय-समय पर उठती रहती है। भारत ने अपने यहां Huawei को 5जी के ट्रायल शुरू करने की अनुमति तो दे दी है, लेकिन यह देखना होगा कि क्या Huawei को परिचालन की अनुमति भी मिलती है या नहीं। इससे पहले पिछले वर्ष अगस्त में चीन ने हुवावे को लेकर भारत को धमकी भी दी थी। चीन ने कहा था-

“अगर Huawei पर भारत में व्यापार करने पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो चीन अपने यहां कारोबार करने वाली भारतीय फर्म पर प्रतिबंध लगाने के लिए स्वतंत्र होगा”।

इसके बाद भारत के अधिकारियों ने भी चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया था। भारत के अधिकारियों ने कहा था कि अगर चीन अपनी चिंताओं को कूटनीतिक माध्यम से भारत सरकार तक पहुंचाता, तो अच्छा रहता। अधिकारियों ने यह भी कहा था कि चीन द्वारा खुले तौर पर भारत को धमकी देने की वजह से अब भारत सरकार के रुख में भी बदलाव आएगा और Huawei को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। यानि दुनिया के सबसे बड़े बाज़ार से भी हुवावे के लिए अच्छी खबर नहीं है।

हुवावे सुरक्षा चिंताओं की वजह से पहले ही विवादों में रह चुकी है और अमेरिका जैसे कई देश तो इसपर प्रतिबंध तक लगा चुके हैं, लेकिन जिस तरह कोरोनावायरस के समय में पर चीन ने Huawei को बल देने की कोशिश की है, उससे कई देशों में चीन के खिलाफ गुस्सा बढ़ गया है, और अब इस बात के अनुमान बढ़ गए हैं कि कोरोना वायरस के साथ जल्द ही हुवावे का अंत भी होने वाला है।

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