चीन में कोरोना से होने वाले मृत्यु के आंकड़ों को लेकर अभी एक नया मामला सामना आया है जिसके अनुसार चीनी सरकार ने देशभर में अचानक से अस्पताल में शमशान घाट के ऑफिस खोलने का आदेश जारी किया है। यहां गौरतलब हो की चीन करीबन एक महीने पहले ही अपने देश को कोरोना मुक्त घोसित कर चुका है।
तो फिर सवाल ये उठता है कि अब अचानक क्या हुआ? चीन एक विकसित देश है जहां पहले से इतनी सुविधा है की 10-20 हजार मरीजों/मौतों से निपटने के लिए उसे न नए अस्पतालों की जरूरत है न ही नए शवदाहगृहों की। तो फिर ये गहमागहमी क्यों?
इसके पहले चीन में मृतकों के आंकड़ों पर भी कई सवाल पैदा हुए हैं। चीन के सरकारी आंकड़ो के अनुसार 3000 मौतें बताई गयी थी पर एक रिपोर्ट के अनुसार लोगों को कई अस्पतालों में शवो के लिए 5-5 घण्टो का इंतजार करना पड़ा था। वहीं दूसरे एक टेलीकॉम सर्विस रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ महीनों में चीन में करीबन 2 करोड़ टेलीफोन उपभोक्ताओं की कमी हुई है जो कि हैरान करने वाला है।
चीन ने न केवल अपने देश में कोरोना से होने वाली मौतों को छुपाया परन्तु उसने दुनिया से कोरोना की गम्भीरता छुपाया और जिसमें उसकी मदद किया दुनिया मे स्वास्थ्य मामलों पर नजर रखने वाली संस्था WHO के चीफ ने। चीन में जब कोरोना सबसे बुरे दौर में था तब WHO ने उसे मामूली बताते हुए दुनिया को उससे न डरने की सलाह दिया और ट्रेवल बैन की जरूरत से भी इंकार किया जिसकी वजह से दुनिया भर में कोरोना का भयानक रूप से विस्तार हुआ।
हाल ही में खुलासा हुआ था कि चीनी वैज्ञानिक ली वेनलियांग जिन्होंने सबसे पहले चीनी सरकार को कोरोना के खतरे से सावधान किया था उसकी संदिग्ध हालात मे मौत हो गयी थी जो कि एक बड़े षड्यंत्र की ओर इशारा करता है।
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मिडिया के साथ मिलकर चीन ने कई नाकाम झूठ फैलाने की कोशिश के साथ कोरोना के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराने की भी कोशिश किया है।
ये सारी बातें साफ इशारा करती है कि न कोरोना साधारण वायरस है न ही पूरी दुनिया में उसका विस्तार सामान्य बात है। भविष्य में और भी खुलासे होंगे पर वर्तमान में भी चीन पुरी दुनिया के सामने एक विलेन के रूप में खड़ा है।