चीन के वुहान शहर जहां के वेट मार्केट से कोरोना फैलने का आरोप लगाया जाता रहा है अब उस शहर में जंगली जानवर खाना बैन हो गया!! चीन की सरकार ने वुहान में जंगली जानवरों के खाने पर बैन लगते हुए यह घोषणा की कि जो भी किसान इन जानवरों की ब्रीडिंग छोड़ेगा उसे रुपये भी मिलेंगे! ऐसे में सवाल तो उठता ही है कि यह कैसे हो सकता है ?
आखिर कुत्ते बिल्ली से लेकर पेंगोलीन चमगादड़ तक को अपना आहार बनाने वाले चीन ने शाकाहारी होने का फैसला कैसे ले लिया? यह सोचने वाली बात है। शुरू में सुन कर यह विश्वसनीय जरूर लगेगा लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। अगर गहराई में जाकर देखें तो चीन प्रोपोगेंडा फैलाने के लिए अब दुनिया में इस तरह के बैन लगा कर ढोंग रच रहा है जिससे वह दुनिया के अन्य देशों को विश्वास दिला सके कि चीन के वुहान से कोरोना नहीं फैला।
दरअसल, चीन सिर्फ जंगली जानवरों के खाने पर ही नहीं बैन लगा रहा, बल्कि इन जनजीवों की खेती करने वाले किसानों को यह व्यापार बंद करने को कहा है। इसके बदले चीन की सरकार उन्हें रुपए देने के लिए भी तैयार है। चीन के हुनान प्रांत ने शुक्रवार को किसानों को अन्य पशुओं को पालने या चाय और हर्बल दवाओं का उत्पादन करने के लिए मुआवजा देने की की घोषणा की है। इसी तरह का प्लान Jiangxi प्रांत के लिए भी बनाया गया है। ये दोनों ही Hubei प्रांत से सटे हुए है जहां कोरोना का केंद्र माना जाता है।
हालांकि, यह बात ध्यान देने वाली है कि 2002 में SARS के फैलने के बाद चीन की सरकार ने उस समय भी जंगली जानवरों के खाने पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन हुआ क्या? लोगों ने और अधिक मात्रा में जंगली जानवरों को खाना प्रारम्भ कर दिया जिसका नतीजा कोरोना के रूप में सामने आया है। इस बार फिर चीन वही ढोंग कर रहा है और दुनिया को गुमराह करने के लिए नाटक कर रहा है।
अब यहा सवाल यह उठता है कि आखिर चीन इस तरह का दिखावा क्यों कर रहा है।
इसका उत्तर है वैश्विक स्तर पर चीन के खिलाफ जांच की बढ़ती मांग।
यह सभी को पता है कि कोरोना की शुरुआत चीन के वुहान स्थित वेट मार्केट से ही हुई है। वुहान के वेट मार्केट्स में जानवरों का ताजा मांस खुलेआम बेचा जाता है। इन वेट मार्केट्स में कुत्ते, चिकन, सूअर, साँप आदि जानवरों को लाया जाता है और यहाँ इनके मृत शरीर और मनुष्यों के बीच सीधा संपर्क होता है। जिस जगह पर सभी जानवरों को काटा जाता है, वहाँ कई प्रकार के जानवरों का खून आपस में मिल जाता है।
जानवरों के खुन या उनके मृत शरीर के सीधे संपर्क में आने के बाद ही यह वायरस मनुष्यों में फैला होगा। कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक पहले यह वायरस जानवरों में फैला होगा और फिर यह मनुष्यों में आया होगा। चीन ने पहले इस वायरस को लेकर यह कहा कि यह वायरस मनुष्य से मनुष्यों में नहीं फैल सकता है, लेकिन बाद में यह तर्क झूठ साबित हुआ।
चीन के लगातार कोरोना के मामले पर झूठ परोसता रहा और दुनिया को अंधेरे में रखा। इस वायरस से अभी तक लगभग 5 मिलियन लोग संक्रमित हो चुके हैं। इसी कारण से सभी देश चीन के खिलाफ हो चुके हैं और इस कम्युनिस्ट देश के खिलाफ जांच करने की मांग कर रहे हैं। WHA यानि world Health Assembly से लगभग 120 से अधिक देश चीन के खिलाफ स्वतंत्र जांच के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। यानि सभी चाहते हैं कि चीन से फैलने वाले इस वायरस के फैलने के कारणों का पता लगाया जाए और साथ में यह भी पता लगाया जाए कि आखिर जानवरों से यह वायरस मनुष्यों में कैसे फैला।
इसी जांच से बचने के लिए चीन ने एक बार फिर से दुनिया को बेवकूफ बनाने के लिए प्रोपेगेंडा चालू कर दिया है जिससे अन्य देशों को लगे कि चीन एक अच्छा देश है और उसने कर्रवाई करते हुए एक अच्छा निर्णय लिया है। पहले कोरोना के वायरस, मरीजों की संख्या और न जाने कितने झूठे प्रोपोगेंडे फैलाने के बाद अब चीन ने खुद को बचाने के लिए यह नया दांव खेला है। चीन कहने को तो शाकाहारी भोजन अपनाने की कोशिश कर रहा है परंतु सच कुछ और है। इसमें कोई हैरानी नहीं होगी जब कुछ वर्षों बाद यह खबर आएगी कि चीन में वेट मार्केट्स का धंधा पहले से कई गुना बढ़ चुका है जैसा 2002 में बैन लगने के बाद हुआ था।