चीन ने कभी सोचा था कि वह अपनी 5G कंपनी हुवावे के दम पर दुनियाभर के देशों में वायरलेस नेटवर्क का बेताज बादशाह बन जाएगा। हालांकि, कोरोनावायरस ने अब उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। दुनिया को इस बात का अहसास हो चुका है कि चीन पर विश्वास करना मतलब देश की संप्रभुता को खतरे में डालने के समान है। इसी खतरे को भाँपते हुए अब भारत की टेलिकॉम कंपनी एयरटेल ने भी भारत के बाज़ार से Huawei को बाहर का रास्ता दिखाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है और नोकिया के साथ 1 बिलियन US डॉलर की 5जी डील को पक्का कर लिया है। इससे पहले इसी साल जनवरी में हुवावे ने भारत में वोडाफोन और एयरटेल के साथ मिलकर दिल्ली और बेंगलुरु में 5जी ट्रायल करने का करार किया था। 5G क्षेत्र में हुवावे के साथ एयरटेल या अन्य किसी भारतीय टेलिकॉम कंपनी ने अभी कोई पक्का करार नहीं किया है और एयरटेल ने Huawei के साथ उन सभी Circles में दाम को कम करने को लेकर दोबारा बातचीत शुरू कर दी है, जहां अभी हुवावे एयरटेल को अपनी सेवाएँ दे रहा है।
अब चूंकि कोरोना काल के बाद सब कुछ बदलने वाला है, तो एयरटेल ने हुवावे के साथ दाम को renegotiate करने का फैसला लिया है। renegotiation का अर्थ है कि अब Huawei को पहले के मुक़ाबले बेहद कम कीमत पर ही अपनी सेवाएँ देने को कहा जाएगा। एयरटेल द्वारा नोकिया के साथ की गई डील से पहले ही हुवावे पर दबाव बढ़ गया होगा, जिसका एयरटेल भरपूर फायदा उठाना चाहता है। ऐसे में अगर हुवावे कम कीमत पर अपनी सेवाएँ देने से इंकार करता है, तो वह अपने-आप ही भारतीय बाज़ार से बाहर हो जाएगी।
यूं तो Huawei को अब तक 5जी क्षेत्र में सबसे आधुनिक कंपनी माना जाता है, लेकिन जिस प्रकार चीन की सरकार ने कोरोना के समय बर्ताव किया है, उसका खामियाजा अब हुवावे को भुगतना पड़ सकता है।
भारत अभी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टेलिकॉम बाज़ार है। भारत में वर्ष 2025 तक 92 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता होने के अनुमान हैं, और माना जा रहा है कि उस वक्त तक देश में 8 से 9 करोड़ 5जी उपभोक्ता भी हो जाएंगे, यानि 5जी कंपनियों के लिए इससे बड़ा अवसर कोई हो नहीं सकता। लेकिन हुवावे को अब यह अवसर नहीं मिल पाएगा।
बता दें कि हुवावे 5जी क्षेत्र की सबसे विवादित कंपनी भी है। हुवावे 5जी तकनीक का पूरी दुनिया में प्रसार करने पर काम कर रहा है लेकिन अमेरिका, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इस कंपनी पर इन देशों की सुरक्षा से समझौता करने और चीनी सेना के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है। इन देशों का मानना है कि Huawei कंपनी चीनी सरकार के प्रभाव में काम करती है और सुरक्षा के लिहाज से यह इन देशों के लिए खतरा साबित हो सकती है। इन सब देशों द्वारा हुवावे पर कार्रवाई के बाद भारत में भी हुवावे पर प्रतिबंध की मांग उठना शुरू हुई थी। हुवावे पर कई देश गंभीर आरोप लगा रहे हैं। बता दें कि जो पश्चिमी देश Huawei को अपने यहां 5जी ट्रायल करने की इजाजत नहीं दे रहे हैं, उनका मानना है कि चीन की यह कंपनी उनकी सुरक्षा में सेंध लगा सकती है। इसके अलावा इन देशों को यह भी शक है कि Huawei इन देशों से संवेदनशील जानकारी चुराकर चीनी सेना के साथ साझा कर सकती है, जो कि इन देशो की सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
Huawei को UK में पहले ही झटका लग चुका है क्योंकि चीन से बुरी तरह चिढ़े प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अपने यहां 5जी सेवाएँ शुरू करने से संबन्धित हुवावे को दी गयी सभी अनुमति को वापस लेने का ऐलान कर चुके हैं। इसके साथ ही कुछ ब्रिटिश सांसद UK के इन्फ्रास्ट्रक्चर में चीन की किसी भी कंपनी के शामिल होने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की भी बात कर रहे हैं। अमेरिका की बात करें तो ट्रम्प प्रशासन शुरू से ही Huawei के खिलाफ कड़े कदम लेता आया है।
भारत में भी हुवावे पर प्रतिबंध लगाने की बात समय-समय पर उठती रहती है। हालांकि, उसके बाद पिछले वर्ष अगस्त में चीन ने हुवावे को लेकर भारत को धमकी भी दी थी। चीन ने कहा था- “अगर Huawei पर भारत में व्यापार करने पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो चीन अपने यहां कारोबार करने वाली भारतीय फर्म पर प्रतिबंध लगाने के लिए स्वतंत्र होगा”। इसके बाद भारत के अधिकारियों ने भी चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया था। भारत के अधिकारियों ने कहा था कि अगर चीन अपनी चिंताओं को कूटनीतिक माध्यम से भारत सरकार तक पहुंचाता, तो अच्छा रहता। अधिकारियों ने यह भी कहा था कि चीन द्वारा खुले तौर पर भारत को धमकी देने की वजह से अब भारत सरकार के रुख में भी बदलाव आएगा और Huawei को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। अब चूंकि भारत की सभी टेलिकॉम कंपनियों ने हुवावे को ठिकाने लगाने का प्लान बना लिया है, तो भारत में हुवावे की कहानी अब खत्म ही समझो।