कोरोना महामारी के बाद अब अमेरिका चीन को निशाने पर लेने के बहाने ढूंढ रहा है। कल जहां अमेरिका के एक सीनेटर ने चीन को तबाह करने वाले 18-सूत्रीय प्रस्ताव को पेश किया, तो वहीं कल ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी चीन से सारे रिश्ते खत्म करने की धमकी दे डाली थी। अमेरिका के इस बेहद कड़े रुख के बाद अब चीन रास्ते पर आता दिखाई दे रहा है। दरअसल, कल चीन के विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में अमेरिका के साथ एक समझौते को पक्का करने का प्रस्ताव पेश किया। यह अमेरिका में चुनावी साल है और ट्रम्प अपनी जीत को पक्का करने के लिए चीन के खिलाफ कड़े से कड़ा कदम उठाने से शायद ही पीछे हटें। ऐसे में चीन ने अब अपने सुर बदलने का फैसला ले लिया है।
ट्रम्प पिछले कई हफ्तों से कोरोना के लिए लगातार चीन को निशाने पर ले रहे हैं लेकिन कल राष्ट्रपति ट्रम्प ने एक बेहद बड़ा बयान दिया। गुरुवार को एक न्यूज चैनल से बात करते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हमलोग चीन के साथ सभी संबंध तोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा था, ‘हमलोग बहुत कुछ कर सकते हैं, हमलोग उनके साथ जारी सभी संबंधों को खत्म कर सकते हैं।‘ ट्रंप ने यह भी कहा कि “चीन में हमने अमेरिकन पेंशन फंड में अरबों डॉलर लगाए थे वो पैसा अब वापस ले लिया है। इसी तरह के और भी कई एक्शन लिए जा रहे हैं”। उनका यह बयान तब सामने आया था जब कल ही अमेरिकी सीनेटर थोम टिल्लिस ने अपने 18-सूत्रीय प्रस्ताव के तहत चीन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। इसके अलावा पिछले कुछ समय से अमेरिकी विदेश सचिव माइक पोम्पियो भी चीन को खरी-खरी सुना रहे हैं। हाल ही में अपने ट्वीट के जरिये पोम्पियो ने चीन पर अमेरिका से कोरोना पर रिसर्च संबंधी जानकारी चुराने का आरोप लगाया था।
ऐसा लग रहा है मानो अमेरिका ने अब चीन के खिलाफ सभी मोर्चों पर प्रहार करना शुरू कर दिया है, जिसके बाद चीन को अमेरिका के सामने झुकने पर मजबूर होना पड़ा है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ‘‘चीन-अमेरिका संबंधों के विकास को बनाए रखना दोनों देशों में लोगों के बुनियादी हितों में है और यह दुनिया में शांति और स्थिरता के लिए भी जरूरी है। वर्तमान में चीन और अमेरिका को महामारी के खिलाफ मजबूत सहयोग बनाए रखना चाहिए। जितनी जल्दी हो सके, मरीजों को ठीक करना चाहिए और इकोनॉमी-प्रोडक्शन को फिर से पटरी पर लाना चाहिए। यह तभी मुमकिन होगा, जब अमेरिका, चीन से समझौता करेगा।’’
यहाँ चीन की भाषा और उसके लहजे पर गौर करना आवश्यक है क्योंकि आज अमेरिका के सामने भीगी-बिल्ली बनने वाला चीन कल तक ऑस्ट्रेलिया और ताइवान जैसे देशों को अपनी धौंस दिखा रहा था। चीन जहां एक तरफ ऑस्ट्रेलिया का आर्थिक बहिष्कार करने की धमकी दे चुका है, तो वहीं चीन की सरकारी मीडिया ताइवान पर हमला करके उसे चीन में मिलाने जैसे सुझावों की पैरवी कर चुकी है। चीन अब तक अपने यहाँ कोरोना से जुड़ी किसी भी जांच का विरोध करता आया है और अपने खिलाफ जांच करने वाले देशों की कड़ी आलोचना करता आया है। हालांकि, अमेरिका के सामने उसका भीगी बिल्ली बनना दिखाता है कि चीन को भी अब अपनी सीमाओं का आभास हो गया है।
अमेरिका अब भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और वियतनाम जैसे देशों के साथ मिलकर चीन पर आर्थिक प्रहार करने की योजना बना रहा है जिसके तहत चीन को ग्लोबल सप्लाई चेन से बाहर किया जाना है। चीन को डर है कि अगर अमेरिका अपने इन मंसूबों में सफल हो जाता है तो चीन में आर्थिक तबाही आना निश्चित हो जाएगा। इसी कारण से 24 घंटों में ही चीन को अमेरिका के सामने घुटने टेकने पड़े हैं और समझौता करने की गुहार लगानी पड़ी है।