‘FIR रद्द करो और ये उनके बोलने की आजादी है’, सोनिया एंटोनियो केस में कोर्ट से अर्नब को बड़ी जीत

ये देखो इन्हें तमाचे पर तमाचा मिल रहा है

अर्नब

PC: New Indian Express

रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को सोनिया गांधी को उनके असली नाम से बुलाने वाले मामले में एक बड़ी सफलता मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सुरक्षा बढ़ाने का निर्देश देते हुए स्पष्ट किया है कि उनके खिलाफ इसी मामले पर कोई और FIR नहीं होनी चाहिए। यही नहीं सुपीम कोर्ट ने टीटी एंटनी के मामले के आधार पर बाद में होने वाली FIR को रद्द कर दिया। इसके साथ ही अर्नब के इस मामले को CBI को सौंपने की याचिका को भी खारिज कर दिया।

यही नहीं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने बाकी सभी प्राथमिकी रद्द करते हुये कहा कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति और बोलने की आजादी का मूल आधार है।

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ये बयान आना अर्नब के लिए किसी जीत से कम नहीं है। बता दें कि महाराष्ट्र के पालघर में भीड़ द्वारा साधुओं की पीट-पीटकर हत्या करने के मामले में अर्नब ने अपने डिबेट शो में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को उनके असली नाम से बुलाया था। इसके बाद कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं ने गोस्वामी के खिलाफ नागपुर के साथ देश के कई हिस्सों में FIR दर्ज कराई थी। नागपुर में दर्ज प्राथमिकी को शीर्ष अदालत ने अर्नब गोस्वामी पर हमले की शिकायत के साथ संयुक्त जांच के लिए मुंबई स्थानांतरित कर दिया था।

अब कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए बताया कि धारा 32 के तहत की गई शिकायत को ख़ारिज नहीं किया जा सकता, लेकिन अर्नब क़ानूनी मदद के लिए कोर्ट का रुख़ कर सकते हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, सभी एफ़आईआर और शिकायतें एक ही ब्रॉडकास्ट में कही बातों को लेकर है तथा सभी शिकायतें भी एक ही तरह की हैं। उन्होंने आगे कहा,पुलिस को जाँच करने से रोका नहीं गया है।”

कोर्ट ने अभिव्यक्ति की आजादी पर ज़ोर देते हुए कहा कि, “संविधान की अनुच्छेद 32 के अनुसार कोर्ट का ये कर्तव्य है कि वो नागरिकों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करे। पत्रकारिता की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल में है। भारत में प्रेस की आज़ादी तब तक होनी चाहिए जब तक वो सच बताए।“ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत पत्रकारों का अधिकार अधिक है और स्वतंत्र मीडिया के बिना स्वतंत्र नागरिक का अस्तिस्व नहीं रहेगा।

इसके साथ ही कोर्ट ने 24 अप्रैल को दी गई अंतरिम सुरक्षा को FIR के संबंध में उचित उपाय करने में सक्षम बनाने के लिए तीन और सप्ताह बढ़ा दिए हैं। मुंबई पुलिस आयुक्त को उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए निर्देश भी दिया गया है।

बता दें कि बहस के दौरान 11 मई को अर्नब के तरफ से अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत का परचम लहराने वाले हरीश साल्वे ने भी अनुच्छेद 19 (1) (ए) और प्रेस की स्वतंत्रता का मुद्दा उठाते हुए पूछा था कि, क्या पुलिस और CRPC को किसी भी टीवी पर टेलीकास्ट या प्रिंट में राय रखने के लिए लागू किया जा सकता है वह भी बिना किसी सुरक्षा उपायों के?“ उन्होंने आगे कहा था, इससे प्रेस की स्वतंत्रता पर नकारात्मक प्रभाव होगा।

इससे पहले सोनिया गांधी को उनके वास्तविक नाम एंटोनिया माइनो से बुलाने के लिए रिपब्लिक चैनल के एडिटर और संचालक अर्नब गोस्वामी  को ना सिर्फ मुंबई पुलिस ने तलब किया, बल्कि 10 से अधिक घंटों तक उनसे पूछताछ भी की थी। अब इस मामले में फैसला अर्नब के पक्ष में दिखाई दे रहा है। कोर्ट के तरफ से अभिव्यक्ति की आजादी मामला उठाना बताता है कि कांग्रेस ने सिर्फ बदले की राजनीति करने के लिए अर्नब के खिलाफ इस तरह से एक बाद एक कई FIR कारवाई थी। खैर, जो भी है अब अर्नब पर सिर्फ एक ही FIR के आधार पर मामला चलेगा और यह कांग्रेस के लिए हार से कम नहीं है।

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