बिहार और गुजरात राजस्व कमाने के मामले में सबसे बड़े लूज़र, कारण शराब पर बैन

टैक्स

लॉकडाउन के तीसरे चरण से पहले जब 4 मई को राज्यों में शराब की दुकानें खुली तो हर राज्य से दुकानों पर उमड़ी भीड़ की खबर सामने आई। इस बीच करीब 40 दिन बाद खुली दुकानों से राज्य सरकारों के आमदनी में जबरदस्त इजाफा हुआ है। सभी राज्य शराब पर टैक्स बढ़ा कर बेच रहे हैं और अधिक से अधिक राजस्व कमाने का प्रयास कर रहे हैं। दिल्ली में दिल्‍ली सरकार ने एक ही झटके में शराब पर 70% का Corona टैक्‍स लगाने की घोषणा कर दी थी। ऐसे समय मे अगर सबसे अधिक नुकसान किसी का होने वाला है तो वह बिहार और गुजरात जैसे राज्य जिन्होंने शराब को बैन कर रखा है।

देशभर में अगर गुजरात और बिहार जैसे ड्राइ स्टेट्स को छोड़ दिया जाए, तो शराब की बिक्री राज्य के राजस्व का सबसे अहम जरिया होता है। राज्य अपनी कुल आमदनी का लगभग 20 से 25 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं से कमाता हैं। उदाहरण के लिए पिछले साल छत्तीसगढ़ ने शराब की बिक्री से करीब 5 हज़ार करोड़ रुपये कमाए थे, जबकि राज्य की कुल कमाई 22 हज़ार करोड़ रुपए हुई थी। इसी तरह केरल में शराब की बिक्री से 12 हज़ार करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था, जो कुल राजस्व का 20 प्रतिशत हिस्सा है। राज्यों का सबसे ज़्यादा राजस्व पेट्रोल और शराब की बिक्री से आता है। लॉकडाउन में पेट्रोल तो नहीं बिक रहा है, लेकिन अब राज्यों ने शराब की बिक्री पर अपना सारा ध्यान लगा दिया है ताकि उनकी कुछ कमाई होती रहे। 40 दिनों के लॉक डाउन में राज्य सरकारों को 30 हजार करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है। और अब सभी राज्य शराब के माध्यम से अपने घाटे को बराबर करने की कोशिश कर रहे हैं।

जैसे ही केंद्र सरकार ने राज्यों को शराब की बिक्री करने की छूट दी, वैसे ही सभी राज्यों ने अपने-अपने यहाँ तुरंत शराब की बिक्री करने की छूट दे दी। यही नहीं दिल्ली ने तो 70 प्रतिशत का कोरोना टैक्स भी लगा दिया। वहीं इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार आंध्र प्रदेश ने शराब पर 75 फीसदी और बंगाल ने 30 फीसदी टैक्‍स बढ़ा दिया है। हरियाणा और राजस्‍थान ने भी इतनी ही वृद्धि के संकेत दिए हैं।

दाम बढ़नें के बावजूद शराब से ख़रीदारों में कोई कमी देखने को नहीं मिली और खरीददार लंबी लाइन लगा कर शराब खरीदने में लगे रहे। ताजा रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को शराब की दुकानों में बिक्री ने कई रिकॉर्ड भी बना लिए। कर्नाटक सरकार ने सिर्फ एक दिन में शराब की बिक्री से 45 करोड़ रुपये कमाए हैं तो वहीं आंध्र प्रदेश ने पहले दिन 40 करोड़ रुपये कमाए। साल 2018-19 में उत्तर प्रदेश सरकार ने शराब की बिक्री से 23,918 करोड़ रुपए का टैक्स वसूला था। इस समय उत्तर प्रदेश में ही शराब की 18 हज़ार से अधिक दुकानें हैं।

भारत में अभी कुल इनकम टैक्स से कमाई 4.3 लाख करोड़ रुपये होती है, और इसमें से 30 प्रतिशत से ज़्यादा tax sole proprietorship business से आता है। अगर कुल इनकम tax में से इस टैक्स को घटा दिया जाये, तो शराब और तंबाकू से होने वाली कमाई ही इनकम टैक्स से होने वाली कमाई से ज़्यादा बैठती है।

जैसे ही शराब की दुकानें बंद हुई, ठीक वैसे ही राज्यों को अपने कुल राजस्व का 25 प्रतिशत हिस्सा गंवाना पड़ गया, रही सही कसर लॉकडाउन ने पूरी कर दी जहां पेट्रोल/डीजल की बिक्री भी रुक गयी थी। अब राज्यों को दोबारा शराब की बिक्री से लाभ उठाने का मौका मिला है, तो राज्य सरकारें जमकर इस मौके का फायदा उठाना चाहती हैं।

पर जिन राज्यों ने अपने आप को ड्राइ स्टेट घोषित किया हुआ है वो सभी अभी घाटे में ही रहेंगी। इनमें से गुजरात और बिहार प्रमुख हैं। इसके अलावा नागालैंड और मिजोरम भी ड्राइ स्टेट ही है। जब वर्ष 1960 में महाराष्ट्र से अलग होकर गुजरात नया राज्य बना, तभी से वहां शराब पर बैन लगा हुआ है। जबकि, बिहार में अप्रैल 2016 से शराब पर बैन लगाया गया था। इस कारण से इन दोनों राज्यों को एक्साइज ड्यूटी से कोई कमाई नहीं होती। अब यह देखना है कि लॉकडाउन के कारण हुए घाटे से ये सभी ड्राइ स्टेट किस प्रकार से अपने घाटे से उबरते हैं।

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