यदि आपको बिजली बिल में भारी छूट पाना है तो भाजपा को राज्य से हटाना है और कांग्रेस को फिर से सत्ता पर बिठाना है. ये बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि एमपी में बिजली विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट कह रही है. जी हां मध्य प्रदेश के मालवा में एक कस्टमर ने बिजली विभाग से ज्यादा बिल आने पर शिकायत की तो उसे यही मैसेज मिला है.
बता दें कि आने वाले दिनों में एमपी में उपचुनाव हैं और सरकारी तंत्र में अभी भी कांग्रेस समर्थित लोग बैठे हैं जो कांग्रेस का एजेंडा चला रहे हैं. हालांकि शिवराज चौहान के अफसर हरकत में आ गए हैं और इस मामले की जांच हो रही है.
बता दें कि मध्य प्रदेश बिजली विभाग की वेबसाइट पर लोग अपनी शिकायतें दर्ज करवाते हैं जिसका जवाब उन्हें मिलता है, या फिर वे खुद लॉग इन करके शिकायत पर हुई कार्रवाई की स्थिति को देखते हैं लेकिन ऐसा संदेश आने के बाद लोग सकते में आ गए हैं.
दरअसल, आगर मालवा के निवासी हरीश जाधव के घर बिजली का बिल 30 हजार से ज्यादा आ गया जिसके बाद उन्होंने ऑनलाइन इसकी शिकायत दर्ज की. शिकायतकर्ता ने जब ऑनलाइन शिकायत के निपटारे की स्थिति पूछी तो जवाब आया- “अगर बिल में छूट पाना है तो बीजेपी को हटाना है और कांग्रेस को लाना है, 100 में 100 रुपए का आना है”.
इस तरह का मैसेज देखकर हरीश हैरान हो गए और उन्होंने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर इस मामले पर शिकायत दर्ज कराई. अब बिजली विभाग के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक पर जांच की जा रही है.
ऐसा पहली बार नहीं है जब मध्य प्रदेश के लोगों पर कांग्रेस व कांग्रेस के लोगों ने इस तरह से जबरन कुछ करवाने की कोशिश की हो. इससे पहले एक कोरा (Quora) यूजर ने आरोप लगाया था कि कैसे कांग्रेस की मध्य प्रदेश सरकार ने उसे नेशनल हेराल्ड की सदस्यता खरीदने पर मजबूर किया था.
कोरा यूजर के मुताबिक वह मध्य प्रदेश में एक छोटी कंपनी चलाता है एक दिन उसके कारखाने पर एक ग्रेड वन अफसर से मुलाकात हुई. अधिकारी ने उससे प्रार्थना करते हुए 3900 रूपए का चेक रिश्वत के तौर पर मांगा. इसके साथ ही उसने विशेष अनुरोध करते हुए कहा कि वह ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ के नाम से चेक पर साइन करे.
इसके बाद अधिकारी ने एक फॉर्म का लिंक दिया जो नेशनल हेराल्ड का सब्सक्रिप्शन फॉर्म था. यूजर ने आगे कहा कि उक्त अधिकारी ने कहा कि चेक के द्वारा ही इसका पेमेंट करें और चेक Herald House, 5-A, Bahadur Shah Zafar Marg, New Delhi. एड्रेस पर ही भेंजे. बाद में यूजर ने जब चेक किया तो वह पता नेशनल हेराल्ड दिल्ली ऑफिस का था.
यूजर के मुताबिक ऐसा कोई ग्रेड वन अधिकारी बिना राजनीतिक दबाव के कैसे नेशनल हेराल्ड के सब्सक्रिप्शन की बात करेगा. जरुर उस पर कांग्रेस की तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने दबाव बनाया होगा.
दोनों कहानियों से तो आप समझ ही गए होंगे कि कमलनाथ सरकार ने कैसे अपने और कांग्रेस के प्रचार के लिए प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों का दुरूपयोग किया. ऐसे में यह कोई हैरत की बात नहीं है कि मध्य प्रदेश से भले ही कांग्रेस की कमलनाथ सरकार चली गई हो लेकिन ज्यादातर विभाग में उसके नियुक्त किए हुए लोग ही अभी हैं. ऐसे में उपचुनाव में कांग्रेस इन सरकारी लोगों के माध्यम से अपना एजेंडा मध्य प्रदेश की आम जनता पर थोपने का प्रयास कर रही है.