अपनी पिछली रिपोर्ट में हमने आपको बताया था कि कैसे चीन यूरोप को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहा है और कैसे उसने यूरोप को अपना गुलाम बना लिया है। हालांकि, वह सिर्फ यूरोप ही नहीं है जो चीन की गुलामी करने की सारी सीमाओं को लांघ रहा हो बल्कि कनाडा भी उसी राह पर जाता दिखाई दे रहा है। दरअसल, बीती 7 मई को जब Canadian parliament virtual sesson के दौरान विपक्ष के एक सांसद ने कनाडा के विदेश मंत्री से मेडिकल सप्लाई भेजने के लिए ताइवान का शुक्रिया अदा करने के लिए कहा तो कनाडाई विदेश मंत्री के पसीने छूट गए और वह गोल गोल जवाब देने लगे। विपक्ष के सांसद ने दो बार सवाल पूछे और दोनों बार कनाडा के विदेश मंत्री ताइवान का नाम लेने से बचता दिखाई दिये।
SHOCK VIDEO: Twice Justin Trudeau’s foreign minister is asked to thank Taiwan for a huge gift of face masks. Twice he refuses, and won’t even say the word “Taiwan”. pic.twitter.com/KIDVyjLzmo
— Ezra Levant 🍁🚛 (@ezralevant) May 7, 2020
7 मई को विपक्ष के सांसद ऐड फास्ट ने कनाडा के विदेश मंत्री François-Philippe Champagne से सवाल पूछा “जब चीन ने हमें घटिया क्वालिटी की मेडिकल सप्लाई भेज कर हमारी सहायता करने का नाटक किया था तो आपने 2 घंटे के अंदर अंदर चीन को शुक्रिया अदा करते हुए ट्वीट कर दिया था। लेकिन ताइवान द्वारा 500000 मास्क दान करने के बाद भी आपने अब तक ताइवान को शुक्रिया अदा नहीं किया। ऐसा ही आखिर आप कब करेंगे?” इसके जवाब में कनाडा के विदेश मंत्री ने कहा कि “जिन भी देशों ने इस मुश्किल समय में उनके देश का साथ दिया है, वह उन सभी देशों का शुक्रिया अदा करते हैं और ऐसे मुद्दे पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए”। इसके बाद ऐड फास्ट ने उनसे दोबारा कहा कि आपने अब तक ताइवान को शुक्रिया अदा नहीं किया है। इसके जवाब में फिर विदेश मंत्री ने कहा कि वह उन सब देशों का शुक्रिया अदा करते हैं जिन्होंने कनाडा की सहायता की। यानी François-Philippe Champagne के मुंह से एक बार भी ताइवान का नाम नहीं निकला।
हालांकि, इसके बाद 8 मई को जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से यही सवाल पूछा गया तो ट्रूड़ों ने ताइवान का नाम लेकर शुक्रिया अदा किया। उनसे सवाल पूछा गया था कि उनके विदेश मंत्री ने तो ताइवान का नाम लेने से मना कर दिया क्या वे भी ऐसा ही करेंगे। जिसके जवाब में आखिर ट्रुडो ने ताइवान का नाम लेकर धन्यवाद किया। हालांकि, यहां बड़ा सवाल यह है कि आखिर वह क्या चीज थी जिसके कारण कनाडा के विदेश मंत्री पार्लियामेंट के एक वर्चुअल session में ताइवान का नाम लेने से घबरा रहे थे। एक लोकतांत्रिक और स्वतंत्र देश के विदेश मंत्री होने के नाते आखिर उन्हें किस बात का डर सता रहा था।
यह बात सबको पता है कि चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ताइवान को लेकर किसी भी विचार विमर्श का कड़ा विरोध करता है, क्योंकि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। यहां तक कि चीन अपने प्रभाव वाले डब्ल्यूएचओ में भी ताइवान की सदस्यता का शुरू से ही विरोध करता रहा है। हाल ही में जब हांगकांग के एक न्यूज़ नेटवर्क ने डब्ल्यूएचओ के एक अधिकारी से कोरोना वायरस पर ताइवान की प्रतिक्रिया को लेकर सवाल पूछा था तो वह भी ताइवान का नाम लिए बगैर सवाल को टालता दिखाई दिया था। तब उस बात की पुष्टि हो गई थी कि चीन डब्ल्यूएचओ पर अपने प्रभाव का नाजायज राजनीतिक इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन अब हमें यह भी सोचना होगा कि क्या चीन का कनाडा के ऊपर भी इस हद तक राजनीतिक प्रभाव है कि वहां के विदेश मंत्री खुलकर ताइवान का नाम तक नहीं ले सकते।
Look At This Video.
HongKong Media interviewed a @WHO Official who belongs to Cannada. He Ignores the question of Taiwan And starts Praising China. This Show that How Much @WHO is under the influence of China. #TweetForTaiwan #TaiwanIsNotChina pic.twitter.com/9S2Cv3g2gA— Amour (@Te_____Quiero) May 2, 2020
चीन और कनाडा के रिश्ते वर्ष 2018 से ही तनावपूर्ण रहे हैं। वर्ष 2018 में कनाडा ने अमेरिका के कहने पर हुवावे कि CFO को गिरफ्तार कर लिया था। चीन ने तब इसका कड़ा विरोध किया था और इससे कुछ दिनों बाद ही चीन में रह रहे कनाडा के दो पूर्व राजनयिकों को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके अलावा हाल ही में कोरोनावायरस के दौरान मेडिकल सप्लाई के लिए चीन गए कनाडा के दो planes को चीन ने यह कहकर खाली लौटा दिया था की उसके एयरपोर्ट पर भीड़ काफी ज्यादा हो गई है। चीन द्वारा कनाडा के इस घोर अपमान के बाद भी कनाडा की ओर से चीन के खिलाफ एक कड़ा बयान तक सामने नहीं आया था। ऐसा लग रहा है कि चीन कनाडा को अपनी एक कॉलोनी समझता है। आज के समय में चीन से कैसे बर्ताव किया जाना चाहिए यह कनाडा को अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से सीखना चाहिए।