कोरोना वायरस ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा झटका दिया है। कोरोना से पहले जहां विश्व में तीन प्रतिशत की दर से आर्थिक विकास होने का अनुमान लगाया जा रहा था, अब वह विकास दर नेगेटिव होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। इस वर्ष दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सिर्फ भारत और चीन को छोड़कर बाकी सभी देशों की आर्थिक विकास दर नेगेटिव रहने के ही अनुमान हैं।
भारत के इकनॉमिक सर्वे में पहले भारत में इस साल 6 प्रतिशत आर्थिक विकास दर रहने के अनुमान लगाए जा रहे हैं, लेकिन अब यह विकास दर सिर्फ़ 2 प्रतिशत रहने के अनुमान हैं। आर्थिक विकास दर का कम होना मतलब देश में राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के पास आमदनी के साधन भी सिकुडते चले जाएंगे। दूसरी तरफ केंद्र सरकार और राज्य सरकारों पर डूबती कंपनियों को बचाने के लिए राहत पैकेज देने का भी दबाव है। यानि सरकार पर खर्चों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, जबकि आमदनी के साधन लगातार कम हो रहे हैं।
सरकार का खर्चा लगातार बढ़ रहा है। केंद्र सरकार ने हाल ही में 1.5 ट्रिलियन रुपयों का राहत पैकेज घोषित किया था, अब सरकार उद्योगों के लिए भी जल्द ही 3 से 5 ट्रिलियन डॉलर का राहत पैकेज घोषित कर सकती है। इसी बीच केंद्र सरकार की करों से होनी वाले कमाई में भी भारी कमी देखने को मिल सकती है।
कोरोना के कारण जारी लॉकडाउन की वजह से ही केंद्र सरकार की कमाई सबसे ज़्यादा घटी है। केंद्र सरकार अपनी कमाई के लिए अधिकतर प्रत्यक्ष कर जैसे इनकम टैक्स पर ही निर्भर होती है। इसके अलावा corporation tax और CGST और कस्टम ड्यूटी से ही केंद्र सरकार की कमाई होती है। हालांकि, आर्थिक मंदी के चलते सरकार के पास इस साल बेहद ही कम इनकम टैक्स आने की संभावना है, इसले उलट सरकार को ही इन कंपनियों के लिए पैकेज की घोषणा करनी पड़ेगी। ऐसे ही इस साल लोगों की salary भी कम होंगी, जिससे व्यक्तिगत इनकम टैक्स भुगतान में भारी कमी देखने को मिल सकती है। लोगों के पास खर्च करने के लिए कम पैसा होगा, जिसके कारण केंद्र के पास कम CGST आएगा और इसके साथ ही देश में import-export बिजनेस को भी गहरा धक्का पहुंचा है, जिससे इस क्षेत्र से भी सरकार की कमाई नहीं होने के अनुमान हैं।
इस लिहाज से देखा जाये तो केंद्र सरकार जल्द ही दिवालिया होने की स्थिति में पहुँच जाएगी, क्योंकि खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं और कमाई लगातार गिर रही है। हालांकि, दूसरी तरफ राज्य सरकारों के लिए राहत की खबर यह है कि राज्य सरकारें शराब की बिक्री कर और पेट्रोलियम से अपनी कमाई को स्थिर करने के प्रयास कर सकती हैं। राज्य सरकार इसके अलावा बिजली पर टैक्स लगाकर और SGST के बल पर दिवालिया होने से बच सकती हैं।
अधिकतर राज्यों जैसे हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली ने अपने-अपने यहाँ शराब और पेट्रोलियम पर भारी टैक्स लगा दिया है, जिसके कारण लॉकडाउन से हुए नुकसान की भरपाई की जा सके। बता दें कि राज्य सरकारों की कुल कमाई में शराब और पेट्रोलियम की बिक्री से आने वाले टैक्स का सबसे बड़ा हिस्सा होता है। ऐसे में केंद्र सरकार तो इस साल दिवालिया हो सकती हैं, लेकिन राज्य सरकारों के लिए अभी काफी राहत है।
केंद्र सरकार को शायद इस साल और भी ज़्यादा बड़ा कर्ज़ लेना पड़े, जैसा कि दुनियाभर की सरकारें कर रही हैं, ऐसे में देश को इस बड़े आर्थिक संकट से उबारने की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी राज्यों के कंधों पर आती है। राज्यों को जल्द से जल्द बड़े आर्थिक सुधार कर देश को इस बड़ी विपदा से बचाने के लिए अपनी अहम भूमिका निभानी होगी।