चीन बांग्लादेश के रास्ते आतंकियों की मदद कर रहा है, म्यांमार-भारत एक साथ मिलकर सफाया करेंगे

अजीत डोभाल और म्यांमार की खूफिया विभाग एक साथ मिशन पर है

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चीन एक बार अपनी नापाक हरकतों को जगजाहिर करने पर उतर आया है। इस बार म्यांमार में वह अलगाववादियों और आतंकियों की सहायता करता हुआ पकड़ा गया है। म्यांमार में आतंकी गुट अराकान आर्मी ने अपनी सक्रियता म्यांमार के राखीं प्रांत में बढ़ा दी है।

परन्तु यहां जो बात सामने आई है, वो यह कि कैसे चीन अराकान आर्मी की सहायता करता नज़र आया है। फ़रवरी के तीसरे हफ्ते में 500 से अधिक असॉल्ट राइफल, 30 Universal Machine Guns, 70000 rounds गोला बारूद की एक बहुत बड़ी खेप समुद्र के रास्ते मोनाखली तट पर उतारी गई, जो म्यांमार और बांग्लादेश के तटीय क्षेत्रों के बीच में स्थित है।

इसका कनेक्शन चीन से बताया जा रहा है, और स्वयं आतंकी गुट के सरदार खैन तुक्खा ने स्वीकारा है कि चीन हमें पहचानता है और सहायता भी देता है, जबकि भारत ऐसा नहीं करता।

नॉर्थईस्ट नाउ के अनुसार एक बैंगकॉक में बसे एक्सपर्ट ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कैसे चीनी कम्पनियों यदा कदा अरकान आर्मी को कई मोर्चों से हथियार सप्लाई करता है। इतना ही नहीं, कोढ़ में खाज वाली बात तो यह है कि बांग्लादेश को भी आरकान आर्मी और चीन की इस सांठगांठ के बारे में पता है, कर वह जानबूझकर आंख मूंदे बैठा है, जबकि बांग्लादेश भी उसी रोहिंग्या घुसपैठियों के समस्या का सामना करता है, जिससे लडने के कारण म्यांमार को फालतू में वामपंथियों के कोपभाजन का शिकार बनना पड़ता है।

परन्तु म्यांमार जब रोहिंग्या घुसपैठियों के उत्पात पर मौन नहीं रहा, तो वह यहां क्यों मौन रहता। इसलिए म्यांमार ने तुरंत भारत के साथ अपने संबंध मजबूत करते हुए इन आतंकियों और उनके चीनी आकाओं के विरुद्ध युद्धस्तर पर कार्रवाई प्रारंभ कर दी है।

अजित डोभाल के प्रयासों से म्यांमार सरकार ने भारत को 22 उग्रवादी सौंपे हैं। इन सभी उग्रवादियों पर पूर्वोत्तर राज्यों में आतंक फैलाने का आरोप हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इन सभी उग्रवादियों को मणिपुर और असम में राज्य पुलिस को सौंपा गया है। ये उग्रवादी NDFB(S), UNLF, PREPAK (Pro), KYKL, PLA and KLO जैसे संगठनों से जुड़े हुए हैं। अगर सूत्रों की बात मानें तो इस पूरे ऑपरेशन का नेतृत्व स्वयं NSA अजित डोभाल कर रहे थे।

बता दें कि इन उग्रवादियों में से 10 मणिपुर में वॉन्टेड थे जबकि अन्य की असम में तलाश थी। रिपोर्ट के अनुसार इन उग्रवादियों को विशेष विमान से लाया गया है। इन उग्रवादियों को लाने वाला पहला विमान मणिपुर की राजधानी इंफाल पहुंचा और इसके बाद  गुवाहाटी गया। एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि यह पूरा अभियान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के नेतृत्व में हुआ। अधिकारी ने कहा कि यह पहला मौका है जब म्यांमार सरकार ने भारत के निवेदन पर पूर्वोत्तर उग्रवादी संगठनों के सदस्यों को हमें सौंपा है।

इन आतंकियों में सबसे बड़ा नाम राजन डिमरी का है। राजन बोडो आंतकी समूह NDFB का प्रमुख है। यही नहीं इसने स्वयं को होम सेक्रेटरी घोषित किया हुआ था। राजन के अलावा UNLF का कैप्टन सन्तोम्बा निंगहोऊजाम, PREPAK का पशुराम लैशराम जैसे बड़े और मोस्ट वांटेड आतंकी म्यांमार ने भारत को सौंपे हैं।

इतना ही नहीं, कूटनीतिक स्तर पर भी भारत म्यांमार को रोहिंग्या और चीन के चंगुल से मुक्त रखने के लिए प्रयासरत है। भारत के राजदूत सौरभ कुमार ने हाल ही में म्यांमार के स्वास्थ्य और खेल मंत्रालय को 2,00,000 हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) की गोलियां सहित मेडिकल सप्लाई सौंपी।

भारत द्वारा भेजे गए मेडिकल सप्लाई में सर्जिकल पंप, सिरिंज पंप, ग्लूकोमीटर, थर्मल स्कैनर और मेडिकल एयर कंप्रेशर्स आदि शामिल है। भारतीय दूतावास ने कहा कि भारत द्वारा यह योगदान दोनों देशों के बीच पारंपरिक रूप से मैत्रीपूर्ण संबंधों का संकेत है।

देश की राष्‍ट्रीय सुरक्षा के लिए भी म्‍यांमार महत्वपूर्ण है। पूर्वोत्तर राज्यों में जिस तरह से विद्रोही ताकत सक्रिय होते हैं उससे देखते हुए म्यांमार से अच्छे संबंधअत्यंत आवश्यक है।

विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों देशों ने सीमा क्षेत्र से बाहर प्रचालन करने वाले भारतीय विद्रोहियों से लड़ने के लिए वास्‍तविक समयानुसार सूचना को साझा करने के लिए संधि की है।

यही नहीं भारतीय जवानों ने 9 जून 2015 में म्‍यांमार की सीमा से लगे इलाके चंदेल में सर्जिकल स्‍ट्राइक की थी। इस सर्जिकल स्ट्राइक से पहले 4 जून को एनएससीएन-के के उग्रवादियों ने मणिपुर में सेना के काफिले पर कायराना हमला किया था।

इस हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे। इसके जवाब में ही भारत ने म्यांमार की सीमा में जा कर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। दोनों देशों के बीच एक समझौते के तहत दोनों देशों के नागरिकों को 15 किलोमीटर तक जाने की अनुमति है।

भारत ने म्यांमार से आए रोहिगंया शरणार्थियों के लिए हमेशा कड़ा रुख अपनाया है। 40 हजार या उससे अधिक शरणार्थियों भारत में रहते हैं लेकिन सरकार उन्हें वापस भेजने की हरसंभव कोशिश कर रही है। और रोहिंग्या भारत न आए इसके लिए म्यांमार के रखाइन प्रांत में भारत ने रोहिंग्याओं के लिए घर भी बना दिया है।

यह घटनाक्रम भारत और म्यांमार बीच बढ़ते संबद्धों की पुष्टि करता है। अब भारत ने कोरोना जैसी महामारी में म्यांमार को ना सिर्फ मदद की है। यही समय है कि भारत अपने एक्ट ईस्ट पॉलिसी को और मजबूती से पालन करे जिससे चीन के प्रभावित देश भारत के साथ अपने संबंध मजबूत कर सकें, और चीन की गुंडई को भारत के नेतृत्व में अन्य देश मुंहतोड़ जवाब दे सके।

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