चीन के हाँग-काँग में नया सुरक्षा कानून लाने के बाद अब मामला और गरमा चुका है। सभी देश चीन पर दबाव बनाने की कोशिश में लगे हैं। इसी बीच ब्रिटेन ने भी चीन को धमकाते हुए कहा था कि अगर चीन (China) कानून लागू करता है तो वह ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट होल्डर्स (BNO) का दर्जा बदल देगा और हांगकांग वासियों को ब्रिटिश नागरिकता प्रदान कर दी जाएगी। इसके बाद अब चीन ने ब्रिटेन पर पलटवार करते हुए जवाबी कर्रवाई की धमकी दी है।
यहाँ पर सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों चीन (China) कई देशों को अपने खिलाफ उकसा रहा है? सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया के ऊपर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ा कर चीन ने उसे भड़काया उसके बाद उसने साउथ चाइना सी में ताइवान के क्षेत्र पर कर्रवाई, फिर भारत के साथ बार्डर विवाद अब ब्रिटेन के साथ विवाद। अमेरिका ने चीन के खिलाफ पहले से ही मोर्चा खोल रखा है। चीन अब पूरी तरह से घिर चुका है और यह सोच रहा है कि अन्य देशों को डरा कर उन्हें शांत कराया जा सकता है। परंतु इस बार ऐसा नहीं होने वाला औए चीन की हार तय है।
दरअसल, जब चीन ने हाँग काँग की स्वायत्ता को समाप्त करते हुए वहाँ नया सुरक्षा कानून पारित कर दिया जिसके बाद कई देश चीन के खिलाफ हो गए। ब्रिटेन ने सीधा चीन (China) को धमकाते हुए कहा कि अगर चीन इस कानून को लागू करता है तो वह हाँग काँग के निवासियों को ब्रिटिश नागरिकता देने की प्रक्रिया चालू कर देगा। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने कहा था, “हम चीन से मांग करते हैं कि वह अपने कदम पीछे खींच ले। अगर चीन (China) कानून लागू करता है तो वह ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट होल्डर्स (BNO) का दर्जा बदल देगा। इसके बाद, हॉन्ग कॉन्ग में रह रहे तमाम ब्रिटिश पासपोर्ट होल्डर 6 महीने से ज्यादा वक्त के लिए ब्रिटेन में रह सकेंगे और बाद में उनके लिए नागरिकता का रास्ता भी खोला जा सकता है।“ बता दें कि 1997 तक ब्रिटिश उपनिवेश रहा हॉन्ग कॉन्ग ‘वन कंट्री, टू सिस्टम’ के तहत China को सौंप दिया गया था, लेकिन उसे राजनीतिक और कानूनी स्वायत्तता भी दी गई थी। अब चीन ने वापस ब्रिटेन के खिलाफ ही कर्रवाई करने की धमकी दे डाली।
इसी तरह चीन लद्दाख क्षेत्र में भारत के साथ सटे सीमा पर सेना की टुकड़ी जमा कर दबाव बनाना चाह रहा है। कई ऐसे रिपोर्ट्स भी आते हैं चीन ने सीमा के 3 क्षेत्रों में घुसपैठ भी किया और अब 5000 सैनिक जमा कर चुका है। परंतु भारत ने भी जवाबी कर्रवाई करते हुए सीमा पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है और चीन (China) को वापस कदम पीछे खींचने पर मजबूर कर रहा है। यही नहीं कुछ दिनों पहले सिक्किम में भी चीन ने बार्डर पर विवाद करने की कोशिश की थी जिसमें भारतीय सेना के लेफिटेंट ने उसके एक मेजर रैंक के अधिकारी की नाक फोड़ दी थी। यानि कुल मिला कर देखें तो चीन (China) ने भारत के विरुद्ध इस तरह से सीमा पर दबाव बढ़ा कर उकसाने का ही काम किया है।
वहीं चीन और कनाडा के बीच हुवावे विवाद का मामला बड़ा होता जा रहा है। कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद दोनों देशों के बीच तनाव जारी है।
ताइवान तो पहले से ही चीन के अत्याचारों और साम्राज्यवादी नीति के कारण उसके खिलाफ रहा है, लेकिन इस बार चीन ने साउथ चाइना सी में ताइवान के क्षेत्र में घुस कर एक द्वीप कर कब्जा करने की कोशिश की। यही नहीं चीन ने अपने कई Vessel की मदद से पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर के अन्य देशों जैसे जापान और वियतनाम के Exclusive Economic Zones और क्षेत्रीय जल में घुसपैठ भी की और उन देशों को उकसाया।
इससे पहले जब कोरोना को लेकर ऑस्ट्रेलिया ने चीन (China) के खिलाफ स्वतंत्र जांच की मांग की तब पहले तो चीन ने आर्थिक प्रतिबंधों की धमकी दे कर ऑस्ट्रेलिया को चुप कराने की कोशिश की लेकिन जब शी जिनपिंग ने देखा कि यह देश चुप नहीं होने वाला है तो उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से आने वाले जौ पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी और फिर अन्य उत्पादों पर भी इसी प्रकार की कर्रवाई की धमकी दी।
अमेरिका ने तो कोरोना के समय से ही चीन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। यानि चीन एक के बाद एक कर सभी देशों को भड़काने की कोशिश कर रहा है जो उसके लिए बिलकुल भी हित में नहीं होगा। अभी कई देश China के खिलाफ तो हैं लेकिन एक साथ नहीं आए हैं। सभी ने अलग-अलग तरीके से चीन (China) का विरोध किया है। अगर एक बार सभी देश एक साथ आ जाए और एक सुर में चीन के खिलाफ कर्रवाई शुरू कर दें तो चीन का बच पाना मुश्किल हो जाएगा। चीन (China) जिस तरह से विश्व के कई बड़े देशों को भड़का रहा है उससे यह कहना गलत नहीं होगा कि अब चीन अपने औकात से बाहर जाने की जुर्रत कर रहा है ऐसे में उसे सबक सिखाने की आवश्यकता है।