बार्डर के बाद, चीन पर जांच के लिए भारत ने साइन कर वैश्विक स्तर पर भी चीन को जवाब दिया है

इस पर जांच करो, रो रहा है रोने दो!

भारत

हाल ही में लद्दाख और सिक्किम से भारत चीन के बार्डर पर चीन ने आक्रामकता दिखाने की कोशिश की थी। अब भारत ने न सिर्फ चीन  को बार्डर पर जवाब दिया है बल्कि अब कूटनीति के मामले में वैश्विक स्तर पर भी चीन को दुलत्ती दी है।

दरअसल, चीन ने बार्डर पर तनाव बढ़ाकर भारत को कोरोना मामले में चीन के खिलाफ खड़े होने से डराने की कोशिश की थी। लेकिन अब केंद्र की मोदी सरकार ने यूरोपियन यूनियन द्वारा ड्राफ़्टेड चीन के खिलाफ जांच की मांग करने वाले प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिया है।  यही नहीं इस प्रस्ताव में चीन के खिलाफ जांच के अलावा WHO द्वारा उठाए गए कदमों की भी समीक्षा होगी और कोरोना के जानवरों से मनुष्यों तक फैलने के लिए फील्ड मिशन भी किया जाएगा।

वर्ल्ड हैल्थ एसम्ब्ली की होने वाले मीटिंग से पहले चीन का बहुत कुछ दांव पर था यही कारण है कि यह देश बार्डर पर आक्रामकता दिखा कर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन अब चीन की सारी हेकड़ी जल्द ही निकलने वाली है। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों के समर्थन से आया यह प्रस्ताव चीन और कोरोना के खिलाफ वौश्विक स्तर पर जांच का पहला कदम होने जा रहा है। इस प्रस्ताव को साइन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने बता दिया है कि वह चीन द्वारा बार्डर पर की जा रही गुंडई का जवाब देना जानते हैं।

भारत जिनेवा स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के कार्यकारी बोर्ड का कार्यभार संभालने जा रहा है जो विश्व स्वास्थ्य सभा के निर्णयों और नीतियों को लागू करता है। यही कारण है कि चीन अचानक और अनावश्यक सीमा पर भारतीय सेना के साथ उलझने की कोशिश कर रहा था। चीन यह समझता है कि बार्डर पर आक्रामकता दिखा कर वह भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चुप करा देगा।

हालांकि, चीन की यह आदत पहले से ही रही है। वर्ष 2017 में जब वुहान समिट होने वाला था तब उससे पहले चीन ने डोकलाम में भारत के साथ 73 दिन तक स्टैंडऑफ में रहा था। फिर बाद में स्वयं चीन की PLA पीछे हट गयी।

इसके बाद पिछले वर्ष ही मल्लापुरम में समिट होने से पहले लद्दाख के Pangong lake के पास आक्रामकता दिखाई थी। उस समय भी भारत ने चीन की इस करतूत का जवाब पूर्वी लद्दाख में एक integrated military Exercise कर दिया था।

इस बार तो हद पार करते हुए चीन सभी चीन विरोधी रुख अपनाने वाले देशों को डराने की कोशिश कर रहा था। पिछले एक महीने में, चीन ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के खिलाफ दक्षिण चीन सागर में कई बार चढ़ाई की है तो वहीं, पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ भी तनाव बढ़ा चुका है। चीन यूरोपीय संघ को धमकाने की कोशिश करता रहा है तो वहीं ऑस्ट्रेलिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की धमकी देता रहा।

लेकिन चीन की धमकियों के बावजूद, इस बार सभी देशो ने मिलकर चीन को सबक सिखाने की ओर कदम बढ़ा दिया है। अब यूरोपीय संघ द्वारा तैयार और ऑस्ट्रेलिया समर्थित इस प्रस्ताव पर 122 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। इस बार तो चीन के साथी भी इसके खिलाफ दिखाई दे रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य सभा में लाये जाने वाले इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करके, भारत ने चीन को एक स्पष्ट संदेश भेजा है कि अब भारत बीजिंग की डराने वाली रणनीति से डरने वाला नहीं है। आज भारत ने वुहान वायरस की उत्पति और इस वायरस के जानवरों से मनुष्यों में आने के कारण ढूँढने वाली जांच का समर्थन किया है।  हो सकता है कि कल भारत बीजिंग के “वन चाइना प्रिंसिपल” को लात मारता हुआ, ताइवान की WHO में सदस्यता के लिए ऑस्ट्रेलियाई प्रधा मंत्री स्कॉट मॉरिसन का समर्थन कर दे।

चीन ने एक बार फिर से भारत को डराने की कोशिश की, लेकिन उल्टे चीन को खामियाजा भुगतना पड़ा। अगली बार इस तरह के कदम उठाने से पहले चीन हजार बार सोचेगा।

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