चीनी बिजली कंपनियां पाकिस्तानियों को लूट रही हैं, और बाजवा $630 मिलियन के घोटाले में चीन के साथ है

इमरान जांच करवा रहे हैं और बाजवा क्लिन चिट दे रहा है

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पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त माना जाने वाला चीन उसी को करोड़ो का चुना लगा रहा है। एक खुलासे से यह बात सामने आई है कि चीन ने CPEC यानि China-Pakistan-Economic-Corridor के जरिए पाकिस्तान सरकार की नाक के नीचे से करोड़ो रुपये का घोटाला करके मुनाफा कमाया है। इस घोटाले की जानकारी प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा गठित एक कमेटी की रिपोर्ट में सामने आई है।

चीनी बिजली कंपनियों ने बिजली के दाम बढ़ाकर पाकिस्तानी नागरिकों से अधिक रुपयों की वसूली की हैं. बताया जा रहा है कि इस घोटाले में पाकिस्तान को करोड़ों का चूना लगा है. इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार- CPEC की इस डील में सिर्फ चीन को ही फायदा मिल रहा था. यानि एक ऐसी डील पर चीन ने पाकिस्तान से साइन करवा लिया था जिसमें सब कुछ चीन को ही मिलने वाला था.

इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि छह बिजली परियोजनाओं में से एक परियोजना भारत की तुलना में 234 प्रतिशत महंगा था। जांच रिपोर्ट से पता चला है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे यानि CPEC की $1.7 बिलियन की पॉवर ट्रांसमिशन लाइन परियोजना भारत में इसी तरह की बेहतर तकनीक वाली प्रोजेक्ट से 234% महंगी थी।

पाकिस्तानी जनता से कई गुना दाम वसूलता है चीन

यही नहीं पाकिस्तानी जनता को बिजली प्रदान करने वाली चीनी कंपनियाँ जनता से भी कई गुना दाम वसूलती हैं। इसका खुलासा पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इमरान खान द्वारा गठित एक समिति ने की जिसमें यह पाया गया कि किस तरह से पाकिस्तान में चीन की निजी बिजली उत्पादक कंपनियाँ भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।

दरअसल, लगभग 62 करोड़ डॉलर की लागत वाले CPEC के जरिए बिजली कंपनियों सहित कई चीनी कंपनियों ने पाकिस्तान में निवेश किया है। ये बिजली कंपनियां पाकिस्तान के कई इलाकों में बिजली सप्लाई करती हैं। परंतु कुछ समय पूर्व ही पाकिस्तानियों ने बिजली बिल में बढ़ोत्तरी को लेकर पीएम इमरान खान से शिकायत की थी।

जिसके बाद इमरान खान ने एक कमेटी का गठन किया और इसकी जांच के निर्देश दिए थे। जांच में खुलासा हुआ कि पाकिस्तान में चीन की प्राइवेट बिजली कंपनियों ने जमकर भ्रष्टाचार किया है।

CPEC के तहत स्थापित Huaneng Shandong Ruyi (Pak) Energy या साहीवाल और पोर्ट कासिम इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड ने चुपचाप अपनी लागत को बढ़ा दिया था। इससे उपभोक्ताओं के बिजली बिल में भी भारी बढ़ोतरी हो गयी और उन्हें अधिक बिल भरना पड़ रहा था।

रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल इलेक्ट्रिक पावर रेगुलेटरी अथॉरिटी (एनईपीआरए) द्वारा निर्धारित 15 फीसद की सीमा के विपरीत स्वतंत्र विद्युत उत्पादक 50 से 70 फीसद वार्षिक लाभ कमा रहे हैं।

278 पन्नों की रिपोर्ट में खुलासा

9 सदस्यीय समिति की इस 278 पन्नों की लंबी रिपोर्ट में सरकार को होने वाले नुकसान के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) के उल्लंघन को जिम्मेदार ठहराया गया है, जिनमें स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों (IPP), सरकारी समझौतों की स्थापना की लागत, ईंधन की खपत में कथित तौर पर किया गया गबन, बिजली शुल्क, डॉलर में लाभ की गारंटी और बिजली खरीद की कुछ शर्तें भी शामिल हैं।

कमिटी ने पाया कि CPEC के तहत दो कोयला आधारित परियोजनाओं में चीन और उसकी कंपनियों को लगभग 2.5-2.6 बिलियन डॉलर अधिक भुगतान किया गया था। लेकिन भ्रष्टाचार सिर्फ कोयला आधारित परियोजनाओं तक ही सीमित नहीं था बल्कि Wind power projects में भी चीनी कंपनियों जैसे हाइड्रो चाइना और Three Gorges पर भी सवाल उठाए गए हैं।

चीन की कंपनियों का इस प्रकार से बड़े स्तर पर घोटाले के बाद पाकिस्तान के प्लानिंग मिनिस्टर असद उमर इस सनसनीखेज जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करना चाहते हैं। लेकिन पाकिस्तान का बिजली मंत्रालय विरोध कर रहा और कह रहा है कि इससे चीन के साथ संबंध खराब होंगे।

पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल बाजवा चीन के साथ

सबसे हैरानी की बात तो यह है कि जांच कमेटी ने 278 पन्नों की रिपोर्ट के साथ इस घोटाले का पर्दाफाश किया है. फिर भी चीन को बचाने का भरसक प्रयास किया जा रहा है ताकि उनके नागरिकों में चीन विरोधी मानसिकता न पनपे. CPEC के अध्यक्ष व पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा चीनी सरकार को इस घोटाले में नहीं दोषी बता रहे हैं बल्कि वे चीनी कंपनियों को दोषी बता रहे हैं.

पाकिस्तान एक तो पहले से ही कर्ज में डूबा हुआ है और अब यह 630 मिलियन डॉलर का घोटाला, वो भी उसके सबसे करीबी दोस्त माने जाने वाली चीन द्वारा। यह इमरान खान के लिए किसी झटके से कम नहीं होगा। पाकिस्तानी जनता भले ही भारत विरोध में चीन को अपना साथी मान ले लेकिन अगर इसकी कीमत उन्हें अपनी जेब से चुकानी पड़े तो वे इसे पचा नहीं पाएंगे और खामियाजा इमरान खान को भुगतना पड़ेगा।
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