यूपी के शासन में योगी आदित्यनाथ चाणक्य नीति का अनुसरण कर रहे हैं, और परिणाम आपके सामने है

धार्मिक पूंजीवाद से यूपी उन्नति कर रहा है

कहते हैं, विपत्ति के समय किसी भी व्यक्ति या समाज के वास्तविक क्षमता की पहचान होती है। ठीक यही बात वुहान वायरस के समय विभिन्न राज्यों की प्रतिक्रिया पर भी लागू होती है। जहां महाराष्ट्र के प्रशासन ने लगभग हाथ खड़े कर दिए हैं और केंद्रीय सुरक्षाबलों की सहायता मांग रहे हैं, तो वहीं उत्तर प्रदेश जैसे राज्य भी हैं, जो अनेकों चुनौतियों से जूझते हुए भी बाकी राज्यों के लिए एक अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश शासन जिस तरह से अभी काम कर रहा है, उसे देख तो स्वयं आचार्य चाणक्य बोल उठेंगे – वाह भाई वाह। हम यहां कोई अति नहीं कर रहे, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में वर्तमान प्रशासन चाणक्य के आदर्शों पर ही चलते हुए एक सशक्त और समृद्ध उत्तर प्रदेश का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं, जिसे समझाने के लिए हमारे पास अनेकों उदाहरण हैं।

योगी आदित्यनाथ के प्रशासन की वर्तमान नीति धार्मिक पूंजीवाद का परिचायक है। परंतु धार्मिक पूंजीवाद क्या है? धार्मिक पूंजीवाद माने ऐसी आर्थिक व्यवस्था, जिसमें आप अपने लिए लाभ तो अर्जित कर ही सके, पर साथ में समाज का भी भला कर पाएं.

यह नीति ना तो पूंजीवाद की तरह पूर्णतया स्वकेंद्रित है, और ना ही समाजवाद की भांति योग्य मनुष्यों के परिश्रम का उपहास उड़ाती है। इसी धार्मिक पूंजीवाद पर चलते हुए योगी आदित्यनाथ की सरकार ने मानो तीन वर्षो में उत्तर प्रदेश का  कायाकल्प ही कर दिया है।

उदाहरण के लिए कुंभ मेले को ही ले लीजिए। जो कुंभ मेला अन्य सरकारों के लिए ‘ बोझ ‘ समान होता था, वो योगी सरकार के नेतृत्व में आजीविका के लिए एक अतिउत्तम साधन बन गया। 2019 के अर्धकुंभ मेले के लिए  राज्य सरकार ने कुंभ मेले के लिए 4200 करोड़ रुपये आवंटित किए। यह अब तक का सबसे महंगा तीर्थ आयोजन था। वर्ष 2013 में 1300 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। वहीं कुंभ परिसर 3200 हेक्टेयर में फैला था, जो पिछली बार के मुकाबले दोगुना था।

सीआईआई ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि कुंभ मेले में आतिथ्य क्षेत्र में करीब ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही एयरलाइंस और हवाई अड्डों के आसपास के करीब डेढ़ लाख लोगों को रोजी-रोटी मिलेगी। रिपोर्ट मे कहा गया है कि इस कुंभ में कुल 45,000 टूर ऑपरेटरों को भी रोजगार मिलेगा।

साथ ही इको टूरिज्म और मेडिकल टूरिज्म क्षेत्रों में भी लगभग 85,000 रोजगार के अवसर भी बनेंगे। रिपोर्ट में टूर गाइड, टैक्सी चालक, द्विभाषिये और स्वयंसेवकों के रूप में रोजगार के 55 हजार नए अवसरों की भी बात कही गई है। इन नये रोजगारों से सरकारी एजेंसियों और वैयक्तिक कारोबारियों समेत छोटे कारोबारियों और निजी दुकानदारों की भी आय बढ़ेगी।

सीआईआई की रिपोर्ट के अनुसार कुंभ मेले से उत्तर प्रदेश को करीब 12 सौ अरब रुपये का राजस्व मिलेगा। इसके अलावा राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों को भी इसका फायदा होगा। जानकारों की मानें तो ऐसा इसलिए है क्योंकि कुंभ में शामिल होने वाले पर्यटक इन राज्यों के पर्यटन स्थलों पर भी जा सकते हैं।

यही नहीं, आर्थिक दृष्टि से भी यूपी भारत के लिए एक आदर्श राज्य बनने की राह पर अग्रसर हो चुका है। हाल ही में एक विशेष अध्यादेश पारित कराकर उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ अहम अधिनियम छोड़कर बाकी सारे श्रम कानूनों को 3 साल तक निष्क्रिय करने का निर्णय लिया है। इससे ना सिर्फ ज़्यादा से ज़्यादा निवेश संभव होगा, बल्कि किसी उद्योग को स्थापित होने वाले में लगाई जाने वाली अड़चनों का भी सफाया होगा।

राज्य में अधिकांश श्रम कानूनों को निलंबित करने के लिए एक अध्यादेश पारित किया गया, ताकि मौजूदा कोरोना वायरस संकट के बीच राज्य में निवेश करने के लिए नई कंपनियों को आकर्षित किया जा सके।

कुल 38 श्रम कानूनों को निलंबित कर दिया गया है और केवल 4 कानून लागू होंगे जो कि भुगतान अधिनियम, 1936 के भुगतान की धारा 5, वर्कमैन मुआवजा अधिनियम, 1932, बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम, 1976 और भवन और अन्य निर्माण श्रमिक अधिनियम, 1996 हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि व्यवसायों को लगभग सभी श्रम कानूनों के दायरे से छूट देने का निर्णय लिया गया क्योंकि राज्य में आर्थिक और व्यावसायिक गतिविधियाँ कोरोना वायरस संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।

पर बात केवल राज्य को धार्मिक या आर्थिक तौर पर समृद्ध बनाने तक ही सीमित नहीं है। चाणक्य के अर्थशास्त्र के अनुसार किसी भी मजबूत शासन की नींव है दंड और नीति। यहां दंड का अर्थ कानून व्यवस्था से है, और इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश ने दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की की है। कभी क्राइम रिकॉर्ड में अव्वल रहने वाले राज्यों में शामिल उत्तर प्रदेश आज सर्वाधिक सुधार करने वाले राज्यों में शुमार है।

यूपी सरकार ने सीएबी के विरुद्ध चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों को बहुत जल्दी ही नियंत्रण में कर लिया। राज्य में लगभग 20 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है, फिर भी शांति का माहौल व्याप्त है। यही नहीं, जहां कहीं भी प्रदर्शन उग्र होते दिखाई दे रहे हैं, वहां पर यूपी पुलिस अपनी ट्रेडमार्क कार्रवाई करने से बिलकुल भी नहीं हिचकिचाई।

सीएए के विरोध के नाम पर हिंसा की आग जब दिल्ली और बंगाल से होते हुए उत्तर प्रदेश पहुंची, तो उपद्रवियों को लगा कि यहाँ भी उन्हें कोई हाथ नहीं लगा पाएगा। पर यहाँ तो योगी सरकार के नेतृत्व में यूपी पुलिस मानो उनकी प्रतीक्षा में बैठी हुई थी।

जैसे ही योगी सरकार ने यूपी पुलिस को खुलेआम छूट दी। इसके बाद तो जैसे पुलिस में जान ही आ गई। यूपी पुलिस ने दंगाईयों को मुंहतोड़ जवाब दिया और 2 दिन में ही हिंसा करने वालों की कमर तोड़ डाली। इतना ही नहीं, प्रशासन ने यह भी ऐलान कर दिया कि जो भी उपद्रव करता पकड़ा जाएगा, उसके निजी संपत्ति से सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई भी की जाएगी।

जब से योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभाली है, उत्तर प्रदेश ने हर क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार किया है। आचार्य चाणक्य के हर कसौटी पर खरा उतरने के उद्देश्य से योगी प्रशासन ने राज्य में व्यापक बदलाव हेतु एड़ी चोटी का जोर लगाया है। कभी देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल उत्तर प्रदेश आज देश के लिए सबसे आदर्श उदाहरण बनने के लिए तैयार खड़ा है।

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