भारत ने पहली बार चीन के खिलाफ जांच की मांग कर रहे देशों के साथ खड़े होने का फैसला लिया है। यही नहीं भारत ने WHO के लगातार प्रो बीजिंग बयानों और कार्यों के खिलाफ जांच के लिए भी अपना समर्थन जता दिया है। दरअसल, अब 62 देश वुहान वायरस की उत्पति के लिए स्वतंत्र जांच और WHO ने इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए और उसकी भूमिका क्या रही है जैसे सवालों का जवाब मांग रहे हैं। अब भारत ने भी आधिकारिक तौर पर इन देशों को अपना समर्थन देते हुए यूरोपीय यूनियन व ऑस्ट्रेलिया की ओर से जांच की मांग वाले दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
18 मई से शुरू होने वाले दो दिवसीय 73वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) की बैठक के लिए प्रस्तावित एक ड्राफ्ट से यह जानकारी सामने आई है। ड्राफ्ट में ‘कोरोनो वायरस संकट में निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक’ जांच की भी मांग की गई है। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की कार्रवाइयों और कोविड-19 महामारी से संबंधित उनकी समय सीमा की जांच की भी मांग की गई है। प्रस्ताव में वारयस के सोर्स और वह इंसानों में कैसे फैला, इसका पता लगाने की भी मांग WHO महासचिव से की गई है।
बता दें कि शुरुआती दिनों से ही चीन पर कोरोना वायरस के संक्रमण की जानकारी छिपाने का आरोप लग रहा है। चीन ने इस आरोप से बचने के लिए कई तरह का प्रोपोगेंडा चलाया था। चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कोरोना वायरस के प्रसार के लिए अमेरिकी सेना पर भी आरोप लगाए थे। चीन के शीर्ष अधिकारी और डॉक्टर झोंग नानशान ने भी खुलासा किया है कि स्थानीय अधिकारियों ने कोरोना से जुड़ी प्राथमिक जानकारी को छिपाया था।
वहीं WHO भी शुरू से ही चीन की मदद करता दिखाई दिया था। शुरू से ही WHO के डायरेक्टर जनरल डॉ टेड्रोस पर चीन का पक्ष लेने का आरोप लग रहा है।
A copy of the draft which will be adopted at the World Health Assembly starting tomorrow that calls for an "impartial, independent and comprehensive" probe into the coronavirus outbreak. Led by Australia and EU, backed by India among others. @WIONews pic.twitter.com/0mklCo6fv5
— Palki Sharma (@palkisu) May 17, 2020
हालांकि, ड्राफ्ट में चीन या वुहान शहर का जिक्र नहीं किया गया है। WHO डायरेक्टर जनरल से कहा गया है कि वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ के साथ मिलकर वायरस का स्रोत और मानव तक इस संक्रमण के पहुंचने का पता लगाया जाए।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सात पन्ने के इस ड्राफ्ट में WHO प्रमुख से कहा गया है कि कोविड-19 से मिली सीख और अनुभव की निष्पक्ष, स्वतंत्र और विस्तृत समीक्षा की जाए।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली इस बैठक के प्रस्तावित मसौदे को बांग्लादेश, कनाडा, रूस, इंडोनेशिया, साउथ अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, जापान सहित 62 देशों ने समर्थन किया है।
अभी तक भारत ने इस मामले पर चुप्पी साधी हुई थी। नई दिल्ली के तरफ से न तो WHO के खिलाफ कोई बयान आया था और न ही चीन के खिलाफ जांच की। जब भारत ने मार्च में जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान WHO में सुधारों का समर्थन किया था तब इस वैश्विक संगठन की पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता के बारे में भी भारत ने कुछ संकेत दिए थे।
परंतु जहां तक चीन की कोरोना वायरस में भूमिका का सवाल है, नई दिल्ली ऑस्ट्रेलिया या अमेरिका जैसा मुखर नहीं था। यह कहा जा सकता है कि भारत ने चीन को हैरान करने के लिए अपने पत्ते बचा कर रखे थे और जैसे ही सही समय आया, भारत ने अपने पत्ते सामने रख दिए। कुछ ही दिनों पहले चीन ने लद्दाख और सिक्किम की भारत चीन सीमा पर आक्रामकता दिखाई थी पर अब चीन को समझ आ गया होगा कि भारत अब पीछे नहीं हटने वाला है।
भारत ने अब स्पष्ट तौर से चीन और WHO की गुटबाजी को एक्सपोज करने का निर्णय लिया है। अब देखना यह है कि यह जांच कब शुरू होती है।