‘हमारे इशारे पर काम करो’, Huawei, Alibaba सहित चीन की सारी कंपनियां कम्युनिस्ट पार्टी की गुलाम हैं

इन कंपनियों पर बैन लगाकर इनका बहिष्कार करो!

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चीन की कम्युनिस्ट पार्टी विश्व की स्वतंत्रता के लिए कितनी खतरनाक है, यह हम सबने कोरोना के समय में देख लिया है। कम्युनिस्ट पार्टी ने शुरू में कोरोना के सच को दुनिया से छुपाया, और इसके नतीजे में आधी दुनिया को आज लॉकडाउन में अपने घर बैठना पड़ रहा है। हालांकि, अगर आप ऐसा सोचते हैं कि कम्युनिस्ट पार्टी चीन में रहकर आपका कुछ नहीं बिगड़ सकती, तो आप बहुत बड़ी गलतफहमी में जी रहे हैं।

दरअसल, चीन की सभी कंपनियाँ चीन की सरकार के ही कंट्रोल में होती है। कहने को ये कंपनियाँ private limited होती हैं, लेकिन असल में चीनी सरकार के सहारे ही ये काम करती हैं। इसीलिए टिकटॉक, हुवावे, zoom और xiaomi जैसी कंपनियाँ ना सिर्फ पारदर्शिता बरतने में आनाकानी करती हैं, बल्कि चीनी सरकार के इशारे पर ये यूजर्स के डेटा को भी चीनी सरकार तक पहुंचाती हैं।

अगर किसी भी कंपनी का जुड़ाव चीन से हो तो आपको यह समझ लेना चाहिए कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार उसके जरिये अपना एजेंडा चलाने की भरपूर कोशिश करेगी ही। हाल ही में यह सामने आया था कि भारत में भी टिकटॉक को चीन की सरकार विरोधी कोई भी video पब्लिश करने का अधिकार नहीं और अगर कोई भी चीन की सरकार विरोधी video को अपलोड करता है, तो उसे तुरंत हटा दिया जाता है।

दरअसल, इसी महीने टिकटॉक द्वारा भारत के कर्मचारियों को वर्ष 2019 में भेजी गयी एक ई-मेल का खुलासा हुआ था जिसमें टिकटॉक का एक अधिकारी सभी कर्मचारियों को निर्देश दे रहा था कि अगर टिकटॉक पर तिब्बत और दलाई लामा से जुड़ा कोई भी कंटेन्ट पब्लिश किया जाता है, तो उसे तुरंत हटा दिया जाए। इसके जरिया आप समझ सकते हैं कि किस प्रकार टिकटॉक चीन के इशारे पर काम करता है।

इसके अलावा अप्रैल की एक रिपोर्ट में हमने आपको बताया था कि कैसे चीन की तथाकथित प्राइवेट कंपनी Alibaba विश्वभर में मेडिकल सप्लाई भेज-भेज कर चीन की छवि को सुधारने का प्रयास कर रही है। BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक जैक मा अब तक दुनिया के 150 देशों में ये मेडिकल सप्लाई दान कर चुके हैं, जिनमें अफ्रीका, दक्षिण एशिया के कई देश शामिल हैं। ऐसा लगता है मानो चीन की धूमिल होती छवि के बीच इस एक शख्स पर उसे दोबारा दुरुस्त करने का दारोमदार आ गया है।

हाल ही में xiaomi जैसी दिग्गज चीनी कंपनी पर भी लोगों के डेटा को चुराने का आरोप लगा था। Forbes में छपी हाल ही की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ रिसर्चर्स ने यह दावा किया था कि Xiaomi ना सिर्फ मोबाइल में इन्स्टाल हुई कुछ एप्स का डाटा चीन के किसी सर्वर में भेजता है, बल्कि वेब browser में browse किए जाने वाले URLs से जुड़ी जानकारी को भी कहीं फोन से बाहर भेजा जाता है, फिर चाहे यूजर किसी भी मोड में browser को इस्तेमाल कर रहा हो। अब आप सोचिए कि क्या कोई भी चीनी कंपनी इतने बड़े पैमाने पर लोगों के डेटा को बिना चीनी सरकार की अनुमति के अपने पास गैर-कानूनी ढंग से रख सकती है। उत्तर है बिलकुल नहीं!

सिर्फ इतना ही नहीं, चीन तो अपनी इन कंपनियों का इस्तेमाल करते हुए अपने BRI प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की भी कोशिशें कर चुका है। आज से 5 वर्ष पहले ऑस्ट्रेलिया ने अपने Darwin पोर्ट को एक चीनी कंपनी को 99 वर्षों के लिए लीज़ पर दिया था। लेकिन बाद में पता चला कि वह कंपनी सरकार के अधिकार में थी, और Darwin पोर्ट को अब BRI के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी प्रकार इजरायल ने अपने हाइफा पोर्ट को एक चीनी कंपनी को 25 वर्षों के लिए लीज़ पर दिया तो बाद में चीनी सरकार ने इसे अपने BRI प्रोजेक्ट का अहम हिस्सा बना लिया।

कुल मिलाकर विश्व को ना सिर्फ चीनी सरकार से बचने की ज़रूरत है, बल्कि चीनी कंपनियों के एजेंडे को समझने की भी ज़रूरत है। चीनी कंपनियों का बहिष्कार ना सिर्फ देश के आर्थिक विकास में योगदान देगा बल्कि देश की सुरक्षा को भी मजबूत करेगा।

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