1 महीनें में 4 अमेरिकी कंपनियों ने Jio में निवेश किया, मुकेश अंबानी भारत को पहला इंटरनेट Giant देने जा रहे हैं

देसी जियो दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी बनने की ओर

जियो

(PC: Moneycontrol)

एशिया के सबसे धनी व्यक्ति मुकेश अंबानी ने एक बाद एक कर 4 बड़े निवेशों को अपनी झोली में डाल लिया है। इस बार दिग्गज ग्लोबल ग्रोथ इक्विटी कंपनी जनरल अटलांटिक ने जियो प्लेटफॉर्म्स की 1.34 फीसद हिस्सेदारी को खरीदने का फैसला किया है। इसके लिए कंपनी 6598.38 करोड़ रुपये का निवेश JIO में करेगी। ऐसा लगता है कि मुकेश अंबानी भारत को पहली बार इंटरनेट की एक विशाल कंपनी देने जा रहे हैं।

सबसे पहले रिलायन्स ने फेसबुक-जियो डील किया जिससे सभी की नजने रिलायंस पर आ टिकी। फेसबुक द्वारा 5.7 बिलियन डॉलर का निवेश के बाद कई इक्विटी फर्मों ने मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाले समूह में दिलचस्पी दिखने लगे।

इस महीने की शुरुआत में, दो निजी इक्विटी फर्मों- विस्टा इक्विटी पार्टनर्स और कैलिफोर्निया स्थित सिल्वर लेक पार्टनर्स ने रिलायंस जियो, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की दूरसंचार और डिजिटल इकाई में भारी निवेश किया था। अब अमेरिका की ही एक अन्य निजी इक्विटी फर्म, जनरल अटलांटिक ने भारी निवेश करने के फैसले की घोषणा की है।

रविवार को, RIL ने बताया कि न्यूयॉर्क स्थित इक्विटी फर्म जियो के प्लेटफार्मों में 6,598.38 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इस डील के बाद जियो ने मात्र 4 सप्ताह से भी कम समय में दिग्गज टेक्नोलॉजी इन्वेस्टर्स से 67194.75 करोड़ रुपये जुटा चुकी है।

इन इक्विटी फर्म का जियो प्लेटफार्म में निवेश दिखाता है कि वे इस कंपनी में अपने भविष्य को लेकर आश्वस्त हैं। वह भी तब जब जनरल अटलांटिक जैसी 40 साल की अनुभवी कंपनी जिसका प्रौद्योगिकी, उपभोक्ता, वित्तीय सेवाओं और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में निवेश का अनुभव है।

हालांकि, जियो प्लेटफार्मों में जनरल अटलांटिक का निवेश एशिया में सबसे बड़ा है, यह दर्शाता है कि यह रिलायंस जियो के लिए अपनी भविष्य की योजनाओं के लिए सकारात्मक संकेत है।

यह अमेरिकी इक्विटी फर्म रिलायंस जियो के भारत में विकास से प्रभावित हैं। एक ऐसा टेलिकॉम प्लेयर जिसने 2016 के अंत में बाजार में प्रवेश किया और पूरे भारत में डिजिटल क्रांति ला कर अपने प्रतिद्वंदीयों के पैरो तले जमीन खिसका दी। आज, रिलायंस जियो एक टेलीकॉम लीडर के रूप में विकसित हो चुका है, जबकि अन्य टेलीकॉम कंपनियों की हालत पतली है।

रिलायंस जियो की भविष्य की योजनाएं भी महत्वाकांक्षी हैं, यही वजह है कि अमेरिकी इक्विटी फर्म इसे अनदेखा नहीं कर सकते। फेसबुक-जियो  की डील से यह साबित भी होता है। इन सबसे Jio Mart को देश में 3 करोड़ किराना स्टोर्स से जुड़ने को नई गति मिलेगी। यह सौदा Jio Mart को व्हाट्सएप के माध्यम से रिटेल स्टोर के साथ जोड़ेगा, जो कि Jio Mart को Amazon और Fipkart जैसे अन्य ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से आगे निकलने का मौका भी देगा।

इस तरह से देखा जाए तो जियो अब भारत का एक विशाल टेक कंपनी बनने की राह पर है। वर्ष 2018 में वालमार्ट द्वारा फ्लिपकार्ट को खरीदे जाने के बाद से भारत की कोई भी बड़ी कंपनी इस क्षेत्र में नहीं थी। परंतु अब जियो के प्लेटफॉर्म्स सभी डिजिटल प्ररूपों में आगे बढ़ रहा है।

भारत इंटरनेट के लिए अभी एक बड़ा मार्केट है और इस मार्केट पर जियो अन्य प्रतिद्वंदीयों से कहीं आगे है। अब जियो भारत का डिजिटल किंग बनने जा रहा है और विश्व इसे नजरंदाज नहीं कर सकता है। यही कारण है कि अमेरिकी कंपनियाँ भी अपना पैसा और विश्वास दोनों लगा रही है। यह कहना गलत नहीं होगा कि मुकेश अंबानी  भारत को इंटरनेट की एक विशाल कंपनी देने जा रहे हैं।

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