“सब बदलने वाला है” कोरोना के समय किसानों की बेहतरी के लिए मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात ने उठाया बड़ा कदम

किसानों के लिए ऐसा कदम आज तक कभी नहीं उठाया गया

किसानों

चुनौतियां सबके सामने आती हैं, जो इन चुनौतियों को अवसर में बदलना जानता है, वही आखिर में जीत हासिल करता है। देश के कुछ राज्य यही मिसाल पेश करते नज़र आ रहे हैं। दरअसल, कोरोना के समय में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्य किसानों की भलाई के लिए कई बड़े सुधार करने जा रहे हैं। इन राज्यों ने अपने-अपने यहाँ अब उद्योग और व्यापारियों को अपनी-अपनी सहूलियत के हिसाब से कच्चा माल सीधा किसान से खरीदने की अनुमति दे दी है। इसी प्रकार किसानों को भी यह छूट दे दी गयी है कि वे अपना कच्चा माल सरकारी मंडियों के इतर सीधा retailers या processors को बेच सकते हैं। इससे न सिर्फ किसानों को उनकी फसल का बेहतर दाम मिल सकेगा बल्कि, इस कदम से आढ़तियों पर किसानों की निर्भता भी कम होगी। इन सभों राज्यों ने यह कदम केंद्र सरकार के अनुरोध के बाद ही उठाया है।

अभी तक इन राज्यों में देश के बाकी राज्यों की तरह ही Agriculture Produce Market Committee यानि सरकार द्वारा निर्धारित मंडियों में किसान की फसल की खरीद होती थी, लेकिन अब किसान इन मंडियों के बाहर भी सीधा उपभोक्ताओं या फिर उद्योगों को अपनी फसल बेच सकेंगे। मंडियों में अपनी फसल बेचने का विकल्प अभी भी किसानों के पास रहेगा, जहां पर उन्हें फसल के लिए सरकार द्वारा निर्धारित Minimum Support Price यानि MSP के तहत भुगतान किया जाता है।

मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने अपने-अपने APMC यानि मंडी से जुड़े क़ानूनों में बदलाव कर यह बड़ा कदम उठाया है। इसके बाद किसान ना सिर्फ धान बल्कि अपनी सब्जियों और फलों को भी सरकारी मंडियों के इतर retailers को बेच सकेंगे। इससे अब कृषि क्षेत्र में private सेक्टर की भूमिका पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ गयी है। इन राज्यों के पदचिन्हों पर चलते हुए ही कर्नाटका में भी ऐसे ही कदम उठाए जाने की तैयारी की जा रही है, लेकिन वहाँ के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने BJP सरकार को चेताया है। अब देखना यह होगा कि बाकी राज्यों में भी BJP सरकार ऐसे सुधारवादी कदम उठाती है या नहीं!

मंडियों में फसल को बेचना किसानों के लिए बड़े सरदर्द से कम नहीं होता है। इन मंडियों में ना सिर्फ आढ़ती आपस में साँठ-गांठ करके किसानों को उनकी उपज का कम दाम देने की कोशिश करते हैं, बल्कि यहाँ किसानों को मंडी फीस, कमीशन, लोडिंग और अनलोडिंग के खर्चे अपनी जेब से देने पड़ते हैं। इसके अलावा transportation का खर्चा भी किसान खुद उठाते हैं। अब अगर इन राज्यों में कुछ किसानों से सीधा उपभोक्ता या फिर कोई बड़ी कंपनी माल उठाती है, तो किसान का सारा खर्चा भी बच जाएगा और दाम भी बेहतर मिलेगा, यानि किसानों का दोगुना फायदा।

केंद्र सरकार ने पहले ही वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का संकल्प उठाया हुआ है। ऐसे में किसान सम्मान निधि योजना के अलावा ऐसे सुधारवादी कदमों की अनिवार्यता हो जाती है। सरकार को अगर अपना वादा पूरा करना है तो देश के सभी राज्यों और खासकर हरियाणा और पंजाब कैसे कृषि प्रधान राज्यों को भी ऐसे कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। देश के सभी राज्यों के किसान आगे बढ़ेंगे, तो ही राष्ट्रीय स्तर पर कृषि उद्योग में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।

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