इमरान का नया पाकिस्तान- अब दिव्यांग ईसाई लड़की भी अगवा, मां-बाप रो रहे लेकिन पुलिस मौन

एक मूक बधिर लड़की को भी कट्टरपंथियों ने नहीं बख्शा

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‘नया पाकिस्तान कायदे आजम (जिन्ना) का पाकिस्तान होगा और हम भरोसा दिलाते हैं कि हमारे अल्पसंख्यकों के साथ बराबर के नागरिकों जैसा व्यवहार होगा। जैसा भारत में नहीं होता।’ ये बयान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की है. लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की जमीनी हकीकत क्या है उसे दुनिया जानती है.

पाकिस्तान में यूं तो अल्पसंख्यकों पर आय दिन जुल्म होते रहते हैं. कभी हिंदू, सिख और ईसाई लड़कियों के धर्मपरिवर्तन और जबरन विवाह की बातें सामने आती हैं तो कभी गटर साफ करने के लिए अल्पसंख्यकों की भर्ती निकाली जाती है. अब एक नया मामला सामने आया है जिससे मानवता भी शर्मशार हो जाएगा.

दरअसल, लाहौर के संधा नामक इलाके में एक ईसाई लड़की को जबरन अगवा कर लिया गया है. बताया जा रहा है कि लड़की दिव्यांग है. न वो सुन पाती है और न ही बोल पाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सेक्स स्लैवरी यानि यौन दासता के लिए उक्त लड़की को अगवा किया गया है.

पीड़िता के परिवार की व्यथा सुनने वाला कोई नहीं है. अपहरण करने वालों ने पीड़िता की नंगी तस्वीरें उसके परिजनों को भेजी हैं. पीड़ित परिजनों का कहना है कि लाहौर पुलिस को मामले की जानकारी है फिर भी कार्रवाई नहीं कर रही है.

पीड़िता के परिजनों ने यह भी कहा है कि वे ईसाई समुदाय से ताल्लुक रखते हैं इसीलिए उनकी नहीं सुनी जा रही है. पीड़िता के मां का कहना है कि कुछ लोग घर पर आए थे और जबरन उसे खींचकर ले गए, फिर हमनें पुलिस को रिपोर्ट की लेकिन पुलिस अभी तक मौन है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये घटना आज से तीम माह पहले यानि मार्च की है. दिव्यांग लड़की को अलीम, बशर और अजीम नाम के कुछ दरिंदों ने अगवा किया है.

मीडिया में खबरें आने के बाद और काफी दबाव बनाने के बाद इमरान खान की सरकार जाग गई है. बताया जा रहा है कि मामले की जांच की जा रही है. इमरान सरकार ने दावा किया है कि जल्द से जल्द दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.

बता दें कि ऐसी घटनाएं पाकिस्तान में आम बात हो चुकी हैं. इससे पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत से खबर आई थी कि एक 14 साल की नाबालिग लड़की को अगवाकर एक 40 साल के मुस्लिम व्यक्ति से निकाह करवा दिया जाता है. इतना ही नहीं उस लड़की की बहन भी गायब हो गई थी. दोनों बहनों को गायब कराने में एक स्थानीय सांसद को जिम्मेदार बताया गया था. जब परिजनों ने उन पर मामला दर्ज करवाया तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इंकार कर दिया. पुलिस ने कोर्ट के सामने यह दलील दी कि उन्होंने स्वयं ही इस्लाम धर्म स्वीकार किया था.

इससे पहले पाकिस्तान के एक मंत्री ने अहमदिया मुसलमानों को अल्पसंख्यक स्वीकार करने से इंकार कर दिया. इसके साथ ही पाकिस्तान के संसदीय कार्यमंत्री अली मोहम्मद खान ने इस खबर पर ट्वीट कर खुलेआम कह डाला कि पैगंबर का मज़ाक उड़ाने के लिए सज़ा के तौर पर अहमदिया लोगों का सिर कलम कर दिया जाना चाहिये। उन्होंने यह भी कहा कि अहमदी किसी कमीशन का हिस्सा तभी हो सकते हैं जब वे पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक खुद को गैर-मुस्लिम करार दें।

बता दें कि अहमदिया मुसलमान खुद को तो मुसलमान मानते हैं लेकिन बाकी मुसलमान उन्हें सच्चा मुसलमान नहीं मानते। अहमदी इस बात में विश्वास नहीं रखते हैं कि मोहम्मद आखिरी पैगंबर थे, और इसलिए इन्हें दुनियाभर के मुसलमानों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है, जिसमें पाकिस्तान के मुसलमान भी शामिल हैं।

वैसे इमरान खान हर बार नया पाकिस्तान की बात करते हैं. कहते है कि जिन्ना का पाकिस्तान है जहां सभी को समान नागरिक की तरह माना जाता है. अब आप सोचिए कि जिस देश में आय दिन अल्पसंख्यकों पर हमला, अपहरण, जबरन विवाह, धर्मांतरण होते हों, वहां के पीएम को ऐसे बयान देने में शर्म भी नहीं आती. एक अनुमान के मुताबिक वहां हर साल 1000 हिंदू लड़कियों को अगवा कर उनका जबरन धर्मांतरण व फिर शादी की जाती है. वास्तव में पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के लिए कब्र बन गया है, जिस पर दुनिया को सख्त ऐक्शन लेने की आवश्यकता है.

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