“ये लो हमारे हेलिकॉप्टर ले लो” चीन की गुंडागर्दी रोकने के लिए अमेरिकी नेवी भारत को देगी अपने हेलिकॉप्टर

भारत ने पहले ही इन हेलिकॉप्टर को खरीदने का ऑर्डर दे रखा है, अगले साल तक Indian Navy को हासिल भी हो जाएंगे

हेलिकॉप्टर

कोरोना के बीच हिन्द महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए भारत और अमेरिका ने एक बार फिर से दोस्ती का एक बेहतरीन नमूना पेश किया है। चीन साउथ चाइना सी और Indian ocean region में अपने प्रभुत्व को बढ़ाने के लिए गश्त बढ़ा चुका है। ऐसे में भारत और अमेरिका दोनों की सरकारों ने एक एंटी सबमरीन हेलिकॉप्टर की डील में से कुछ हेलिकॉप्टरों की जल्द से जल्द डिलिवरी के लिए अमेरिकी सेना द्वारा प्रयोग की जाने वाले 3 हेलिकॉप्टर को कुछ बदलाव के साथ भारतीय नौसेना को देने का निर्णय लिया है।

दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा से पहले भी भारत ने अमेरिका की लॉकहिड मार्टिन के 24 Sikorsky MH-60 रोमियो हेलिकॉप्टर को खरीदने की मंजूरी प्रदान की थी। वर्ष 2023 -2024 तक इन हेलिकॉप्टरों के आने की उम्मीद थी। पर अब जिस तरह से चीन अपने कदम बढ़ा रहा है उसे देखते हुए, अमेरिका सतर्क हो चुका है और इस डील की पहली खेप जल्द से जल्द भारत को पहुंचाना चाहता है जिससे भारत चीन को हिन्द महासागर में टक्कर देने में सक्षम हो सके। अमेरिका हर हालत में भारत के साथ अपने संबंधो को और भी अधिक बढ़ाना चाहता है जिससे वह चीन को रोक सके। इसके लिए अमेरिकी सेना अपनी इनवेंटरी से तीन नई MH-60R Sea Hawks हेलिकॉप्टरों को ही कुछ बदलाव के साथ भारत को सौंपने पर राज़ी हो गयी है।

इसी के साथ इन हेलिकॉप्टरों में भारत की मांगों के अनुसार मोडिफिकेशन का काम भी शुरू हो चुका है और यह अगले वसंत ऋतु तक भारत को मिल जाने की उम्मीद है। शेष 21 हेलीकॉप्टर 2023 और 2024 तक आने की उम्मीद है।

Sikorsky के नेवल हेलीकॉप्टर प्रोग्राम के निदेशक टॉम केन ने पत्रकारों को बताया, इन हेलिकॉप्टरों की डिलिवरी वास्तव में उच्च प्राथमिकताओं में से एक थी।” उन्होंने कहा,

मैंने अनुरोध किया था कि विमान को जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जाए क्योंकि मुझे लगता है कि यह एक तत्काल आवश्यकता है।

इन तीन MH-60 Sea Hawks के जल्दी आ जाने से भारत को कई फायदे होने वाले हैं। चीन के खिलाफ भारत की ताकत तो बढ़ेगी ही साथ में इससे भारतीय नौसेना के पायलटों और इंजीनियरों को इन हेलीकॉप्टरों पर प्रशिक्षण का मौका उन्हें विमानवाहक पोतों, विध्वंसक पोतों तथा पनडुब्बियों पर तैनात किए जाने से पहले मिल सकेगा।

बता दें कि लॉकहिड मार्टिन की 24 Sikorsky MH-60 रोमियो हेलिकॉप्टर इंग्लैंड से वर्ष 1971 में हासिल किए गए पुरानी तकनीक वाले सी किंग हेलीकॉप्टरों की जगह लेगा। इससे भारत को हिन्द महासागर क्षेत्र में चीनी और पाकिस्तानी पनडुब्बियों और युद्धपोतों को ढूंढने और उन्हें खदेड़ने में आसानी होगी। इन विमानों की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये एंटी-सबमरीन यानि पनडुब्बियों पर हमले के लिए सबसे बेहतरीन मानी जाती हैं। यह मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर है जो हर मौसम में, दिन के किसी भी वक्त हमला करने में सक्षम है। इसकी दो सबसे बड़ी खासियत है। पहला छिपी हुई पनडुब्बियों पर हमला करना और दूसरी एयर टू सरफेस यानि हवा से जमीन पर हमला करना। इसके अलावा इसमें एंटी-सबमरीन मार्क 54 टारपीडो दिया गया है जो पानी में छिपी पनडुब्बियों को निशाना बनाता है। चौथी जेनरेशन का यह हेलीकॉप्टर आज की तारीख में पूरी दुनिया में नौसेना में काम आने वाला सबसे एडवांस हेलीकॉप्टर है।

भारत और अमेरिका दोनों ही चीन के प्रभाव को रोकना चाहते हैं ऐसे में इस डील से दोनों ही देशों के हित सधेंगे। चीन जिस तरह से लगातार कभी ताइवान तो कभी फिलीपींस तो कभी हिन्द महासागर में अपने पाँव पसार रहा है और चोरी छिपे रिसर्च करने के बहाने अपने पांडुबियों को हिन्द महासागर में तैनात कर रहा है, उसे देखते हुए भारत और अमेरिका दोनों देशों ने चीन के इस बढ़ते कदम को रोकने के लिए यह शानदार कदम उठाया है। जब से कोरोना ने महामारी का रूप लिया है तब से चीन अपनी हरकतों को भी बढ़ा चुका है और अब अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे देश चीन को रोकना चाहते हैं। अमेरिका ने तो चीन के खिलाफ जाँच की भी मांग की है और कई देशों ने इस पर समर्थन भी जताया है। लेकिन चीन को रोकने के लिए हिन्द महासागर में उसके बढ़ते कदम को भी रोकना आवश्यक है। इसी आवश्यकता को देखते हुए अमेरिका और भारत की सरकारों में यह शानदार समन्वय देखने को मिला और अब जल्द ही भारत के पास दुनिया का सबसे बेहतरीन एंटी सबमरीन हेलिकॉप्टर Sikorsky MH-60R  होगा।

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