कोरोना के समय में बेशक देशभर की सारी फ़ैक्टरियों पर ताला लग गया हो, लेकिन NDTV नामक फेक न्यूज़ फ़ैक्टरी अभी भी धड़ल्ले से चल रही है। NDTV को फेक न्यूज़ फैलाने में एक्सपर्ट समझा जाता है, और ऐसा ही उसने भारत-चीन सीमा पर जारी विवाद के मुद्दे पर भी किया।
दरअसल, NDTV ने 23 और 24 मई को इस खबर को प्रसारित किया कि चीन ने पिछले बुधवार को मुठभेड़ के दौरान कुछ भारतीय सैनिकों को ना सिर्फ गिरफ्तार किया बल्कि उनके हथियार भी छीन लिए। NDTV ने अपने “विशेष सूत्रों” के हवाले से इस खबर को प्रसारित किया। हालांकि, भारतीय सेना को जैसे ही इस खबर का पता चला, उसने तुरंत NDTV की इस फेक न्यूज़ की धज्जियां उड़ा दी।
NDTV ने अपने सूत्रों के अनुसार लिखी खबर में लिखा– “पिछले बुधवार को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद चीनी सेना ने कुछ भारतीय सैनिकों को बंदी बना लिया। कुछ देर बाद चीन ने उन्हें छोड़ दिया। इस दौरान चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के हथियार भी छीन लिए। हालांकि, बाद में उन्होंने हथियार लौटा दिये”।
इसके बाद भारतीय सेना को एक बयान जारी कर NDTV की इस फेक न्यूज़ को एक्सपोज करना पड़ा। सेना ने कहा– “हमारे किसी भी सैनिक को बंदी नहीं बनाया गया। हम यह दावा करते हैं। मीडिया को ऐसी झूठी खबरें छापने से पहले देश के हित के बारे में भी सोचना चाहिए”।
There has been no detention of Indian soldiers at the China border. We categorically deny this. It only hurts national interests when media outlets publish unsubstantiated news: Indian Army spokesperson Colonel Aman Anand pic.twitter.com/1xx3UhYF0i
— ANI (@ANI) May 24, 2020
बता दें कि इस महीने की शुरुआत से ही भारत के लद्दाख क्षेत्र में चीनी सेना घुसपैठ कर भारत को आँख दिखाने का काम कर रही है। 5 मई को सबसे पहले भारत और चीन के सैनिकों के बीच मुठभेड़ की खबर सामने आई थी, जिसमें कई चीनी और भारतीय सैनिकों के घायल होने की घटना को रिपोर्ट किया गया था।
हालांकि, ऐसे संवेदनशील समय में भी NDTV अपनी गिरती TRP बचाने के लिए ऐसी झूठी खबरों का सहारा लेने से बाज़ नहीं आ रहा है। हालांकि, NDTV और घटिया रिपोर्टिंग का तो बहुत पुराना नाता रहा है। अभी हाल ही में जब NDTV का एक रिपोर्टर पलायन कर रहे कुछ मजदूरों को कवर कर रहा था, तो उसने एक नदी पार कर चुके मजदूर को पीछे जाकर दोबारा नदी पार करने के लिए कहा था, ताकि कैमरे पर एक बढ़िया शॉट लिया जा सके।
NDTV देश में एक विशेष मानसिकता के तहत देश-विरोधी प्रोपेगैंडा चलाने के लिए भी बदनाम है। जम्मू कश्मीर से जब अनुच्छेद 370 हटाया गया था, तब एनडीटीवी ने इसके विरुद्ध प्रोपेगेंडा फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। कर्फ़्यू पर झूठी खबर फैलानी हो, कश्मीरी पण्डितों के झूठे इंटरव्यू लेने हो, या फिर छोटे बच्चों के जेल जाने को लेकर फेक न्यूज़ क्यों न फैलानी हो, एनडीटीवी का सिद्धान्त हमेशा स्पष्ट रहा है – एजेंडा ऊंचा रहे हमारा।
अब यह और बात है कि जनता एनडीटीवी को उतना ही भाव देती है, जितना NDTV पत्रकारिता के मूल्यों को! देश की सेना के मनोबल को कम करने वाली और देश की सुरक्षा को खतरे में डालने वाली झूठी खबरों को बार-बार प्रकाशित करने वाले NDTV की जितनी निंदा की जाये, उतनी कम है।