कोरोना के कारण चीन में काम करने वाली विदेशी कंपनियाँ अब अपना नया डेस्टिनेशन ढूंढ रही हैं और भारत उन्हीं नई जगहों में से एक है, जहां ये कंपनियाँ अपनी production units को शिफ्ट करना चाहती हैं। वैश्विक स्तर पर जिस तरह भारत और वियतनाम जैसे देशों में चीनी कंपनियों को लुभाने की होड़ मची है, ठीक वैसे ही भारत के अंदर राष्ट्रीय स्तर पर चीनी कंपनियों को लुभाने की जंग छिड़ गयी है और उत्तर भारत की बात करें तो हरियाणा और उत्तर प्रदेश, दोनों एक दूसरे के सामने आकर खड़े हो गए हैं। खबरों के मुताबिक दोनों ही राज्य चीनी कंपनियों को लुभाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं और ऐसे में दोनों राज्यों के बीच मुक़ाबला बेहद कड़ा हो गया है। हालांकि, ज़्यादा industrialization के कारण इस भीषण जंग में हरियाणा का पलड़ा भारी पड़ने की उम्मीद है।
Economic Times की एक रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के निजी सचिव राजेश खुल्लर हर दिन एक घंटे का समय विदेशी निवेशकों को दे रहे हैं और उन्हें हरियाणा में मिलने वाली सुविधाओं से अवगत करा रहे हैं। इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए एक window को भी खोला है, जहां कोई भी निवेशक अपने सवालों के जवाब आसानी से पा सकता है। हरियाणा तीन तरफ से राष्ट्रीय राजधानी से घिरा है, और इसके साथ ही राज्य में अमेरिका, कोरिया और जापान की कंपनियों के ऑफिस स्थित हैं। इसके अलावा हरियाणा देश के सबसे ज़्यादा industrialized राज्यों में से एक है और GDP per capita के मामले में भी हरियाणा देश का नंबर 1 बड़ा राज्य है। ऐसे में इन चीनी कंपनियों को हरियाणा आने से सबसे ज़्यादा फायदा होगा।
हालांकि, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी इन कंपनियों को लुभाने के लिए अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ रही है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने यह दावा किया था कि लगभग 100 अमेरिकी कंपनियाँ चीन से अपना सारा सामान समेटकर उत्तर प्रदेश में अपने कारखाने स्थापित कर सकती है। सिद्धार्थनाथ सिंह के मुताबिक ये सभी कंपनियाँ ऑटो, मोबाइल और लोजीस्टिक्स क्षेत्र की हैं और इन्हें लुभाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार जल्द ही बड़े पैमाने पर नीतिगत सुधार करने जा रही है। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक वेबिनार का भी आयोजन किया था जिसमें कई अमेरिकी कंपनियों ने हिस्सा लिया था। उत्तर प्रदेश सरकार इन कंपनियों को लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती।
ये चीनी कंपनियां उन्हीं राज्यों में जाना चाहेंगी जहां इन्हें व्यापार करने में आसानी हो। Ease of doing business की ranking में हरियाणा देश में तीसरे नंबर पर आता है, जबकि उत्तर प्रदेश का इसमें 12वां स्थान है। हरियाणा में उत्तर प्रदेश से बेहतर infrastructure है और ऐतिहासिक रूप से हरियाणा में पूंजीवादी सरकारें ही बनती रही हैं, जिसके कारण इस भीषण लड़ाई में हरियाणा को थोड़ा लाभ हासिल है। लेकिन जिस प्रकार योगी सरकार अभी अपने ऊपर से बीमारू राज्य होने का टैग हटाकर बिजनेस क्षेत्र में अन्य राज्यों को चुनौती देने का काम कर रही है, उसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार की जितनी सराहना की जाये, उतनी कम है। ये कंपनियां किसी भी राज्य में आयें, आर्थिक विकास तो देश का ही होगा। इसी के साथ देश के अन्य राज्यों को इनसे कुछ सीख लेने की ज़रूरत है और अन्य राज्य सरकारों को अपने यहाँ भी इन कंपनियों को लुभाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।