आंध्र प्रदेश की जगन मोहन सरकार एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार भी गलत कारणों से। सत्ताधारी पार्टी के एक सांसद, एक पूर्व विधायक और 47 अन्य लोगों पर प्रदेश हाईकोर्ट को धमकाने के लिए अवमानना का मुक़दमा चलाया जाएगा ।
बापटला क्षेत्र से सांसद और वरिष्ठ YSR कांग्रेस नेता एन सुरेश ने हाल ही में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट को जगन मोहन रेड्डी की सरकार के विरुद्ध निर्णय सुनाने के लिए धमकाया था।
लाइव लॉ पर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार हाईकोर्ट ने एक सरकारी डॉक्टर पर पुलिस द्वारा हुए हमले की जांच कराने का आदेश दिया, जिसके जवाब में एन सुरेश और पूर्व विधायक आमची कृष्ण मोहन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिसमें कोर्ट को धमकाया भी गया था। इसके साथ ही परिणम गंभीर होने की भी बात कही थी।
इनसे संबंधित कुछ अन्य राजनेताओं ने भी आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। एक ने ट्वीट किया कि हाईकोर्ट चंद्रबाबू नायडू के इशारों पर काम करता है, तो एक ने कहा कि सभी जजों को एक कमरे में एक वुहान वायरस से संक्रमित व्यक्ति के साथ बंद कर देना चाहिए। इन पोस्ट्स को शेयर करने का आरोप भी एन सुरेश और आमची कृष्ण मोहन पर लगाया गया है।
फलस्वरूप कोर्ट ने दोनों सांसदों और 47 अन्य लोगों के विरुद्ध अवमानना की धाराओं के अन्तर्गत मुक़दमा चलाने का निर्देश दिया गया था।
इसके अलावा आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने इससे पहले भी कई ऐसे निर्णय लिए, जो जगन मोहन रेड्डी की सरकार को नागवार गुज़रे। जब जगन मोहन रेड्डी ने अंग्रेज़ी भाषा को सभी स्कूलों में अनिवार्य करने का निर्णय लिया, तो हाईकोर्ट ने इसे बकवास बताते हुए निरस्त कर दिया था।
इतना ही नहीं, हाईकोर्ट ने जगन मोहन सरकार द्वारा निलंबित किए गए एक आईपीएस अधिकारी को दोबारा बहाल किया, जिससे जगन मोहन सरकार काफी कुपित हो गई।
जगन मोहन रेड्डी के सितारे लगता है इस समय गर्दिश में है। तभी वे जो भी निर्णय लेते हैं, वह अंत में उन्हीं को हंसी का पात्र बना देता है। अब तो इनके सांसद ने हाईकोर्ट को धमकाकर जगन सरकार के लिए और मुश्किलें खड़ी कर दी है।