पिछले एक महीने से चीन वुहान वायरस की महामारी का दुरुपयोग अपने साम्राज्यवादी मंसूबों को पूरा करने हेतु कर रहा है, जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमने कुछ ही हफ्तों पहले दक्षिणी चीन सागर में उसके हमलों से देखा है। परन्तु हाल ही में ड्रैगन की एक और ऐसी कोशिश बुरी तरह धराशाई हो गई, जब उसने जापानी क्षेत्र में हमला करने का प्रयास किया.
पूर्वी चीन सागर में अभी हाल ही में चीनी कोस्ट गार्ड के जहाज जापान के अधिकार वाले दियाओयू द्वीप के पास देखे गए, जिस पर चीन अपना अधिकार जमाता है। जब इन्होंने एक स्थानीय जापानी फिशिंग बोट का पीछा करना शुरू किया, तो जापानी नौसेना ने तत्काल प्रभाव से पैट्रोलिंग जहाज़ भेजे, और फिर एक रेडियो वार्निंग भेजी, जिसके बाद चीनी जहाज़ों को दुम दबाकर भागना पड़ा।
परन्तु यह पहली ऐसी घटना नहीं है। बता दें कि पूर्वी चीनी सागर के कई द्वीप और रीफ प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण हैं, और ऐसे में चीन और जापान के बीच दशकों से संघर्ष चलता आ रहा है।
इससे पहले चीन ने दक्षिण चीनी सागर में भी इस तरह से अपने साम्राज्यवादी मंशूबों को पूरा करने का काम किया है। नौसेना अभ्यास के नाम पर चीन के दो मिसाईल फ्रिगेट ताइवान की पूर्व दिशा में शक्ति प्रदर्शन करते दिखाई दिए थे। हाल ही में ताइवान ने यह शिकायत की थी कि चीन ने ताइवान के कुछ मछलीपालकों का न सिर्फ अपमान किया बल्कि उनकी vessels को भी निशाना बनाया।
इसी प्रकार चीनी नेवी पिछले कुछ समय से मलेशिया के इलाके में भी घुसपैठ करने की कोशिश कर रही है। चीन की गुंडागर्दी की हद तो तब हो गयी जब कुछ दिनों पहले चीन ने फिलीपींस के अधिकार क्षेत्र में आने वाले हिस्से को अपने हैनान प्रांत का जिला घोषित कर दिया।
यहां ताइवान अकेला नहीं है जिसे बीजिंग की औपनिवेशिक मानसिकता का शिकार होना पड़ा हो। मलेशिया, वियतनाम, यहां तक कि जापान के साथ भी चीन आजकल गुंडई करने पर उतारू है। चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति के तहत वियतनाम और ताइवान के इलाकों पर भी कब्जा करना शुरू कर दिया है। हालांकि, वियतनाम ने अब की बार चीन को उसी की भाषा में जवाब देने में देर नहीं लगाई।
दरअसल, चीन ने पारसेल द्वीप को अपना एक जिला घोषित कर दिया। पारसेल को वियतनाम और ताइवान दोनों अपना हिस्सा मानते हैं। चीन के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए वियतनाम से इसे “कानूनों का उल्लंघन” बताया। वियतनाम के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ले थी थू हांग ने चीन को धमकी देते हुए कहा-
“चीन का यह कदम दोनों देशों की दोस्ती के लिए अच्छा नहीं है। ऐसे कदम वियतनाम की संप्रभुता को ठेस पहुंचाते हैं। उम्मीद है कि चीन ना सिर्फ अपने इस कदम को वापस लेगा बल्कि भविष्य में ऐसे कदम उठाने से भी परहेज करेगा”।
इसके अलावा पिछले महीने चीनी युद्धपोत जापानी द्वीप मियाको और ओकीनावा के बीच में पड़ने वाले मियाको स्ट्रेट में भी दिखे थे, जिसके पीछे जापानी विदेश मंत्री टोशिमिट्सु मोटेगी ने काफी आपत्ति जताई थी.
सच कहें तो कुछ देशों की गुंडई, घुसपैठी देखकर एक कहावत याद आती है, “चमड़ी जाए पर दमड़ी ना जाए”। यही बात चीन पर शत प्रतिशत लागू होती है। वुहान वायरस के समय भी चीन अपनी गुंडई से बाज़ नहीं आ रहा है और वे साउथ चाइना सी (South China Sea) और ईस्ट चाइना सागर में अपनी साम्राज्यवादी मानसिकता का प्रदर्शन कर रहा है।
इन सभी घटनाओं का अर्थ साफ है कि चीन अपनी औपनिवेशिक आकांक्षाओं को पूरा करने हेतु किसी भी हद तक जाता है। परंतु जापान ही नहीं, अपितु दक्षिण चीन सागर से सटे देश भी अब चीन के खिलाफ एक स्वर में बुलंद आवाज़ में बोल रहे हैं और चीन पर लगातार कूटनीतिक दबाव बना रहे हैं। चीन दक्षिण चीन सागर पर से अपना प्रभाव लगातार खोता जा रहा है, और इसी कुंठा में वह पूर्वी चीन सागर और दक्षिणी चीन सागर में गुंडागर्दी करने पर उतर आया है। इसी को कहते हैं खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे।