‘नाम बड़े और दर्शन छोटे’ Luxury brand ZARA अपने ही मजदूरों के खिलाफ जमकर कर रहा नस्लभेद

इनकी खबर लेने का समय आ चुका है

जिसका जितना बड़ा नाम होता है उसके उतने ही गहरे राज़ छिपे होते हैं। जारा (ZARA) नाम की कपड़े की कंपनी के बारे में तो आप सभी ने सुना ही होगा। कईयों का तो यह ब्रांड फेवरेट ब्रांड होगा। हालांकि, यह कंपनी हमेशा विवादों में रहती है। कोरोना के समय में भी एक बार फिर यह कंपनी विवादों के बीच में घिरी है। जारा कंपनी ने एक तरफ स्पेन में खूब मास्क बांटे हैं तो वहीं, म्यांमार में अपने ही कर्मचारियों को मास्क की मांग करने पर ZARA उन्हें नौकरी से निकाल रही है।

दरअसल, म्यांमार में ZARA में काम करने वाले कर्मचारियों ने कोरोना वायरस को देखते हुए मास्क की मांग की थी, लेकिन इसके बदले उन्हें नौकरी से ही निकाल दिया गया है। Wion की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 500 कर्मचारियों को कोरोना वायरस महामारी के दौरान ही नौकरी से निकाल दिया गया है। यही नहीं म्यांमार में श्रम या लेबर सस्ता होने के बावजूद वहाँ की फैक्ट्री में काम करने वालों को कम भुगतान किया जाता है। म्यांमार में ZARA की फैक्ट्रियों में काम करने वालो से 11 घंटे की शिफ्ट कराई जाती है और उन्हें 3.5 से लेकर 5 डॉलर प्रतिदिन भुगतान किया जाता है।

यह विडम्बना है कि कुछ दिनों पहले इसी ZARA कंपनी की स्पेन में 3 मिलियन PPE और 1500 वेंटिलेटर देने के लिए वाहवाही की जा रही थी। परंतु वह कुछ और नहीं बल्कि एक खोखला दिखावा था जिसे आज की शब्दावली में PR कहा जाता है। दरअसल, वहाँ कहानी कुछ और ही थी।  यह PR कैम्पेन 84 वर्षीय Amancio Ortega का दिमाग था जो एक स्पेनिश नागरिक है और साथ ही ZARA की मालिकाना कंपनी Iniditex के मालिक भी। यही नहीं वे दुनिया के छठे सबसे धनी व्यक्ति भी है।

इसी से समझा जा सकता है क्यों zara की दानवीरता स्पेन से ही शुरू हुई और स्पेन तक ही रह गई। एक तरफ स्पेन के नागरिकों और अपने कर्मचारियों को यह कंपनी तौफ़े दे रही थी तो वहीं दूसरी तरफ, म्यांमार के कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा था। यहाँ गौर करने वाली बात है कि स्पेन में Iniditex की फैक्ट्रियों की संख्या बस 13 है और इस कंपनी के अधिकतर प्रोडक्ट म्यांमार, बांग्लादेश और तुर्की में बनते हैं जहां पर श्रम सस्ता है। लेकिन जो खबर म्यांमार से आ रही है, उसे सुनकर तो ऐसा लग रहा है कि यह कंपनी सस्ते लेबर को देखकर अत्याचार करना प्रारम्भ कर दिया है। यह कहना गलत नहीं होगा कि स्पेन में दिखाई गई दानवीरता और वाहवाही बटोरने के लिए रणनीति म्यांमार के कारखाने के श्रमिकों पर किए जा रहे अत्याचार को छिपाने के लिए शुरू किया गया था।

हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब ZARA पर इस तरह के आरोप लगे हो। वर्ष 2017 में तो तुर्की में सिलाई का काम करने वाले कर्मचारियों ने कपड़ों के जरिये अपनी समस्या को बताने लगे थे। उस दौरान उन सभी ने कम भुगतान की शिकायत की थी। वहीं इससे पहले 2015 में ब्राज़ील की एक फैक्ट्री में ब्लैक कर्मचारियों के साथ भेदभाव की खबर भी आई थी। Wion की रिपोर्ट के अनुसार उस दौरान ब्राज़ील के उन फैक्ट्रियों के हालात स्लेवरी या दासता के जैसी ही थी।

यही नहीं Inditex पर टैक्स चोरी के भी आरोप लग चुके हैं। इसी वजह से किसी को आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए कि ZARA ने अपने कर्मचारियों के साथ अन्याय किया। जो दुनिया भर की प्रमुख और बड़ी कंपनियां थर्ड वर्ल्ड कंट्री के श्रमिकों के साथ व्यवहार करती हैं वही ZARA ने भी किया है। यह न सिर्फ निंदनीय है बल्कि अशोभनीय भी है।

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