‘मेडिसिन खरीद रहे ग्राहकों का Database बनाएं’, Corona संदिग्धों की पहचान के लिए Yogi सरकार का नया प्लान

वायरस

वुहान वायरस से लड़ ने में यदि किसी ने उदाहरण पेश किया है, तो वह निश्चित रूप से योगी सरकार के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश है। भले ही यहां 4000 से अधिक मरीज़ संक्रमित है, परन्तु यहां ठीक होने वाले मरीजों की संख्या अधिक है। अब वुहान वायरस के मरीजों को पहचानने के लिए योगी सरकार ने एक नायाब उपाय निकाला है।

योगी सरकार ने सभी दवा विक्रेताओं के लिए ये आवश्यक कर दिया है कि वे उपभोक्ताओं द्वारा खरीदे गए दवाइयों का पूरा हिसाब किताब दें, विशेषकर उनका जिन्होंने खांसी, ज़ुकाम और बुखार के लिए दवाइयां खरीदी हो, और प्रतिदिन के हिसाब से खरीद रहा हो।

ये नियमावली ड्रग लाइसेंसिंग एंड कंट्रोल अथॉरिटी के कमिश्नर एके जैन ने जारी की है। सभी फार्मेसी और ड्रग इंस्पेक्टर्स को सारी जानकारी प्रतिदिन राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण वेबसाइट पर हर शाम 5 बजे, अपडेट करने को कहा गया है।

इतना ही नहीं, प्रतिदिन खांसी, ज़ुकाम और बुखार मिटाने के उद्देश्य से दवा खरीदने वाले लोगों की समस्त जानकारी, उनका नाम पता इत्यादि प्रत्यक्ष रूप से सरकार को भेजा जाएगा।  इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार स्थिति करे निगरानी करेगी और फिर बीमारी छुपाने वालों को ढूंढ़ कर निकालेगी। पिछले महीने इसी पद्वति पर कर्नाटक सरकार ने दवाई विक्रेताओं को इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियां या फिर SARS जैसी बीमारी के लिए दवाई खरीदने वालों के नाम पता को साझा करने के निर्देश दिए।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब वुहान वायरस से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसे नायाब कदम उठाए हो। लखनऊ के जिलाधिकारी ने यह निर्णय लिया कि जो भी संदिग्ध व्यक्ति वुहान वायरस से संबन्धित जांच में प्रशासन का सहयोग करने से मना करेगा, उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने से सरकार तनिक भी नहीं पीछे हटेगी।

ज़ी न्यूज़ के क्षेत्रीय सूत्रों के अनुसार, “जिलाधिकारी ने बताया कि कोरोना [वुहान] वायरस का कोई भी संदिग्ध रोगी या उसके संपर्क वाला व्यक्ति अगर जांच नहीं करवाता है और जांच करने के लिए पहुंची टीम का सहयोग नहीं करता है, तो इसे बाधा डालकर माहौल खराब करने का आरोपी मानते हुए आईपीसी की धारा 188 के तहत संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। इसके तहत छह माह तक की कैद, एक हजार रुपये जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है”।

इसके अलावा प्रशासन ने ना केवल जमातियों को पकड़कर पहले क्वारंटाइन किया,  बल्कि संक्रमित लोगों को अस्पताल में भर्ती भी किया। इसका मतलब स्पष्ट है – योगी राज में नौटंकी और अराजकता का कोई स्थान नहीं।

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