“दोबारा पानी में जाओ, तुम्हारी video लूँगा” TRP संकट से जूझ रहे NDTV के रिपोर्टर ने मजदूर का उड़ाया मज़ाक

इन रिपोर्टरों को मजदूरों का नहीं, अपनी मजदूरी का ख्याल है

एनडीटीवी

एनडीटीवी और प्रोपेगेंडा का चोली दामन का साथ है। जहां प्रोपेगेंडा हो, वहां एनडीटीवी ना हो, ऐसा हो सकता है क्या? वुहान वायरस जैसी महामारी के समय मजदूरों का आव्रजन एक विकट समस्या है, लेकिन एनडीटीवी यहां भी राजनीतिक रोटियां सेंकने से बाज़ नहीं आई।

एनडीटीवी का एक पत्रकार ने प्रवासी मजदूरों के पलायन की कवरेज कर रहा था, जिसमें उसने नदी पार कर रहे मजदूरों की एक वीडियो अपने ट्विटर पर प्रकाशित किया।

https://twitter.com/ndtv/status/1261274581756637185

परन्तु जनाब ने एक गलती कर दी। इस वीडियो में पत्रकार महोदय हरियाणा के कलानौर से यमुना नदी पार कर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जा रहे एक प्रवासी मजदूर से बेहतर फुटेज के लिए ‘फिर से चलने के लिए’ कहते हुए सुना जा सकता है। रिपोर्टर के कहे अनुसार मजदूर कुछ कदम पीछे हट जाता है और वहीं रुक जाता है। वह रिपोर्टर के इशारे के बाद फिर से चलने लगता है।

इसके पीछे सोशल मीडिया पर बवाल मच गया, और फिर सोशल मीडिया यूजर्स ने जमकर एनडीटीवी की खिंचाई की।  उदाहरण के लिए एक ट्विटर यूज़र कहती है, ” इतना अशोभनीय काम कोई कैसे कर सकता है? ऐसे ही ये अपनी फेक न्यूज़ बनाते हैं। ये शर्मनाक है!”

हालांकि, एनडीटीवी ने बाद में एक छोटा सा स्पष्टीकरण जारी किया, लेकिन ये उतना ही काफी था, जितना सागर में एक चुटकी शक्कर। परन्तु यह पहली बार नहीं है जब अपने कुत्सित प्रोपेगेंडे को इतनी बेशर्मी से किसी चैनल ने सामने रखा है।

जनवरी में ननकाना साहिब के एक ग्रंथी की बेटी जगजीत कौर को अगवा कर उसका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया था। सूत्रों की माने तो पीड़िता को उसके परिवार के पास जब भेजा गया, तो उसे उसके परिवार ने वापिस भेजने से मना कर दिया था। इसपर अपहरणकर्ता मुहम्मद हसन और उसके परिवार ने भीड़ को इकट्ठा कर ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर धावा बोल दिया और वहां जमकर पत्थरबाजी की।

इस विषय पर कवरेज करते हुए एनडीटीवी के पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने अपनी चिंता जाहिर की और ट्वीट कर कहा, “यह निस्संदेह बहुत बुरी खबर है, पर मैं आशा करता हूं कि इससे सीएए के समर्थन में फैलाए जा रहा प्रोपेगेंडा को फ़ायदा न मिले। वैसे भी सीएए का कट ऑफ 2014 तक ही सीमित है, और इससे पाकिस्तान में उपस्थित अल्पसंख्यकों या फिर अन्य देशों के ऐसे लोगों को कोई खास फ़ायदा नहीं पहुंचेगा”।

इसी को कहते हैं, चमड़ी जाए पर दमड़ी ना जाए। इससे पहले जम्मू कश्मीर से जब अनुच्छेद 370 हटाया गया था, तब एनडीटीवी ने इसके विरुद्ध प्रोपेगेंडा फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। कर्फ़्यू पर झूठी खबर फैलानी हो, कश्मीरी पण्डितों के झूठे इंटरव्यू लेने हो, या फिर छोटे बच्चों के जेल जाने को लेकर फेक न्यूज़ क्यों न फैलानी हो, एनडीटीवी का सिद्धान्त हमेशा स्पष्ट रहा है – एजेंडा ऊंचा रहे हमारा। अब यह और बात है कि जनता एनडीटीवी को उतना ही भाव देती है, जितना एनडीटीवी पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों की हालत को।

पर ये प्रोपगेंडा केवल एनडीटीवी तक ही सीमित नहीं है।  पिछले वर्ष जनवरी में जब प्रियंका गाँधी वाड्रा आधिकारिक तौर पर कॉन्ग्रेस पार्टी में शामिल हुई थीं, इंडिया टुडे के पत्रकार को भीड़ को ‘उत्साहित दिखाने के लिए’ निर्देशित करते हुए देखा गया था। हाल ही में उज्जैन के एक एनजीओ ने भी दावा किया था कि दैनिक भास्कर ने फोटो के लिए सड़क से 10 साल की लड़की को अनाज बीनने के लिए तैयार किया था। केंद्र सरकार को ऐसे फेक न्यूज़ हलके में बिल्कुल नहीं लेना चाहिए और तुरंत कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

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