‘ममता के खिलाफ आवाज उठाई अब अंजाम भुगतो’, जिस न्यूज़ चैनल ने ममता पर उठाये सवाल वो अगले ही दिन ऑफ एयर हो गया

हमने तो पहले ही कहा था ये बंगाल की जिनपिंग हैं

ममता बनर्जी

The Frustrated Indian पर हम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को समय-समय पर भारत का “शी जिनपिंग” होने की संज्ञा देते रहते हैं। ममता के कारनामे इसे आए दिन तर्कसंगत भी ठहराते रहते हैं। अभी हाल ही के मामले में बंगाल के एक न्यूज़ चैनल को सिर्फ इसलिए ऑफ एयर होना पड़ गया, क्योंकि उस न्यूज़ चैनल ने ममता बनर्जी के बंगाल में रहकर ममता के खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत की थी। क्या ऐसा किसी लोकतन्त्र में संभव है, बिलकुल नहीं! ऐसा तो जिनपिंग के राज वाले चीन और किम जोंग उन (अगर वो जीवित हैं) के राज वाले नॉर्थ कोरिया में ही देखने को मिलता है। ममता की तानाशाही आए दिन रिकॉर्ड तोड़ती जा रही है, और अब गृह मंत्रालय को जल्द से जल्द इस मामले पर हस्तक्षेप करके ममता को लोकतान्त्रिक मूल्य समझाने ही होंगे।

बंगाल में जिस चैनल को ऑफ एयर किया गया है, उसका नाम Calcutta news है। कुछ सूत्रों के मुताबिक एक दिन पहले इस न्यूज़ चैनल ने ममता की आलोचना करने वाला एक शो किया था। ममता बनर्जी के द्वारा अब बकायदा केबल ऑपरेटर द्वारा इस न्यूज चैनल का प्रसारण बंद करा दिया गया है। इसके अलावा राज्य सभा सांसद स्वपनदास गुप्ता ने यह भी दावा किया है कि ममता सरकार लगातार साधना न्यूज़ चैनल पर भी दबाव बना रही है।

ममता और मीडिया की दुश्मनी कोई नई नहीं है।ममता बनर्जी द्वारा मीडिया की प्रताड़ना करने का इतिहास रहा है। वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने गैर जमानती धाराओं के तहत Zee News के editor सुधीर चौधरी के खिलाफ कई FIR दर्ज करवाई थी, क्योंकि ज़ी न्यूज ने तब धुलागढ़ दंगों पर रिपोर्टिंग करने का साहस किया था। इसकी जानकारी सुधीर ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए दी थी जिसमें उन्होंने लिखा था “मेरे और ज़ी न्यूज के रिपोर्टर पूजा मेहता के खिलाफ ममता सरकार ने धुलागढ़ दंगों को कवर करने के लिए कई एफआईआर दर्ज करवा दी हैं”।

इसके अलावा टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में तृणमुल के समर्थकों ने ABP सहित कई मीडिया समूहों के पत्रकारों पर जानलेवा हमला किया था। मुर्शिदाबाद में तब कई पत्रकारों को इसलिए पीटा गया था, क्योंकि TMC को लगता था कि ये पत्रकार BJP का समर्थन करते हैं।

ममता बनर्जी सरकार पर इससे पहले कोरोना के आंकड़े छुपाने के आरोप भी लग चुके हैं। इसके अलावा उनका जिनपिंग अवतार तब भी देखने को मिला था जब कुछ डॉक्टरों को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार करवा लिया गया था क्योंकि उन्होंने PPE की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे।

ममता सरकार के ये कारनामे किसी भी सूरत में लोकतंत्र में बर्दाश्त नहीं किए जा सकते। केंद्र सरकार को जल्द से जल्द इस मामले पर हस्तक्षेप करके राज्य में लोकतन्त्र को सुनिश्चित करना चाहिए। ममता बनर्जी जिनपिंग की राह पर चल पड़ी हैं और उनके द्वारा मात्र बंगाल को एक अलग देश घोषित करने की कसर ही रह गयी है। कोरोना के कारण वैसे ही राज्य का हाल बेहाल हुआ पड़ा है और मामलों को छुपाया जा रहा है। ममता सरकार के इन लोकतंत्र विरोधी फैसलों की जितनी निंदा की जाये, उतनी कम है।

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