ताकि याद रहे पाकिस्तान को- अब दूरदर्शन POK और गिलगित-बाल्टिस्तान के मौसम की जानकारी देगा

'भारतीय शहरों' में ही है POK-गिलगित-बाल्टिस्तान

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भले ही वुहान वायरस के कारण भारत की हालत थोड़ी जटिल है, परन्तु कश्मीर के मामले में वे अभी भी कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं। पाकिस्तान एक भी टेढ़ा कदम लेता है, तो भारत उसकी खबर लेने के लिए हमेशा तैयार रहता है। अभी हाल ही में भारत ने एक निर्णय लिया, जिससे ना सिर्फ कश्मीर नीति को एक नई राह मिली है, अपितु पाकिस्तान को भी एक कड़ा संदेश मिला है – भारत से पंगा ना लेना।

हाल ही में ANI की प्रमुख संपादक और पत्रकार स्मिता प्रकाश ने एक ट्वीट किया, जिसमें वे कहती है, “IMD का नया निर्णय अब वेदर रिपोर्ट्स में गिलगिट बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद का भी नाम आएगा। मुझे एक अफसर के बारे में पता है जो इस निर्णय को लागू कराने के लिए 10 सालों तक लड़ता रहा। आज वह जहां भी होगा, बहुत खुश होगा

पर ये एक क्रांतिकारी निर्णय कैसे है? दरअसल, जिन्हें पता ना हो, उन्हें बता दें कि गिलगिट बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद पाक के कब्जे वाले कश्मीर का हिस्सा है, जिसे पुनः भारत में सम्मिलित करने के लिए देश एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। पिछले कुछ दिनों से घाटी में आतंकी गतिविधियों में वृद्धि कर पाकिस्तान भारत को कश्मीर के मुद्दे पर बैकफुट पर डालने का प्रयास कर रहा है, जिसका सबसे प्रत्यक्ष उदाहरण हमें हंदवाड़ा के ऑपरेशन से देखने को मिला, जहां 5 भारतीय सुरक्षाकर्मी वीरगति को प्राप्त हुए।

परन्तु बात वहीं पर नहीं रुकती है। अब दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो ने भी अपने दैनिक मौसम रिपोर्ट में POK के मौसम को शामिल करने का निर्णय लिया है, जिसे कुछ ही दिनों में तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा.

पर भारत उन देशों में से नहीं, जो ऐसी गीदड़ भभकी से डर जाए। उन्होंने  तुरंत अपने मोर्चे को और सशक्त बनाया और आतंकी संगठनों पर नकेल कसनी शुरू कर दी। एक ओर जहां कूटनीतिक स्तर पर आईएमडी (मौसम विभाग) के वर्तमान निर्णय जैसे निर्णय लिए जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर हमारे जवानों ने आतंकियों को पाताल लोक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अभी हाल ही में एक लंबे एनकाउंटर के बाद हिज्बुल मुजाहिदीन के वर्तमान मुखिया रियाज़ नाईकू को मार गिराने में हमारे सुरक्षाबलों ने भारी सफलता हासिल की।

POK भारत के लिए कितना अहम है, इसके संकेत पिछले वर्ष ही मिलना प्रारंभ हो गए थे। इसका स्पष्ट प्रमाण है अनुच्छेद 370 के हटाये जाने पर वैश्विक प्रतिक्रिया। पीएम मोदी के असंख्य विदेशी दौरों के कारण भारत ने अधिकांश देशों से ऐसे संबंध स्थापित किए, कि कुछ देशों को छोड़कर लगभग समूचे विश्व ने भारत के इस कदम का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करते हुए अनुच्छेद 370 के हटाये जाने को भारत का आंतरिक मामला बताया।

भारत ने एक तरफ जहाँ अनुच्छेद 370 हटाकर कश्मीर का मुद्दा पाकिस्तान से पूर्ण रूप से छीन लिया तो दूसरी तरफ पीओके को वापस लेने की अपनी प्रतिबद्धता को भी जगजाहिर किया है। पीओके को उचित तरीके से भारत में समाहित करने के साथ साथ भारत सीधे अफगानिस्तान के साथ एक सीमा साझा करेगा और इससे भारत के लिए ट्रेड रूट खुल सकता है जोकि मिडिल ईस्ट से कनेक्टिविटी को बढ़ाने का काम करेगा।

इतना ही नहीं, भारत ने पाक की पिछले वर्ष से ही अंतरराष्ट्रीय घेराबंदी प्रारंभ कर दी। यूएस की कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (CRS) की रिपोर्ट प्रकाशित हुई, जिससे ये पता चला कि कैसे भारत की कूटनीतिक घेराबंदी ने पाकिस्तान की हालत खराब कर दी है।

सीआरएस ने अफगानिस्तान पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि-

पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों को भारत के नीतिगत एवं कूटनीतिक घेराबंदी का भय सताता है। पाकिस्तान अफगानिस्तान में तालिबान को भारत विरोधी तत्व के रूप में देखता है और उसे इसमें अपना एजेंडा साधने का एक विकल्प नजर आता है।

इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि-

“अफ़ग़ानिस्तान में भारत की कमर्शियल और डिप्लोमेटिक उपस्थिति और इसके लिए अमेरिका का समर्थन पाकिस्तान की चिंताओं को और बढ़ाता है। अफगानिस्तान में भारत का इंटरेस्ट मुख्यतः पाकिस्तान के साथ भारत की व्यापक क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता से उपजा है, जो मध्य एशिया के साथ मजबूत और अधिक प्रत्यक्ष वाणिज्यिक और राजनीतिक संबंध स्थापित करने के भारतीय प्रयासों को बाधित करता है।”

कुल मिलाकर भारत अपनी कूटनीतिक रणनीति में काफी हद तक सफल रहा है। इस पूरे प्रकरण से एक बात तो साफ है – यह नया भारत है, जो किसी को छेड़ता तो नहीं, पर छेड़े जाने पर छोड़ता भी नहीं।

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