एक CM की गलती और दूसरे CM के “चलता है” के रवैये की वजह से हुआ विशाखापट्टनम में इतना बड़ा हादसा

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विशाखापट्टनम

PC: GNS News

हाल ही में आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम स्थित एलजी पॉलीमर कंपनी के प्लांट से गैस रिसाव के कारण कई लोगों की जान गयी, कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए, इन सबका कारण था ”लापरवाही”।

इस घटना के बाद एनजीटी ने संज्ञान लेते हुए एलजी पॉलिमर्स को 50 करोड़ रुपए जमा करने का निर्देश दिए हैं और इस लापरवाही की जांच की बात कही है साथ ही राज्य सरकार भी स्पेशल जांच की बात कर रही है।

इस बीच आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एलजी पॉलीमर कंपनी की फैक्ट्री से गैस रिसाव के हादसे को लेकर पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह डॉ. ईएएस सरमा ने मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी को चिट्ठी लिखकर एक बड़ा खुलासा किया है, उनका कहना है कि इस हादसे के लिए फैक्ट्री मैनेजमेंट के साथ प्रशासन भी समान रूप से जिम्मेदार है। उनका कहना है कि इस कोरियाई कंपनी के मैनेजमेंट के साथ स्थानीय नेताओं एवं अधिकारियों की अच्छी सांठगांठ है और जिसकी वजह से खराब ट्रैक रिकॉर्ड वाले वाले इस फैक्ट्री के काम को रोका नहीं गया।

18 सितंबर 2018 को एक बार पर्यावरण मामलों पर नजर रखने वाली संस्था SEIAA ने एलजी पॉलीमर पर कुछ सवाल उठा कर जवाब जरूर मांगा पर पहले एलजी पॉलीमर कंपनी ने उसे नजरअंदाज किया और फिर बाद में 9 महीने बाद उन्हें जवाब देते हुए कम्पनी ने स्वीकार किया कि उसने 20 06 में बनाये गए पर्यावरण सम्बंधी नियमो का पालन नहीं किया था फिर भी प्रशासन से मिलीभगत कर उस बात को जल्दी ही रफा दफा कर दिया गया।

उसके बाद Andhra Pradesh (आंध्र प्रदेश) प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की हरी झंडी लेकर 2019 में इसका विस्तार भी हुआ। उस समय राज्य में चंद्रबाबू नायडू की सरकार थी और फिर वो नियमों की अनदेखी का सिलसिला सरकार बदलने के बाद जब जगन मोहन रेड्डी मुख्यमंत्री बने तब भी जारी रहा।

नियमों के अनुसार ऐसी कोई भी कंपनी रिहायशी इलाकों में नहीं रह सकती पर उस नियम का पालन नहीं किया गया। ये फैक्ट्री रिहायशी इलाके के काफी पास में थी और प्लास्टिक बनाने वाली एलजी पॉलीमर कंपनी को लाइसेंस देने के लिए सारे नियमों को ताक पर रख इसे आवश्यक उद्योग बताया गया।

पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह डॉ. ईएएस सरमा ने मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी को चिट्ठी लिखकर बताया है कि इस कम्पनी को केंद्र एवं राज्य दोनों की मंजूरी नहीं थी फिर भी, एलजी पॉलीमर सुचारू रूप से अपने प्लांट को चला रही थी जो कि बिना किसी बड़े नेता-अफसर के मिलीभगत के सम्भव नहीं है। उन्होंने बताया कि इस कम्पनी तथा वहां आसपास के कई कम्पनियों से इस तरह के गैस लीक की छिटपुट घटनाएं पहले भी होती रही है, फिर भी पहले चन्द्रबाबू नायडू सरकार और उसके बाद जगन मोहन रेड्डी सरकार सोती रही। 40 के आसपास ऐसे घटनाओं के बावजूद न किसी फैक्ट्री मैनेजमेंट के खिलाफ कोई कार्यवाही हुई न ही किसी अफसर या नेता को जेल हुआ।

भोपाल त्रासदी के बाद केंद्र से लेकर राज्य सरकारों तक को इस तरह के केमिकल कारखानों को लेकर काफी संवेदनशीलता बरतने के निर्देश थे। ऐसे मामलों में किसी भी तरह के नियमों की अनदेखी न हो और समय-समय पर सरकार ऐसी कम्पनियों का रिव्यू होता रहे ये सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी थी। पर ऐसा न चन्द्रबाबू नायडू के समय हुआ न ही जगनमोहन के समय हुआ।

ऐसे में सवाल ये उठता है कि जो जानें गईं हैं उसका जिम्मेदार कौन है? जांच के बाद कुछ सच्चाई सामने आयगी कुछ के खिलाफ कार्रवाई होगी पर जिनकी मौतें हुई उनके परिजनों को क्या मिलेगा? क्या ये सिस्टम उनके परिजनों को वापस दिला पायेगा? क्यों हम हर घटना के घटने के बाद उसकी जांच में जुट जाते हैं पर समय रहते उसे रोक नहीं पाते? सवाल अफसरों एवं नेताओ दोनों से है क्योंकि कहीं न कहीं इन मौतों के लिए दोनो समान रूप से जिम्मेदार हैं। एक तरफ चंद्रबाबू नायडू ने इस प्लांट को नियमों की ताक पर बड़ी गलती की तो दूसरी तरफ जगन मोहन रेड्डी ने इसे चलने दिया। इसपर यदि उन्होंने जरा भी ध्यान दिया होता तो शायद विषखापट्नम में गैस का रिसाव न हुआ होता और न ही लोग इससे प्रभावित होते।

फिलहाल, सभी सरकारों को ये सुनिश्चित करना चाहिए की ऐसी घटनाएं दुबारा न घटे,चन्द पैसों के लिए हजारों जान के साथ खिलवाड़ न हो पाए और साथ ही एक सख्त कानून लाकर दोषियों के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई हो ताकि भविष्य में कोई ऐसी घटना न होे सके।

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