विमानन सेक्टर बचाना है तो उन्हें ही इसका लाभ लेने दिया जाए जो वास्तव में इसका खर्च उठा सकते हैं

दुनियाभर की एयरलाइंस दिवालिया हो रही हैं

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कोरोना वायरस ने दुनियाभर की इकॉनमी के समाने आज तक की सबसे बड़ी चुनौती पेश की है। इस महामारी के कारण कुछ उद्योगों की हालत तो इतनी पतली हो गयी है कि अब उन पर अस्तित्व का खतरा मंडराने लगा है। ऐसे ही उद्योगों में से एक उद्योग है Aviation यानि विमानन उद्योग। जिस विमानन उद्योग पर पेट्रोल के दाम बढ़ने मात्र से ही वित्तीय संकट आन खड़ा होता है, कोरोना के समय में इस सेक्टर की व्यथा आप आसानी से समझ सकते हैं।

जब सबसे पहले इस महामारी के फैलने की खबर सामने आई थी, तो तुरंत देशों की सबसे पहली प्रतिक्रिया air travel पर प्रतिबंध लगाने के रूप में ही देखने को मिली थी। तब से लेकर आज तक दुनियाभर की airlines ज़मीन पर है और उनके सामने बड़ा वित्तीय संकट खड़ा हो गया है। इसी कारण से अब दुनियाभर की एयरलाइंस कंपनियाँ अपने आप को दिवालिया घोषित कर रही हैं।

आइए पहले नज़र डाल लेते हैं उन विमानन कंपनियों पर जो कोरोना के कारण हुए नुकसान की वजह से अपने आप को दिवालिया घोषित कर चुकी हैं, या जो अपने आप को दिवालिया घोषित करने वाली हैं:

  1. Trans States Airlines (US)
  2. Flybe (UK)
  3. Virgin Australia (Australia)
  4. Compass Airlines (US)
  5. Trans States Airlines (US)
  6. Thai Airways (Thailand)

लॉकडाउन के तीन महीनों के अंदर-अंदर इन कंपनियों का दिवालिया घोषित होना दिखाता है कि दुनियाभर की विमानन कंपनियाँ वित्तीय तौर पर कितनी संवेदनशील होती हैं। पिछले साल मार्च में जब भारत में fuel prices में इजाफा हुआ था, तो देश की jet airways जैसी कंपनियों के सामने बड़ा वित्तीय संकट खड़ा हो गया था और बाद में जाकर jet airways को अपने आप को दिवालिया घोषित करना पड़ा था।

सोचिए, जो सेक्टर बढ़े हुए तेल के दामों को सहन नहीं कर सकते, वह तीन महीने के लॉकडाउन को सहन कैसे करेगा? दुनियाभर की airlines अक्सर घाटे में ही रहती हैं और कई कारणों की वजह से वे अन्य व्यवसायों की तरह मुनाफा अर्जित करने में नाकाम रहती हैं।

एक नुकसान उठाती airline को बंद करना भी बड़ी चुनौती होता है, क्योंकि इस सेक्टर में अति-महत्वपूर्ण साझेदार शामिल होते हैं। नुकसान उठाने के बावजूद यह सेक्टर लाखों लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा होता है, ऐसे में कोई सरकार भी विमानन कंपनियों को बंद होता देखना नहीं चाहती है।

airlines operate करने में ज़्यादा खर्चों का वहन करना पड़ता है, और कई fuel के बढ़े हुए दाम भी operators के लिए मुश्किलें खड़ी कर देते हैं, लेकिन फिर भी कड़े कंपीटीशन की वजह से इन कंपनियों को टिकट के दाम कम रखने पड़ते हैं, और खर्च कम करने की जद्दोजहद में ये कंपनियाँ बेहद ही घटिया क्वालिटी की सेवाएँ प्रदान करने को मजबूर हो जाती हैं।

अन्य कंपनियों की तरह ही इन कंपनियों को भी मुनाफा अर्जित करने पर ध्यान देना ही चाहिए फिर चाहे उसके लिए टिकट के दामों को ही क्यों न बढ़ा दिया जाये। हवा में ट्रैवल करना एक प्रीमियम सुविधा है और ऐसे में इसके बढ़े हुए दाम travellers के लिए चिंता का सबब नहीं बनना चाहिए। भविष्य में अगर किसी airline को अपना व्यवसाय बचाकर रखना है, तो उसे टिकट के दाम बढ़ाकर operations को शुरू करना ही पड़ेगा, अन्यथा यह विमानन उद्योग ऐसे ही बर्बाद होता चला जाएगा।

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