कोरोना के शुरुआत से ही अमेरिका चीन के पीछे हाथ धोकर पड़ा हुआ है। चीन पर इस महामारी का आरोप लगाने वाले अमेरिका ने अब चीनी कंपनी हुवावे को दोबारा अपने निशाने पर ले लिया है। हाल ही में अमेरिका ने हुवावे पर कुछ नए प्रतिबंध लगाए जिसके बाद हुवावे अमेरिका से प्रोसेसर चिप और सेमी-कंडक्टर का एक्सपोर्ट नहीं कर पाएगा।
अमेरिका द्वारा लगाए गए इन प्रतिबंधों के बाद हुवावे सकते में है। हुवावे ने एक बयान जारी कर कहा है कि अमेरिका के इस फैसले से ना सिर्फ दुनियाभर के tech बाज़ार में खलबली मच जाएगी बल्कि इससे हुवावे पर अस्तित्व का खतरा मंडराना शुरू हो जाएगा।
बता दें कि दुनिया के सेमीकंडक्टर संयंत्रों में इस्तेमाल होने वाले चिप डिजाइन और विनिर्माण उपकरण ज्यादातर अमेरिका में बनते हैं। ऐसे में अमेरिका द्वारा हुवावे पर लगाए गए इन प्रतिबंधों के बाद हुवावे का बर्बाद होना तय माना जा रहा है।
शुरु से ही अमेरिका में विरोध
जब से ट्रम्प सत्ता में आए हैं, तभी से अमेरिका में हुवावे को लेकर सुरक्षा चिंताओं की बात की जा रही है। अमेरिका को लगता है कि हुआवे का इस्तेमाल कर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी उनकी जासूसी कर सकती है। मई 2019 में अमेरिका ने अपने देश की सभी कंपनियों पर बिना एक विशेष लाइसेंस लिए हुवावे के साथ कारोबार करने पर रोक लगा दी थी। तब हुवावे के संस्थापक रेन जेंगफाई ने कहा था– “कंपनी उस विमान की तरह हो गयी है जिस पर आग लगी हुई है, और अभी जान बचाना ही हमारी प्राथमिकता है”।
अब जब कोरोना के बाद अमेरिका ने हुवावे पर नए प्रतिबंध लगाए हैं, तो हुवावे ने कहा है कि उसका तो जीवन ही संकट में पड़ गया है। चीन ने विदेश मंत्रालय ने भी चीन की आलोचना करते हुए कहा है कि अमेरिका हुवावे को बर्बाद करना चाहता है।
इसमें कोई शक नहीं है कि अमेरिका हुवावे को बर्बाद करना चाहता है। इसीलिए तो अमेरिका अपने साथियों पर भी हुवावे का बहिष्कार करने का दबाव बना रहा है। अमेरिका ब्रिटेन, यूरोप और भारत जैसे देशों को लगातार हुवावे का समर्थन ना करने की बात कहता रहा है।
ब्रिटेन में भी हुवावे का विरोध
कोरोना के आने के बाद तो कई देश वैसे ही हुवावे के खिलाफ हो गए हैं। Huawei को UK में पहले ही झटका लग चुका है क्योंकि चीन से बुरी तरह चिढ़े प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अपने यहां 5जी सेवाएँ शुरू करने से संबन्धित हुवावे को दी गयी सभी अनुमति को वापस लेने का ऐलान कर चुके हैं। इसके साथ ही कुछ ब्रिटिश सांसद UK के इन्फ्रास्ट्रक्चर में चीन की किसी भी कंपनी के शामिल होने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की भी बात कर रहे हैं।
हुवावे ने अमेरिका को धमकी भरे स्वर में कहा है कि अमेरिका के नए प्रतिबंधों के बाद अमेरिकी हितों को भी तगड़ा नुकसान पहुंचेगा। हालांकि, ऐसा लगता है कि अमेरिका को अभी इसकी कोई चिंता नहीं है, क्योंकि उसका पूरा फोकस कैसे भी करके हुवावे के व्यापार को ठप करने पर है। चीन शुरू से ही अपनी वैश्विक महत्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हुवावे को हथियार की तरह इस्तेमाल करता आया है। कोरोना के समय में भी चीन ने ऐसा ही करने की कोशिश की।
हुवावे पर इटली का भी आंख खुल गया है
उदाहरण के तौर पर पिछले दिनों इटली के प्रधानमंत्री से बातचीत में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि इटली को OBOR के साथ-साथ चीन के साथ Health Silk Route पर भी काम करना चाहिए। इससे इटली में डर बढ़ गया है कि कहीं इटली का वायरलेस हेल्थ नेटवर्क चीनी कंपनियों के हाथ में ना चला जाये।
इटली में भी अब Huawei के खिलाफ राजनीतिक दबाव बढ़ना शुरू हो गया है। कुल मिलाकर दुनिया जिस प्रकार चीन के एजेंडे के खिलाफ एक स्वर में तेज आवाज़ उठा रही है, जल्द ही हुवावे कंपनी उसका शिकार बनने वाली है। अमेरिका के नए प्रतिबंधों के बाद तो हुवावे का बर्बाद होना तय माना जा रहा है।