‘हमनें हमेशा हिंदुओं की तरह जिया’, 40 परिवार के 250 मुस्लिमों ने हिंदू धर्म को स्वीकार किया

औरंगजेब की दासता खत्म हुई!

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हरियाणा के हिसार जिले के बिथमारा गांव के 40 परिवार के लगभग 250 सदस्यों ने मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया और अपने घर की एक बुजुर्ग का अंतिम संस्कार हिन्दू रीतिरिवाज से किया।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार मृतक महिला फुल्ली देवी के बेटे सतबीर ने बताया कि बिठमड़ा के 30 परिवार समेत करीब 200 लोगों ने मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया है। इससे पहले वे शवों को दफना रहे थे। उन्होंने बताया कि ये मुस्लिम परिवार पहले से ही हिन्दू पद्धति से जीवन व्यतीत करते थे अब अब उन्होंने हिन्दू धर्म अपनाने का फैसला कर लिया है।

मृतक महिला फुल्ली देवी के बेटे सतबीर व भतीजे मंदिर खान ने बताया कि वे डोम जाति के हैं और उन्होंने सुना है कि कैसे उनके पूर्वज औरंगजेब के शासनकाल में दबाव में आकर मुस्लिम बने थे। सतवीर ने आगे बताया कि वे तीज-त्योहार हिंदुओं के अनुसार ही मनाते थे परंतु अभी तक वे लोग मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार ही शव को दफनाते थे। मगर इसके बाद से वे उस प्रक्रिया से मुक्ति पाकर वह पूर्ण से हिंदू धर्म अपना रहे हैं।

यहाँ यह जानना जरूरी है कि डोम जाति को 1951 की अधिसूचना के तहत अनूसूचित जाति में रखा गया है और डोम जाति के मुस्लिम एवं इसाई नागरिकों को इस आरक्षण के प्रावधान का लाभ नहीं मिलता।

जब उनसे यह पूछा गया कि क्या इस परिवर्तन के लिए किसी ने उन पर दबाव बनाया तो उसने साफ माना कर दिया और कहा कि इस गाँव में किसी ने भी किसी के साथ बदतमीजी नहीं की है। इसी मामले पर अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार संस्कार प्रक्रिया में पहुंचे गांव दनौदा निवासी रमेश कुमार ने बताया कि 18 अप्रैल को उनके परिवार के ही सदस्य ने इस व्यवस्था को बदलते हुए हिंदू धर्म अपनाया और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया अपनाई। गांव से समाजसेवी सतीश पातड़ ने कहा कि इन परिवारों ने मुस्लिम धर्म को छोड़ हिंदू धर्म अपनाया है, इनका हिंदू धर्म में स्वागत है।

बता दें कि इससे पहले 18 अप्रेल को हरियाणा के ही जिंद जिले के दानोदा कलान गांव के 35 सदस्यों ने मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया था। नई दुनिया की रिपोर्ट के अनुसार 18 अप्रैल को एक परिवार के बुजुर्ग के निधन के बाद परिवार के सदस्यों ने उनका दाह संस्कार और अंतिम क्रिया हिंदू रीति से की। इसके बाद पूरे परिवार ने हिंदू धर्म में वापसी की इच्छा जताई और फिर घर में हवन-यज्ञ हुआ साथ ही सभी ने जनेऊ धारण कर परिवार के सभी 35 सदस्यों ने हिंदू धर्म में वापसी की।

द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार इनमे से एक रमेश कुमार ने डाक्टरों  पर कुछ मुस्लिमों द्वारा हमले की निंदा भी की। उन्होंने कहा कि हाल ही में एक समुदाय के कुछ लोगों ने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करके सभी को बदनाम कर दिया है.

उन्होंने आगे कहा, “हमने सोचा कि यह मानवता के खिलाफ है। माहौल भी बदल गया था। इसलिए, हमने सरपंच से मुलाकात की और उन्हें धर्म बदलने के हमारे निर्णय से अवगत कराया।

कोरोना के समय में ऐसी घटना नई बात है लेकिन अगर इन सभी को अपने पूर्वजों के बारे में ज्ञान हो चुका है और उन्हें यह पता है कि उनकी जड़ें हिन्दू धर्म में ही है तो देश के लिए इससे अच्छी खबर कुछ नहीं हो सकती है.

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