देश के Non-Containment जोन्स में शराब की दुकानें खोलने के पीछे सिर्फ आर्थिक कारण है

पैसे कहीं से आ नहीं रहे हैं, इसलिए शराब की दुकाने खोलना बेहतर विकल्प

शराब, लॉकडाउन

कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से सभी राज्यों को होने वाली आमदनी में भारी कमी देखने को मिली है, जिसके कारण अब केंद्र सरकार ने राज्यों से कंटेनमेंट ज़ोन के अलावा बाकी सभी जगहों पर शराब की दुकानों को खोलने के निर्देश दे दिये हैं। गृहमंत्रालय ने शनिवार को स्पष्ट किया कि शराब की बिक्री ग्रीन, ऑरेन्ज और रेड जोन में स्थित उन सभी दुकानों में हो सकती है जो किसी मॉल या बाजार में नहीं हैं।

शराब की दुकानों में ग्राहकों को सोशल डिस्टेंशिंग का भी पालन करना होगा। शराब के साथ बीड़ी, पान-गुटखा आदि की दुकानों को भी खोलने की छूट दे दी गयी है क्योंकि इन सभी चीजों से राज्यों की सरकारों को अधिकतर आमदनी होती है।

शराब से आता है सबसे ज्यादा राजस्व

भारत में सभी राज्यों के पास शराब की बिक्री से सालाना लगभग ढाई लाख करोड़ का राजस्व आता है, जबकि तंबाखू की बिक्री से लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये की कमाई होती है, इन सब चीजों से राज्य सरकारों को लगभग 3 लाख करोड़ की कमाई होती है।

देशभर में अगर गुजरात और बिहार जैसे ड्राइ स्टेट्स को छोड़ दिया जाए, तो शराब की बिक्री राज्य के राजस्व का सबसे अहम जरिया होती है। राज्य अपनी कुल आमदनी का लगभग 20 से 25 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं ज़रियों से कमाते हैं। उदाहरण के लिए पिछले साल छत्तीसगढ़ ने शराब की बिक्री से करीब 5 हज़ार करोड़ रुपये कमाए थे, जबकि राज्य की कुल कमाई 22 हज़ार करोड़ रुपए हुई थी।

2016 के आंकड़ो के हिसाब से ये 10 राज्य सबसे ज़्यादा शराब से राजस्व कमाते हैं.

पेट्रोल टंकी बंद है, शराब से ही कमाई करना चाहती हैं राज्य सरकारें

इसी तरह केरल में शराब बिक्री से 12 हज़ार करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था, जो कुल राजस्व का 20 प्रतिशत हिस्सा है। राज्यों का सबसे ज़्यादा राजस्व पेट्रोल और शराब की बिक्री से आता है। लॉकडाउन में पेट्रोल तो नहीं बिक रहा है, लेकिन अब राज्यों ने शराब की बिक्री पर अपना सारा ध्यान लगा लिया है ताकि उनकी कुछ कमाई हो सकती है।

जैसे ही केंद्र सरकार ने राज्यों को शराब की बिक्री करने की छूट दी, वैसे ही सभी राज्यों ने अपने-अपने यहाँ तुरंत शराब की बिक्री करने की छूट दे दी। हाल ही के सालों में राज्य की सरकारें अपने राजस्व के लिए पेट्रोलियम और शराब पर बहुत ज़्यादा आश्रित हो गयी हैं, जो कि किसी भी राज्य के लिए अच्छा नहीं है। भारत में शराब और तंबाकू से होने वाली कमाई इनकम टैक्स के राजस्व से भी ज़्यादा है।

शराब, तंबाकू के कारोबार से अकूत इनकम टैक्स आता है

भारत में अभी कुल इनकम टैक्स से कमाई 4.3 लाख करोड़ रुपये होती है, और इसमें से 30 प्रतिशत से ज़्यादा tax sole proprietorship business से आता है। अगर कुल इनकम tax में से इस टैक्स को घटा दिया जाये, तो शराब और तंबाकू से होने वाली कमाई ही इनकम टैक्स से होने वाली कमाई से ज़्यादा बैठती है।

जैसे ही शराब की दुकानें बंद हुई, ठीक वैसे ही राज्यों को अपने कुल राजस्व का 25 प्रतिशत हिस्सा गंवाना पड़ गया, रही सही कसर लॉकडाउन ने पूरी कर दी जहां पेट्रोल/डीजल की बिक्री पर भी रोक लग गयी। अब राज्यों को दोबारा शराब की बिक्री से लाभ उठाने का मौका मिला है, तो राज्य जमकर इस मौके का फायदा उठाना चाहते हैं।

Exit mobile version